"गणेश जी की कथा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
छो (Text replacement - " मां " to " माँ ")
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{गणेश}}
 
{{गणेश}}
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही ग़रीब और अंधी थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव [[गणेश]] जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले- 'बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।' बुढ़िया बोली- 'मुझसे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?' तब गणेशजी बोले - 'अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।' तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- 'गणेशजी कहते हैं 'तू कुछ मांग ले' बता मैं क्या मांगू?' पुत्र ने कहा- 'मां! तू धन मांग ले।' बहू से पूछा तो बहू ने कहा- 'नाती मांग ले।' तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- 'बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिन्दगी आराम से कट जाए।'
+
<poem>
 +
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही ग़रीब और अंधी थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव [[गणेश]] जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-
 +
'बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।'
 +
बुढ़िया बोली- 'मुझसे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?'  
 +
तब गणेशजी बोले - 'अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।'  
 +
तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- 'गणेशजी कहते हैं 'तू कुछ मांग ले' बता मैं क्या मांगू?'  
 +
पुत्र ने कहा- 'मां! तू धन मांग ले।'  
 +
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- 'नाती मांग ले।'  
 +
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- 'बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी ज़िन्दगी आराम से कट जाए।'
  
इस पर बुढ़िया बोली- 'यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।' यह सुनकर तब गणेशजी बोले- 'बुढ़िया मां! तुने तो हमें ठग दिया। फिर भी जो तूने मांगा है बचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।' और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।
+
इस पर बुढ़िया बोली- 'यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।'  
 +
यह सुनकर तब गणेशजी बोले- 'बुढ़िया मां! तुने तो हमें ठग दिया। फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।' और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया माँ ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया माँ को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।  
 +
</poem>
 +
 
 +
 
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
 
{{कथा}}
 
{{कथा}}
 +
[[Category:गणेश]]
 
[[Category:कथा साहित्य कोश]]
 
[[Category:कथा साहित्य कोश]]
[[Category:कथा साहित्य]]
+
[[Category:कथा साहित्य]][[Category:हिन्दू धर्म]][[Category:धर्म कोश]]
 +
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

14:10, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

अन्य सम्बंधित लेख


एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही ग़रीब और अंधी थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-
 'बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।'
बुढ़िया बोली- 'मुझसे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?'
तब गणेशजी बोले - 'अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।'
तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- 'गणेशजी कहते हैं 'तू कुछ मांग ले' बता मैं क्या मांगू?'
पुत्र ने कहा- 'मां! तू धन मांग ले।'
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- 'नाती मांग ले।'
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- 'बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी ज़िन्दगी आराम से कट जाए।'

इस पर बुढ़िया बोली- 'यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।'
यह सुनकर तब गणेशजी बोले- 'बुढ़िया मां! तुने तो हमें ठग दिया। फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।' और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया माँ ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया माँ को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख