"अनिल कुंबले" के अवतरणों में अंतर

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===परिचय===
 
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अनिल कुंबले का जन्म [[17 अक्टूबर]], [[1970]] को  [[बंगलौर]], [[कर्नाटक]] मे हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम 'कृष्णा स्वामी' और [[माता]] 'सरोजा' है। लम्बाई के कारण अनिल 'जंबो' नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इन्होंने नेशनल कॉलेज बसावनागुडी से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् [[1992]] में राष्ट्रीय विद्यालय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है।

12:45, 17 अक्टूबर 2017 का अवतरण

अनिल कुंबले
अनिल कुंबले
व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम अनिल कुंबले
अन्य नाम जम्बो
जन्म 17 अक्टूबर, 1970
जन्म भूमि बंगलौर, कर्नाटक
अभिभावक पिता- कृष्णा स्वामी; माता- सरोजा
खेल परिचय
बल्लेबाज़ी शैली दाएँ हाथ के बल्लेबाज़
गेंदबाज़ी शैली दाएँ हाथ से लेग्रब्रेक गुगली
टीम भारत, एशिया एकादश, कर्नाटक, लीसस्टरशायर, नॉर्थेम्टनशायर, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर, सरे आदि
भूमिका गेंदबाज़
पहला टेस्ट 9-14 अगस्त, 1990 को इंग्लैंड के ख़िलाफ़
आख़िरी टेस्ट 29-2 नवंबर, 2008 को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़
पहला वनडे 25 अप्रैल, 1990 को श्रीलंका के ख़िलाफ़
आख़िरी वनडे 19 मार्च, 2007 को बरमुडा के ख़िलाफ़
कैरियर आँकड़े
प्रारूप टेस्ट क्रिकेट एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्रथम श्रेणी
मुक़ाबले 132 271 244
बनाये गये रन 2506 938 5572
बल्लेबाज़ी औसत 17.77 10.53 21.68
100/50 1/5 0/0 7/17
सर्वोच्च स्कोर 110 नाबाद 26 154 नाबाद
फेंकी गई गेंदें 40850 14496 66931
विकेट 619 337 1136
गेंदबाज़ी औसत 29.65 30.89 25.83
पारी में 5 विकेट 35 2 72
मुक़ाबले में 10 विकेट 8 19
सर्वोच्च गेंदबाज़ी 10/74 6/12 10/74
कैच/स्टम्पिंग 60 85 120
संबंधित लेख सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, वीरेन्द्र सहवाग, कपिल देव
शिक्षा मैकेनिकल इंजीनियरिंग
पुरस्कार-उपाधि अर्जुन पुरस्कार’ (1995)
अन्य जानकारी भारतीय क्रिकेट टीम में अनिल कुंबले का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कुंबले अपने आदर्श चन्द्रशेखर की भाँति ही खेलों में सफल रहे हैं। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अच्छी पहचान बनाई। गौरतलब है कि अनिल कुंबले टीम इंडिया के कप्तान के अलावा कोच भी रह चुके हैं।
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अनिल कुंबले (अंग्रेज़ी: Anil Kumble; जन्म- 17 अक्टूबर, 1970, बंगलौर, कर्नाटक) भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक हैं। अनिल कुंबले भारत के पहले स्पिनर तथा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने सीमित ओवर वाले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 200 विकेट का आंकड़ा पार किया था। साथ ही अनिल कुंबले भारत के लिये सबसे ज्‍यादा टेस्ट विकेट (619) लेने वाले गेंदबाज़ हैं। अनिल कुंबले ने बल्लेबाज के रूप में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। 1990 में जब वह अंडर-19 टीम में खेल रहे थे, उसी समय पाकिस्तानी की अंडर 19 टीम भारत दौरे पर आई। यूथ टेस्ट मैच में उन्होंने पहली पारी में शानदार 113 रन बनाए। इसके बाद उनका चयन भारतीय टीम में हुआ। उसी साल उन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्राफर्ड में ग्राहम गूच की इंग्लिश टीम के खिलाफ खेलते हुए अपने पहले मैच में तीन विकेट लिए थे। कुंबले अपने जज्बे के लिए मशहूर हैं। 2002 में टूटे हुए जबड़े के साथ भी जरूरत पड़ने पर कुंबले ने गेंदबाजी की थी और ब्रायन लारा के रूप में भारत को बड़ी सफलता दिलाई थ। कुंबले को 'जंबो' के नाम से भी जाना जाता है। गौरतलब है कि कुंबले टीम इंडिया के कप्तान के अलावा कोच भी रह चुके हैं।

