"कुम्मी नृत्य" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
कुम्‍मी [[तमिलनाडु]] के ग्रामीण नृत्‍यों का सबसे महत्‍वपूर्ण और प्राचीन रूप है। इस [[लोक नृत्य]] का जन्‍म तब हुआ जब कोई संगीत वाद्य नहीं होते थे और इसमें ताल बनाए रखने के लिए प्रतिभा‍गी तालियाँ बजा कर नृत्‍य करते थे। इसे महिलाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है; कुम्‍मी के अनेक प्रकार हैं जैसे कि पूंथाटी कुम्‍मी, दीपा कुम्‍मी, कुलावाई कुम्मी, कादिर कुम्‍मी, मलाई पारी कुम्‍मी आदि ज्ञात है। महिलाएं एक गोला बनाकर खड़ी हो जाती हैं और तालियाँ बजाकर ताल पर नृत्‍य करती हैं। इनमें से एक महिला कोई मन पसंद गीत गाती है जबकि अन्‍य महिलाएं उसे दोहराती हैं। प्रत्‍येक नर्तक एक नई पंक्ति गाता है और जब सभी थक जाते हैं तब नृत्‍य बंद हो जाता है। यह नृत्‍य आम तौर पर मंदिर में पोंगल, कटाई के त्योहार, पारिवारिक कार्यक्रमों आदि के अवसर पर किया जाता है जैसे कि एक बालिका के किशोरावस्‍था तक पहुंचने के अवसर पर किया जाने वाला कार्यक्रम।
 
कुम्‍मी [[तमिलनाडु]] के ग्रामीण नृत्‍यों का सबसे महत्‍वपूर्ण और प्राचीन रूप है। इस [[लोक नृत्य]] का जन्‍म तब हुआ जब कोई संगीत वाद्य नहीं होते थे और इसमें ताल बनाए रखने के लिए प्रतिभा‍गी तालियाँ बजा कर नृत्‍य करते थे। इसे महिलाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है; कुम्‍मी के अनेक प्रकार हैं जैसे कि पूंथाटी कुम्‍मी, दीपा कुम्‍मी, कुलावाई कुम्मी, कादिर कुम्‍मी, मलाई पारी कुम्‍मी आदि ज्ञात है। महिलाएं एक गोला बनाकर खड़ी हो जाती हैं और तालियाँ बजाकर ताल पर नृत्‍य करती हैं। इनमें से एक महिला कोई मन पसंद गीत गाती है जबकि अन्‍य महिलाएं उसे दोहराती हैं। प्रत्‍येक नर्तक एक नई पंक्ति गाता है और जब सभी थक जाते हैं तब नृत्‍य बंद हो जाता है। यह नृत्‍य आम तौर पर मंदिर में पोंगल, कटाई के त्योहार, पारिवारिक कार्यक्रमों आदि के अवसर पर किया जाता है जैसे कि एक बालिका के किशोरावस्‍था तक पहुंचने के अवसर पर किया जाने वाला कार्यक्रम।
 +
 +
{{लेख प्रगति
 +
|आधार=
 +
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 +
|माध्यमिक=
 +
|पूर्णता=
 +
|शोध=
 +
}}
  
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{नृत्य कला}}
 
{{नृत्य कला}}
 
[[Category:लोक नृत्य]]  [[Category:कला कोश]]__INDEX__
 
[[Category:लोक नृत्य]]  [[Category:कला कोश]]__INDEX__

05:10, 14 नवम्बर 2010 का अवतरण

कुम्‍मी तमिलनाडु के ग्रामीण नृत्‍यों का सबसे महत्‍वपूर्ण और प्राचीन रूप है। इस लोक नृत्य का जन्‍म तब हुआ जब कोई संगीत वाद्य नहीं होते थे और इसमें ताल बनाए रखने के लिए प्रतिभा‍गी तालियाँ बजा कर नृत्‍य करते थे। इसे महिलाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है; कुम्‍मी के अनेक प्रकार हैं जैसे कि पूंथाटी कुम्‍मी, दीपा कुम्‍मी, कुलावाई कुम्मी, कादिर कुम्‍मी, मलाई पारी कुम्‍मी आदि ज्ञात है। महिलाएं एक गोला बनाकर खड़ी हो जाती हैं और तालियाँ बजाकर ताल पर नृत्‍य करती हैं। इनमें से एक महिला कोई मन पसंद गीत गाती है जबकि अन्‍य महिलाएं उसे दोहराती हैं। प्रत्‍येक नर्तक एक नई पंक्ति गाता है और जब सभी थक जाते हैं तब नृत्‍य बंद हो जाता है। यह नृत्‍य आम तौर पर मंदिर में पोंगल, कटाई के त्योहार, पारिवारिक कार्यक्रमों आदि के अवसर पर किया जाता है जैसे कि एक बालिका के किशोरावस्‍था तक पहुंचने के अवसर पर किया जाने वाला कार्यक्रम।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख