"इन्दीवर" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''श्यामलाल बाबू राय''' उर्फ़ '''इन्दीवर''' (अंग्रेज़ी: Indee...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
प्रसिद्ध गीतकार इन्दीवर का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[झाँसी ज़िला|झाँसी जनपद]] मुख्‍यालय से बीस किलोमीटर पूर्व की ओर स्‍थित बरूवा सागर कस्‍बे में 'कलार' जाति के एक निर्धन परिवार में [[15 अगस्त]], [[1924]] ई. में हुआ था। आपका मूल नाम 'श्‍यामलाल बाबू राय' था। देश के '[[भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन|स्‍वतंत्रता संग्राम आन्‍दोलन]]' में सक्रिय भाग लेते हुए इन्होंने श्‍यामलाल बाबू ‘आज़ाद' नाम से कई देश भक्‍ति के गीत भी अपने प्रारम्‍भिक दिनों में लिखे थे।<ref>{{cite web |url=http://www.rachanakar.org/2011/02/blog-post_5422.html|title=गीतकार इन्दीवर|accessmonthday= 04 जनवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
प्रसिद्ध गीतकार इन्दीवर का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[झाँसी ज़िला|झाँसी जनपद]] मुख्‍यालय से बीस किलोमीटर पूर्व की ओर स्‍थित बरूवा सागर कस्‍बे में 'कलार' जाति के एक निर्धन परिवार में [[15 अगस्त]], [[1924]] ई. में हुआ था। आपका मूल नाम 'श्‍यामलाल बाबू राय' था। देश के '[[भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन|स्‍वतंत्रता संग्राम आन्‍दोलन]]' में सक्रिय भाग लेते हुए इन्होंने श्‍यामलाल बाबू ‘आज़ाद' नाम से कई देश भक्‍ति के गीत भी अपने प्रारम्‍भिक दिनों में लिखे थे।<ref>{{cite web |url=http://www.rachanakar.org/2011/02/blog-post_5422.html|title=गीतकार इन्दीवर|accessmonthday= 04 जनवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
====प्रारम्भिक संघर्ष====
 
====प्रारम्भिक संघर्ष====
बचपन के दिनों से ही इंदीवर गीतकार बनने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये वह [[मुंबई]] आ गये थे। बतौर गीतकार सबसे पहले [[वर्ष]] [[1946]] मे प्रदर्शित फिल्म 'डबल क्रॉस' में उन्हें काम करने का मौका मिला, लेकिन फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नही बना पाए। अपने वजूद को तलाशते इंदीवर को बतौर गीतकार पहचान बनाने के लिये लगभग 5 वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री मे संघर्ष करना पड़़ा। इस दौरान उन्होंने कई 'बी' और 'सी ग्रेड' की फिल्मे भी की। वर्ष [[1951]] मे प्रदर्शित फिल्म 'मल्हार' की कामयाबी से बतौर गीतकार कुछ हद तक वह अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फिल्म 'मल्हार' का गीत "बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम..." श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।
+
बचपन के दिनों से ही इंदीवर गीतकार बनने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये वह [[मुंबई]] आ गये थे। बतौर गीतकार सबसे पहले [[वर्ष]] [[1946]] मे प्रदर्शित फ़िल्म 'डबल क्रॉस' में उन्हें काम करने का मौका मिला, लेकिन फ़िल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नही बना पाए। अपने वजूद को तलाशते इंदीवर को बतौर गीतकार पहचान बनाने के लिये लगभग 5 वर्ष तक फ़िल्म इंडस्ट्री मे संघर्ष करना पड़़ा। इस दौरान उन्होंने कई 'बी' और 'सी ग्रेड' की फ़िल्मे भी की। वर्ष [[1951]] मे प्रदर्शित फ़िल्म 'मल्हार' की कामयाबी से बतौर गीतकार कुछ हद तक वह अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फ़िल्म 'मल्हार' का गीत "बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम..." श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।
 
==सफलता==
 
==सफलता==
[[वर्ष]] [[1963]] में बाबू भाई मिस्त्री की संगीतमय फिल्म 'पारसमणि' की सफलता के बाद इंदीवर शोहरत की बुंलदियो पर जा पहुंचे। इंदीवर के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी निर्माता-निर्देशक [[मनोज कुमार]] के साथ बहुत खूब जमी। मनोज कुमार ने सबसे पहले इंदीवर से फिल्म 'उपकार' के लिये गीत लिखने की पेशकश की। [[कल्याणजी-आनंदजी]] के संगीत निर्देशन मे फिल्म 'उपकार' के लिए इंदीवर ने "कस्मे वादे प्यार वफा..." जैसे दिल को छू लेने वाले गीत लिखकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इसके अलावा मनोज कुमार की फिल्म 'पूरब और पश्चिम' के लिये भी इंदीवर ने "दुल्हन चली वो पहन चली" और "कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे" जैसे सदाबहार गीत लिखकर अपना अलग ही समां बांधा। इंदीवर के सिने कैरियर मे संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के साथ उनकी खूब जमी। "छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिये...", "चंदन सा बदन..." और "मैं तो भूल चली बाबुल का देश..." जैसे इंदीवर के लिखे न भूलने वाले गीतों को कल्याणजी-आनंदजी ने [[संगीत]] दिया।<ref>{{cite web |url=http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%B0_/_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF#.Usf_IPvy4dV|title=इन्दीवर परिचय|accessmonthday=04 जनवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
+
[[वर्ष]] [[1963]] में बाबू भाई मिस्त्री की संगीतमय फ़िल्म 'पारसमणि' की सफलता के बाद इंदीवर शोहरत की बुंलदियो पर जा पहुंचे। इंदीवर के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी निर्माता-निर्देशक [[मनोज कुमार]] के साथ बहुत खूब जमी। मनोज कुमार ने सबसे पहले इंदीवर से फ़िल्म 'उपकार' के लिये गीत लिखने की पेशकश की। [[कल्याणजी-आनंदजी]] के संगीत निर्देशन मे फ़िल्म 'उपकार' के लिए इंदीवर ने "कस्मे वादे प्यार वफा..." जैसे दिल को छू लेने वाले गीत लिखकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इसके अलावा मनोज कुमार की फ़िल्म 'पूरब और पश्चिम' के लिये भी इंदीवर ने "दुल्हन चली वो पहन चली" और "कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे" जैसे सदाबहार गीत लिखकर अपना अलग ही समां बांधा। इंदीवर के सिने कैरियर मे संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के साथ उनकी खूब जमी। "छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिये...", "चंदन सा बदन..." और "मैं तो भूल चली बाबुल का देश..." जैसे इंदीवर के लिखे न भूलने वाले गीतों को कल्याणजी-आनंदजी ने [[संगीत]] दिया।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%B0_/_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF#.Usf_IPvy4dV|title=इन्दीवर परिचय|accessmonthday=04 जनवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
+
==सदाबहार गीत==
 +
[[वर्ष]] [[1970]] में विजय आनंद निर्देशित फ़िल्म 'जॉनी मेरा नाम' में "नफ़रत करने वालो के सीने में...", "पल भर के लिये कोई हमें..." जैसे रूमानी गीत लिखकर इंदीवर ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। मनमोहन देसाई के निर्देशन मे फ़िल्म 'सच्चा-झूठा' के लिये इंदीवर का लिखा एक गीत "मेरी प्यारी बहनियां बनेगी दुल्हनियां..." को आज भी [[विवाह]] आदि के अवसर पर सुना जा सकता है। इसके अलावा [[राजेश खन्ना]] अभिनीत फ़िल्म 'सफ़र' के लिये इंदीवर ने "जीवन से भरी तेरी आंखें..." और "जो तुमको हो पसंद..." जैसे गीत लिखकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
 +
====राकेश रौशन के साथ कार्य====
 +
जाने माने निर्माता-निर्देशक राकेश रौशन की फ़िल्मों के लिये इंदीवर ने सदाबहार गीत लिखकर उनकी फ़िल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उनके सदाबहार गीतों के कारण ही राकेश रौशन की ज्यादातार फ़िल्में आज भी याद की जाती हैं। इन फ़िल्मों में खासकर 'कामचोर', 'खुदगर्ज', 'खून भरी मांग', 'काला बाजार', 'किशन कन्हैया', 'किंग अंकल', 'करण अर्जुन' और 'कोयला' जैसी फ़िल्में शामिल हैं। राकेश रौशन के अलावा उनके पसंदीदा निर्माता-निर्देशकों में [[मनोज कुमार]], फ़िरोज़ ख़ान आदि प्रमुख रहे। इंदीवर के पसंदीदा संगीतकार के तौर पर [[कल्याणजी-आनंदजी]] का नाम सबसे ऊपर आता है। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में इंदीवर के गीतों को नई पहचान मिली और शायद संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी इंदीवर के दिल के काफ़ी करीब थे। सबसे पहले इस जोड़ी का गीत संगीत वर्ष [[1965]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'हिमालय की गोद' में पसंद किया गया। इसके बाद इंदीवर द्वारा रचित फ़िल्मी गीतो में कल्याणजी- आनंदजी का ही [[संगीत]] हुआ करता था। ऐसी फ़िल्मों में 'उपकार', 'दिल ने पुकारा', 'सरस्वती चंद्र', 'यादगार', 'सफ़र', 'सच्चा झूठा', 'पूरब और पश्चिम', 'जॉनी मेरा नाम', 'पारस', 'उपासना', 'कसौटी', 'धर्मात्मा', 'हेराफेरी', 'डॉन', 'कुर्बानी', 'कलाकार' आदि फ़िल्में शामिल हैं।<ref name="aa"/>
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

