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+ | *महिलाएं एक गोला बनाकर खड़ी हो जाती हैं और तालियाँ बजाकर ताल पर नृत्य करती हैं। इनमें से एक महिला कोई मन पसंद गीत गाती है जबकि अन्य महिलाएं उसे दोहराती हैं। | ||
+ | *प्रत्येक नर्तक एक नई पंक्ति गाता है और जब सभी थक जाते हैं, तब नृत्य बंद हो जाता है। | ||
+ | *यह नृत्य आमतौर पर मंदिर में [[पोंगल]], कटाई के त्योहार, पारिवारिक कार्यक्रमों आदि के अवसर पर किया जाता है, जैसे कि एक बालिका के किशोरावस्था तक पहुंचने के अवसर पर किया जाने वाला कार्यक्रम। | ||
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10:13, 23 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण
कुम्मी (अंग्रेज़ी: Kummi) केरल और तमिलनाडु के ग्रामीण नृत्यों का सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन रूप है। इस लोक नृत्य का जन्म तब हुआ, जब कोई संगीत वाद्य नहीं होते थे और इसमें ताल बनाए रखने के लिए प्रतिभागी तालियाँ बजाकर नृत्य करते थे। इसे महिलाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
- कुम्मी के अनेक प्रकार हैं, जैसे-
- पूंथाटी कुम्मी
- दीपा कुम्मी
- कुलावाई कुम्मी
- कादिर कुम्मी
- मलाई पारी कुम्मी
- महिलाएं एक गोला बनाकर खड़ी हो जाती हैं और तालियाँ बजाकर ताल पर नृत्य करती हैं। इनमें से एक महिला कोई मन पसंद गीत गाती है जबकि अन्य महिलाएं उसे दोहराती हैं।
- प्रत्येक नर्तक एक नई पंक्ति गाता है और जब सभी थक जाते हैं, तब नृत्य बंद हो जाता है।
- यह नृत्य आमतौर पर मंदिर में पोंगल, कटाई के त्योहार, पारिवारिक कार्यक्रमों आदि के अवसर पर किया जाता है, जैसे कि एक बालिका के किशोरावस्था तक पहुंचने के अवसर पर किया जाने वाला कार्यक्रम।
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