परिचय

अनिल कुंबले का जन्म 17 अक्टूबर, 1970 को बंगलौर, कर्नाटक मे हुआ था। इनके पिता का नाम 'कृष्णा स्वामी' और माता 'सरोजा' है। लम्बाई के कारण अनिल 'जंबो' नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इन्होंने नेशनल कॉलेज बसावनागुडी से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् 1992 में राष्ट्रीय विद्यालय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है।

खेल जीवन

अनिल ने 7 फरवरी, 1999 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर पाकिस्तान के विरुद्ध टेस्ट मैच खेलते हुए 26.3 ओवर में मात्र 74 रन देकर 10 विकेट ले लिए। दस विकेट लेकर अनिल कुंबले विश्व के ऐसे दूसरे खिलाड़ी बन गए। इससे पूर्व इंग्लैंड के ऑफ स्पिनर 'जिम लेकर' ने एक पारी में दस विकेट लेने का रिकार्ड बनाया था। अनिल कुंबले भारत के पहले स्पिनर तथा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने सीमित ओवर वाले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 200 विकेट का आंकड़ा पार किया था।

अनिल कुंबले के 10 विकेट लेने पर भारत ने पाकिस्तान से न केवल 2 मैच की श्रृंखला जीती वरन अनिल कुंबले को ‘मैन ऑफ द मैच’ भी दिलाया। इसी उपलब्धि के कारण अनिल क्रिकेट के ‘हॉल ऑफ फेम’ में अपना नाम दर्ज करवा सके। 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाने वाले पहले खिलाड़ी 'जिम लेकर' ने अपना रिकार्ड 31 जुलाई 1956 को अर्थात उससे 43 वर्ष पूर्व बनाया था।

टेस्ट मैच

अनिल कुंबले शुरू के क्रिकेट मैचों में बल्लेबाज के रूप में खेले थे। अत: उनकी छवि बल्लेबाज की ही बनने लगी थी। उन्होंने अपने टेस्ट मैच से जीवन की शुरुआत की जिसमें अनिल कुंबले ने मानचेस्टर के ओल्ड ट्राफर्ड में ग्राहम गूच की इंग्लिश टीम के विरुद्ध खेलते हुए अपने प्रथम मैच में तीन विकेट लिए।

इसके पश्चात् टेस्ट मैच में खेलने के लिए अनिल कुंबले को सवा वर्ष तक इंतजार करना पड़ा। फिर उन्होंने 1992-93 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध टेस्ट मैच खेला। इस बार के दक्षिण अफ्रीका तथा जिम्बाब्बे के दौरे में अनिल कुंबले सफल खिलाड़ियों में से एक थे। उसके पश्चात् भारतीय क्रिकेट टीम में उनका महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कुंबले अपने आदर्श चन्द्रशेखर की भाँति ही खेलों में सफल रहे हैं। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अच्छी पहचान बनाई।

कुंबले पारंपरिक स्टाइल से हटकर स्पिनर हैं जो कभी 'गुगली' गेंद फेंकते हैं और कभी 'मीडियम पेस फास्ट' गेंद फेंकते हैं। वह गेंद को अधिक घुमाते नहीं हैं जो उनका अपना अलग अंदाज है।