12:48, 4 जनवरी 2014 का अवतरण

श्यामलाल बाबू राय उर्फ़ इन्दीवर (अंग्रेज़ी: Indeevar; जन्म- 15 अगस्त, 1924, झाँसी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 27 फ़रवरी, 1997, मुम्बई) भारत के प्रसिद्ध गीतकारों में गिने जाते थे। इनके लिखे सदाबहार गीत आज भी उसी शिद्‌दत व एहसास के साथ सुने व गाए जाते हैं, जैसे वह पहले सुने व गाए जाते थे। इंदीवर जी ने चार दशकों में लगभग एक हज़ार गीत लिखे, जिनमें से कई यादगार गाने फ़िल्‍मों की सुपर-डुपर सफलता के कारण बने। जिंदगी के अनजाने सफ़र से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिनेमा जगत के मशहूर शायर और गीतकार इंदीवर का जीवन के प्रति नज़ारिया उनकी  लिखी हुई इन पंक्तियों- "हम छोड़ चले हैं महफ़िल को, याद आए कभी तो मत रोना" में समाया हुआ है।

जन्म

प्रसिद्ध गीतकार इन्दीवर का जन्म उत्तर प्रदेश के झाँसी जनपद मुख्‍यालय से बीस किलोमीटर पूर्व की ओर स्‍थित बरूवा सागर कस्‍बे में 'कलार' जाति के एक निर्धन परिवार में 15 अगस्त, 1924 ई. में हुआ था। आपका मूल नाम 'श्‍यामलाल बाबू राय' था। देश के 'स्‍वतंत्रता संग्राम आन्‍दोलन' में सक्रिय भाग लेते हुए इन्होंने श्‍यामलाल बाबू ‘आज़ाद' नाम से कई देश भक्‍ति के गीत भी अपने प्रारम्‍भिक दिनों में लिखे थे।[1]

प्रारम्भिक संघर्ष

बचपन के दिनों से ही इंदीवर गीतकार बनने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये वह मुंबई आ गये थे। बतौर गीतकार सबसे पहले वर्ष 1946 मे प्रदर्शित फ़िल्म 'डबल क्रॉस' में उन्हें काम करने का मौका मिला, लेकिन फ़िल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नही बना पाए। अपने वजूद को तलाशते इंदीवर को बतौर गीतकार पहचान बनाने के लिये लगभग 5 वर्ष तक फ़िल्म इंडस्ट्री मे संघर्ष करना पड़़ा। इस दौरान उन्होंने कई 'बी' और 'सी ग्रेड' की फ़िल्मे भी की। वर्ष 1951 मे प्रदर्शित फ़िल्म 'मल्हार' की कामयाबी से बतौर गीतकार कुछ हद तक वह अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फ़िल्म 'मल्हार' का गीत "बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम..." श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।

सफलता

वर्ष 1963 में बाबू भाई मिस्त्री की संगीतमय फ़िल्म 'पारसमणि' की सफलता के बाद इंदीवर शोहरत की बुंलदियो पर जा पहुंचे। इंदीवर के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार के साथ बहुत खूब जमी। मनोज कुमार ने सबसे पहले इंदीवर से फ़िल्म 'उपकार' के लिये गीत लिखने की पेशकश की। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन मे फ़िल्म 'उपकार' के लिए इंदीवर ने "कस्मे वादे प्यार वफा..." जैसे दिल को छू लेने वाले गीत लिखकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इसके अलावा मनोज कुमार की फ़िल्म 'पूरब और पश्चिम' के लिये भी इंदीवर ने "दुल्हन चली वो पहन चली" और "कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे" जैसे सदाबहार गीत लिखकर अपना अलग ही समां बांधा। इंदीवर के सिने कैरियर मे संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के साथ उनकी खूब जमी। "छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिये...", "चंदन सा बदन..." और "मैं तो भूल चली बाबुल का देश..." जैसे इंदीवर के लिखे न भूलने वाले गीतों को कल्याणजी-आनंदजी ने संगीत दिया।[2]

सदाबहार गीत

वर्ष 1970 में विजय आनंद निर्देशित फ़िल्म 'जॉनी मेरा नाम' में "नफ़रत करने वालो के सीने में...", "पल भर के लिये कोई हमें..." जैसे रूमानी गीत लिखकर इंदीवर ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। मनमोहन देसाई के निर्देशन मे फ़िल्म 'सच्चा-झूठा' के लिये इंदीवर का लिखा एक गीत "मेरी प्यारी बहनियां बनेगी दुल्हनियां..." को आज भी विवाह आदि के अवसर पर सुना जा सकता है। इसके अलावा राजेश खन्ना अभिनीत फ़िल्म 'सफ़र' के लिये इंदीवर ने "जीवन से भरी तेरी आंखें..." और "जो तुमको हो पसंद..." जैसे गीत लिखकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

राकेश रौशन के साथ कार्य

जाने माने निर्माता-निर्देशक राकेश रौशन की फ़िल्मों के लिये इंदीवर ने सदाबहार गीत लिखकर उनकी फ़िल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उनके सदाबहार गीतों के कारण ही राकेश रौशन की ज्यादातार फ़िल्में आज भी याद की जाती हैं। इन फ़िल्मों में खासकर 'कामचोर', 'खुदगर्ज', 'खून भरी मांग', 'काला बाजार', 'किशन कन्हैया', 'किंग अंकल', 'करण अर्जुन' और 'कोयला' जैसी फ़िल्में शामिल हैं। राकेश रौशन के अलावा उनके पसंदीदा निर्माता-निर्देशकों में मनोज कुमार, फ़िरोज़ ख़ान आदि प्रमुख रहे। इंदीवर के पसंदीदा संगीतकार के तौर पर कल्याणजी-आनंदजी का नाम सबसे ऊपर आता है। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में इंदीवर के गीतों को नई पहचान मिली और शायद संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी इंदीवर के दिल के काफ़ी करीब थे। सबसे पहले इस जोड़ी का गीत संगीत वर्ष 1965 में प्रदर्शित फ़िल्म 'हिमालय की गोद' में पसंद किया गया। इसके बाद इंदीवर द्वारा रचित फ़िल्मी गीतो में कल्याणजी- आनंदजी का ही संगीत हुआ करता था। ऐसी फ़िल्मों में 'उपकार', 'दिल ने पुकारा', 'सरस्वती चंद्र', 'यादगार', 'सफ़र', 'सच्चा झूठा', 'पूरब और पश्चिम', 'जॉनी मेरा नाम', 'पारस', 'उपासना', 'कसौटी', 'धर्मात्मा', 'हेराफेरी', 'डॉन', 'कुर्बानी', 'कलाकार' आदि फ़िल्में शामिल हैं।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गीतकार इन्दीवर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 04 जनवरी, 2014।
  2. 2.0 2.1 इन्दीवर परिचय (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 04 जनवरी, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख