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दाग़ देहलवी की रचनाएँ
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रविन्द्र प्रसाद
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अच्छी सूरत पे -दाग़ देहलवी
अजब अपना हाल होता -दाग़ देहलवी
आफ़त की शोख़ियाँ हैं -दाग़ देहलवी
ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा -दाग़ देहलवी
शौक़ है उसको ख़ुदनुमाई का -दाग़ देहलवी
सितम ही करना जफ़ा ही करना -दाग़ देहलवी
हम तुझको किस हवस की फलक जुस्तुजू करें -दाग़ देहलवी
हसरतें ले गए -दाग़ देहलवी
हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए -दाग़ देहलवी
हर बार मांगती है नया चश्म-ए-यार दिल -दाग़ देहलवी
लुत्फ़ इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है -दाग़ देहलवी
रू-ए- अनवर नहीं देखा जाता -दाग़ देहलवी
रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई -दाग़ देहलवी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी -दाग़ देहलवी
ये जो है हुक़्म मेरे पास न आए कोई -दाग़ देहलवी
मेरे क़ाबू में न पहरों दिल-ए-नाशाद आया -दाग़ देहलवी
मुहब्बत में करे क्या कुछ किसी से हो नहीं सकता -दाग़ देहलवी
मुमकिन नहीं कि तेरी मुहब्बत की बू न हो -दाग़ देहलवी
बुतान-ए-माहवश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैं -दाग़ देहलवी
फिरे राह से वो यहाँ आते आते -दाग़ देहलवी
फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्योंकर -दाग़ देहलवी
पुकारती है ख़ामोशी मेरी फ़ुगां की तरह -दाग़ देहलवी
पर्दे-पर्दे में आताब अच्छे नहीं -दाग़ देहलवी
न रवा कहिये न सज़ा कहिये -दाग़ देहलवी
न बदले आदमी जन्नत से भी बैतुल-हज़न अपना -दाग़ देहलवी
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