वेस्टइंडीज ने कुंबले की क़ाबिलियत को कलकत्ता में हुए एक दिवसीय मैच में पहचाना। 1994 में लखनऊ टेस्ट में श्रीलंका को उनकी श्रेष्ठ गेंदबाजी का सामना करना पड़ा, जबकि आस्ट्रेलियाई टीम ने 1997-1998 में अनिल कुंबले की श्रेष्ठ गेंदबाजी का प्रदर्शन देखा। पाक़िस्तान अनिल की गेंदबाजी को हमेशा याद रखेगा जो उन्होंने 1999 में की थी और पाकिस्तान के एक ही पारी में 10 विकेट लिए थे। वैसे कुंबले ने 5 अथवा अधिक विकेट अनेक बार लिए थे, परन्तु 10 विकेट लेकर 1999 में इतिहास बना दिया।

रिकार्ड

कुंबले ने 1998 में जिम्बाब्वे के विरुद्ध खेलते हुए अपने 200 विकेट पूरे किए। वह अन्तरराष्ट्रीय मैच में इतने विकेट लेने वाले प्रथम स्पिनर व द्वितीय भारतीय गेंदबाज थे। इसके पूर्व कपिलदेव ने इतने विकेट लिए थे। वह 100 टेस्ट विकेट लेने वाले खिलाड़ी भी कम समय में ही बन गए थे। उन्होंने 21 टेस्ट मैच में 100 विकेट ले लिए थे। उनका यह रिकार्ड 1995 में बना था। वह पांच वर्ष में 100 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज थे।

टूटे हुए जबड़े के बावजूद गेंदबाज़ी करते कुंबले

उन्होंने अपना प्रथम एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैच 25 अप्रैल, 1990 को 'आस्ट्रेलिया कप' के लिए शारजाह में खेला था जो श्रीलंका के विरुद्ध खेला गया था। 1994 में उन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध 10 ओवर में 33 रन पर 5 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया।

'विल्स वर्ल्ड कप' में वह अत्यन्त सफल गेंदबाज रहे। अनिल कुंबले ने 'रणजी ट्रॉफी' में कर्नाटक टीम की कप्तानी की। 'ईरानी कप' में उन्होंने 13 विकेट लिए। 1997 में भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे मे खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें खेल से आराम दे दिया गया। फिर उन्हें श्रीलंका के विरुद्ध खेलने के लिए पुन: टीम में शामिल किया गया। अनिल ने 1999 के ‘विश्व कप’ में भी भारतीय टीम में भाग लिया था।

पुरस्कार

मृदुभाषी अनिल कुंबले को 1995 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।

क्रिकेट से संन्यास

अनिल कुंबले ने मार्च, 2007 में अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। क्रिकेट से विदाई के वक़्त उन्होंने कहा- “क्रिकेट महज खेल है। जब आप खेलते हैं और जीत या हार जाते हैं, तब यह खेल से कहीं बड़ा लगता है। लेकिन जब आप घर वापस जाते हैं, अपने परिवार और बच्चों को देखते हैं, तब लगता है कि नहीं, यह सिर्फ खेल ही है, उससे ज़्यादा नहीं।”

उपलब्धियां

  1. अनिल कुंबले उन गिने-चुने भारतीय खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने कम समय में 21 टेस्ट खेले और 100 विकेट लिये।
  2. कुंबले प्रथम स्पिनर तथा द्वितीय भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1998 में 200 विकेट लेने का आंकड़ा पार किया।
  3. 1999 में पाकिस्तान के विरुद्ध दिल्ली में खेलते हुए अनिल कुंबले ने 26.3 ओवर में 74 रन देकर 10 विकेट लेने का करिश्मा कर दिखाया। वह ऐसा करने वाले विश्व के दूसरे खिलाड़ी थे।
  4. अनिल 1995 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया।
  5. कुंबले ने मार्च 2007 तक कुल 113 टेस्ट मैच खेले, जिनमें कुल 547 विकेट लिये।
  6. एक दिवसीय मैचों से सन्यास लेने तक अनिल ने कुल 271 वन डे मैच खेले जिसमें उन्होने 337 विकेट लिये। [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अनिल कुंबले का जीवन परिचय (हिंदी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 29 दिसम्बर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

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