"पाटन" के अवतरणों में अंतर
रिंकू बघेल (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{सूचना बक्सा पर्यटन | ||
+ | |चित्र=Blank-Image-2.jpg | ||
+ | |चित्र का नाम= | ||
+ | |विवरण=पाटन [[गुजरात|गुजरात राज्य]] की एक प्राचीन नगर है। | ||
+ | |राज्य=[[गुजरात]] | ||
+ | |केन्द्र शासित प्रदेश= | ||
+ | |ज़िला= | ||
+ | |निर्माता= | ||
+ | |स्वामित्व= | ||
+ | |प्रबंधक= | ||
+ | |निर्माण काल= | ||
+ | |स्थापना= | ||
+ | |भौगोलिक स्थिति= | ||
+ | |मार्ग स्थिति= | ||
+ | |प्रसिद्धि= | ||
+ | |कब जाएँ= | ||
+ | |यातायात=बस, रेल, टैक्सी, विमान | ||
+ | |हवाई अड्डा=[[अहमदाबाद]] में स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। | ||
+ | |रेलवे स्टेशन= | ||
+ | |बस अड्डा= | ||
+ | |कैसे पहुँचें=हवाई जहाज, रेल, बस | ||
+ | |क्या देखें='मुल्नायक मंदिर', '[[मोदेरा सूर्य मंदिर]]', 'हिंगलाज माता मंदिर', 'स्वामीनारायण मंदिर' आदि। | ||
+ | |कहाँ ठहरें= | ||
+ | |क्या खायें= | ||
+ | |क्या ख़रीदें= | ||
+ | |एस.टी.डी. कोड= | ||
+ | |ए.टी.एम= | ||
+ | |सावधानी= | ||
+ | |मानचित्र लिंक= | ||
+ | |संबंधित लेख= | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी=[[गुजरात]] के पाटन नगर को मध्यकालीन [[अन्हिलवाड़]] से समीकृत किया जाता है, जो गुजरात के [[मेहसाणा]] के उत्तर-पश्चिम में 40 किलोमीटर दूर अवस्थित है। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन={{अद्यतन|17:11, 13 सितम्बर 2011 (IST)}} | ||
+ | }} | ||
'''पाटन''' या 'पाटण' [[गुजरात]] का एक नगर है, जो महसाणा से 25 मील {{मील|मील=25}} दूर है। स्थानीय जनश्रुति है कि [[महाभारत]] में उल्लिखित हिडिंब वन पाटन के निकट ही स्थित था और [[भीम]] ने [[हिडिंब]] राक्षस को मारकर उसकी बहिन [[हिडिंबा]] से यहीं [[विवाह]] किया था। पाटन के खण्डहर सहस्त्रलिंग झील के किनारे स्थित हैं। इसकी खुदाई में अनेक बहुमूल्य स्मारक मिले हैं| इनमें मुख्य हैं भीमदेव प्रथम की रानी उदयमती की बाव या बावड़ी, रानी महल और पार्श्वनाथ का मंदिर। ये सभी स्मारक [[वास्तुकला]] के सुंदर उदाहरण हैं। | '''पाटन''' या 'पाटण' [[गुजरात]] का एक नगर है, जो महसाणा से 25 मील {{मील|मील=25}} दूर है। स्थानीय जनश्रुति है कि [[महाभारत]] में उल्लिखित हिडिंब वन पाटन के निकट ही स्थित था और [[भीम]] ने [[हिडिंब]] राक्षस को मारकर उसकी बहिन [[हिडिंबा]] से यहीं [[विवाह]] किया था। पाटन के खण्डहर सहस्त्रलिंग झील के किनारे स्थित हैं। इसकी खुदाई में अनेक बहुमूल्य स्मारक मिले हैं| इनमें मुख्य हैं भीमदेव प्रथम की रानी उदयमती की बाव या बावड़ी, रानी महल और पार्श्वनाथ का मंदिर। ये सभी स्मारक [[वास्तुकला]] के सुंदर उदाहरण हैं। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
− | गुजरात के पाटन नगर को मध्यकालीन [[अन्हिलवाड़]] से समीकृत किया जाता हैं, जो गुजरात के [[मेहसाणा]] के उत्तर-पश्चिम में 40 किलोमीटर दूर अवस्थित है। [[चालुक्य वंश]] की एक शाखा के [[मूलराज प्रथम]] (942-995 ई.) ने गुजरात के एक बड़े भाग को जीतकर अन्हिलवाड़ को अपनी राजधानी बनाया था। मूलराज प्रथम ने अपने साम्राज्य का संतोषजनक विस्तार कर लिया था। मूलराज प्रथम ने वृद्धावस्था में अपने पुत्र चामुण्डराय के लिए सिंहासन त्याग दिया था। अन्हिलवाड़ 1025 ई. में [[महमूद गजनवी]] के आक्रमण का शिकार हुआ। उस समय यहाँ का शासक | + | गुजरात के पाटन नगर को मध्यकालीन [[अन्हिलवाड़]] से समीकृत किया जाता हैं, जो गुजरात के [[मेहसाणा]] के उत्तर-पश्चिम में 40 किलोमीटर दूर अवस्थित है। [[चालुक्य वंश]] की एक शाखा के [[मूलराज प्रथम]] (942-995 ई.) ने गुजरात के एक बड़े भाग को जीतकर अन्हिलवाड़ को अपनी राजधानी बनाया था। मूलराज प्रथम ने अपने साम्राज्य का संतोषजनक विस्तार कर लिया था। मूलराज प्रथम ने वृद्धावस्था में अपने पुत्र चामुण्डराय के लिए सिंहासन त्याग दिया था। अन्हिलवाड़ 1025 ई. में [[महमूद गजनवी]] के आक्रमण का शिकार हुआ। उस समय यहाँ का शासक भीमदेव प्रथम था। इस वंश का सबसे प्रतापी शासक जयसिंह सिद्धराज (1094-1153ई.) था। प्रसिद्ध [[जैन]] आचार्य एवं विद्धान [[हेमचन्द्र राय चौधरी|हेमचन्द्र]] उसके दरबार में था। हेमचन्द्र ने [[व्याकरण]], [[छन्द]], शब्द-शास्त्र, साहित्य कोश, [[इतिहास]], [[दर्शन]] आदि विभिन्न विषयों पर ग्रंथों की रचना की। कालांतर में 1178 ई. में [[आबू]] के निकट अन्हिलवाड़ के शासक मूलराज द्धितीय ने [[मुहम्मद गौरी]] को हराया। 1197 ई. में [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] ने गुजरात की राजधानी अन्हिलवाड़ को लूटा। उस समय भीमदेव द्धितीय यहाँ शासन कर रहा था। |
1299 ई. में [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] की सेना ने अन्हिलवाड़ के राजा कर्ण को हराया और उसकी राजधानी पर अधिकार कर लिया। गुजरात तब से लेकर 1401 ई. तक [[दिल्ली सल्तनत]] का प्रांत बना रहा। [[अहमदशाह]] (1411-1442ई.) ने अन्हिलवाड़ के स्थान पर नयी राजधानी [[अहमदाबाद]] बनायी। इसके साथ ही अन्हिलवाड़ (पाटन) के गौरव का सूर्य अस्त हो गया। | 1299 ई. में [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] की सेना ने अन्हिलवाड़ के राजा कर्ण को हराया और उसकी राजधानी पर अधिकार कर लिया। गुजरात तब से लेकर 1401 ई. तक [[दिल्ली सल्तनत]] का प्रांत बना रहा। [[अहमदशाह]] (1411-1442ई.) ने अन्हिलवाड़ के स्थान पर नयी राजधानी [[अहमदाबाद]] बनायी। इसके साथ ही अन्हिलवाड़ (पाटन) के गौरव का सूर्य अस्त हो गया। |
11:04, 3 नवम्बर 2016 का अवतरण
पाटन
| |
विवरण | पाटन गुजरात राज्य की एक प्राचीन नगर है। |
राज्य | गुजरात |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज, रेल, बस |
अहमदाबाद में स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। | |
बस, रेल, टैक्सी, विमान | |
क्या देखें | 'मुल्नायक मंदिर', 'मोदेरा सूर्य मंदिर', 'हिंगलाज माता मंदिर', 'स्वामीनारायण मंदिर' आदि। |
अन्य जानकारी | गुजरात के पाटन नगर को मध्यकालीन अन्हिलवाड़ से समीकृत किया जाता है, जो गुजरात के मेहसाणा के उत्तर-पश्चिम में 40 किलोमीटर दूर अवस्थित है। |
अद्यतन | 17:11, 13 सितम्बर 2011 (IST)
|
पाटन या 'पाटण' गुजरात का एक नगर है, जो महसाणा से 25 मील (लगभग 40 कि.मी.) दूर है। स्थानीय जनश्रुति है कि महाभारत में उल्लिखित हिडिंब वन पाटन के निकट ही स्थित था और भीम ने हिडिंब राक्षस को मारकर उसकी बहिन हिडिंबा से यहीं विवाह किया था। पाटन के खण्डहर सहस्त्रलिंग झील के किनारे स्थित हैं। इसकी खुदाई में अनेक बहुमूल्य स्मारक मिले हैं| इनमें मुख्य हैं भीमदेव प्रथम की रानी उदयमती की बाव या बावड़ी, रानी महल और पार्श्वनाथ का मंदिर। ये सभी स्मारक वास्तुकला के सुंदर उदाहरण हैं।
इतिहास
गुजरात के पाटन नगर को मध्यकालीन अन्हिलवाड़ से समीकृत किया जाता हैं, जो गुजरात के मेहसाणा के उत्तर-पश्चिम में 40 किलोमीटर दूर अवस्थित है। चालुक्य वंश की एक शाखा के मूलराज प्रथम (942-995 ई.) ने गुजरात के एक बड़े भाग को जीतकर अन्हिलवाड़ को अपनी राजधानी बनाया था। मूलराज प्रथम ने अपने साम्राज्य का संतोषजनक विस्तार कर लिया था। मूलराज प्रथम ने वृद्धावस्था में अपने पुत्र चामुण्डराय के लिए सिंहासन त्याग दिया था। अन्हिलवाड़ 1025 ई. में महमूद गजनवी के आक्रमण का शिकार हुआ। उस समय यहाँ का शासक भीमदेव प्रथम था। इस वंश का सबसे प्रतापी शासक जयसिंह सिद्धराज (1094-1153ई.) था। प्रसिद्ध जैन आचार्य एवं विद्धान हेमचन्द्र उसके दरबार में था। हेमचन्द्र ने व्याकरण, छन्द, शब्द-शास्त्र, साहित्य कोश, इतिहास, दर्शन आदि विभिन्न विषयों पर ग्रंथों की रचना की। कालांतर में 1178 ई. में आबू के निकट अन्हिलवाड़ के शासक मूलराज द्धितीय ने मुहम्मद गौरी को हराया। 1197 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुजरात की राजधानी अन्हिलवाड़ को लूटा। उस समय भीमदेव द्धितीय यहाँ शासन कर रहा था।
1299 ई. में अलाउद्दीन ख़िलज़ी की सेना ने अन्हिलवाड़ के राजा कर्ण को हराया और उसकी राजधानी पर अधिकार कर लिया। गुजरात तब से लेकर 1401 ई. तक दिल्ली सल्तनत का प्रांत बना रहा। अहमदशाह (1411-1442ई.) ने अन्हिलवाड़ के स्थान पर नयी राजधानी अहमदाबाद बनायी। इसके साथ ही अन्हिलवाड़ (पाटन) के गौरव का सूर्य अस्त हो गया।
|
|
|
|
|