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'''रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे''' (जन्म- [[3 जुलाई]] [[1886]], मृत्यु- [[6 जून]], [[1957]]) दर्शन के प्रसिद्ध विद्वान थे और वे [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में दर्शन विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर के पद पर रहे। इसके बाद इसी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भी बने।
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'''रामचंद्र वर्मा''' (जन्म- [[1890]], [[वाराणसी]], मृत्यु-[[1969]] ) ने अपना जीवन पत्रकार के रूप में आरम्भ किया। विद्यालयी शिक्षा बहुत कम मिलने के बाद भी अपने अध्यवसाय से उन्होंने [[हिंदी]], [[उर्दू]], [[फारसी भाषा|फारसी]], [[मराठी]], [[बंगला भाषा|बंगला]], [[गुजराती]], [[अंग्रेजी]] आदि [[भाषा|भाषाओं]] का बहुत अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे का जन्म 3 जुलाई 1886 को हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद आप [[पूना]] के फर्ग्यूसन कॉलेज में पहले [[अंग्रेजी]] के और फिर तत्वज्ञान के प्राध्यापक नियुक्त हुए। बाद में आपने यह कार्य छोड़कर 'अध्यात्म विद्यापीठ' नामक संस्था की स्थापना की। दिसम्बर 1927 ई. में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दर्शन विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=729|url=}}</ref>
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रामचंद्र वर्मा का जन्म 1890 ई. में वाराणसी में हुआ था। रामचंद्र वर्मा को विद्यालय में शिक्षा बहुत कम मिल पाई थी। उनकी हिंदी सेवाओं के लिए [[भारत सरकार]] ने '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया था। वर्माजी ने अपना जीवन पत्रकारिता से आरम्भ किया था। [[1907]] ई. में उन्होंने [[नागपुर]] के पत्र 'हिंदी केसरी' के सम्पादक का पद ग्रहण किया। कुछ समय तक बांकीपुर के पत्र 'बिहार बंधु' के संपादक  रहे। उसके बाद वे  [[1910]] से [[1929]] तक  काशी नागरी प्रचारिणी सभा के हिंदी शब्द सागर के सहायक संपादक के पद पर रहे। आपने आजीवन लोगों को शुद्ध हिंदी लिखने और बोलने के लिए प्रेरित किया।{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=729|url=}}
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==रचना==
 
==रचना==
रानाडे की अध्यात्मिक विषयों पर शोध करना और उनके  प्रचार-प्रसार करने में रुचि थी। आपने [[सांगली]] में 'अध्यात्म विद्या मंदिर' की स्थापना की। अंग्रेजी और [[मराठी]] में [[1922]] और [[1927]] के बीच आपने [[भारतीय दर्शन]] और [[अध्यात्म]] पर 13 मानक ग्रंथों की रचना की। आपने 'अध्यात्म विद्यापीठ' नामक संस्था की स्थापना की। इसका उद्देश्य 16 खंडों में भारतीय दर्शन का इतिहास प्रकाशित करना था। इस क्रम में कुछ खंड प्रकाशित हो चुके थे।
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हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित 5 खंडों का 'मानक हिंदी कोश' रामचंद्र वर्मा जी के परिश्रम का ही फल है। 'संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर' के संपादन का और विभिन्न भाषाओं के प्रसिद्ध ग्रंथों के अनुवाद का श्रेय भी आपको है।
 
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====चर्चित गृंथ====
==मृत्यु==
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रामचंद्र वर्मा जी के कुछ चर्चित ग्रंथ रहे हैं जो इस प्रकार हैं:
रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे का [[6 जून]], [[1957]] ई. को निधन हो गया।
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#'अच्छी हिंदी'
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रामचंद्र वर्मा जी द्वारा की गईं हिंदी सेवाओं के लिए भारत सरकार उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया है।
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प्रसिद्ध हिंदीसेवी रामचंद्र वर्मा का जन्म 1890ई. में वाराणसी में हुआ था। विद्यालयी शिक्षा उनको बहुत कम मिल पाई, किंतु अपने अध्यवसाय से उन्होंने हिंदी, उर्दू, फारसी, मराठी, बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि भाषाओं का बहुत अच्छाअध्ययन कर लिया था।
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        वर्माजी ने अपना जीवन पत्रकार के रूप में आरम्भ किया। 1907 ई. में वे नागपुर के पत्र 'हिंदी केसरी' के सम्पादक बने। कुछ समय तक बांकीपुर के पत्र 'बिहार  बंधु' के संपादक  रहे। उसके बाद काशी नागरी प्रचारिणी सभा के हिंदी शब्द सागर के सहायक संपादक के पद पर रहे। इस पद पर वे  1910  ईसवी से 1929 तक रहे।उन्होंने 'संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर' का भी संपादन किया। विभिन्न भाषाओं की एक प्रसिद्ध ग्रंथों के अनुवाद का श्रेय भी उनको है। वे आजीवन लोगों का ध्यान शुद्ध हिंदी लिखने और बोलने की ओर आकृष्ट करते रहे। हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित 5 खंडों का 'मानक हिंदी कोश' भी उन्हीं के परिश्रम का फल है। उनके अन्य चर्चित ग्रंथ हैं‌‌- 'अच्छी हिंदी' 'हिंदी प्रयोग' 'हिंदी कोश रचना' प्रामाणिक हिंदी कोश, उर्दू हिंदी  कोश आदि।
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रामचंद्र वर्मा को उनकी हिंदी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था।1969 ईस्वी में वर्मा जी का देहांत हो गया।
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भारतीय चरित्र कोश 729

08:13, 10 जून 2018 का अवतरण

रामचंद्र वर्मा (जन्म- 1890, वाराणसी, मृत्यु-1969 ) ने अपना जीवन पत्रकार के रूप में आरम्भ किया। विद्यालयी शिक्षा बहुत कम मिलने के बाद भी अपने अध्यवसाय से उन्होंने हिंदी, उर्दू, फारसी, मराठी, बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि भाषाओं का बहुत अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

परिचय

रामचंद्र वर्मा का जन्म 1890 ई. में वाराणसी में हुआ था। रामचंद्र वर्मा को विद्यालय में शिक्षा बहुत कम मिल पाई थी। उनकी हिंदी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था। वर्माजी ने अपना जीवन पत्रकारिता से आरम्भ किया था। 1907 ई. में उन्होंने नागपुर के पत्र 'हिंदी केसरी' के सम्पादक का पद ग्रहण किया। कुछ समय तक बांकीपुर के पत्र 'बिहार बंधु' के संपादक रहे। उसके बाद वे 1910 से 1929 तक काशी नागरी प्रचारिणी सभा के हिंदी शब्द सागर के सहायक संपादक के पद पर रहे। आपने आजीवन लोगों को शुद्ध हिंदी लिखने और बोलने के लिए प्रेरित किया। भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 729 |


रचना

हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित 5 खंडों का 'मानक हिंदी कोश' रामचंद्र वर्मा जी के परिश्रम का ही फल है। 'संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर' के संपादन का और विभिन्न भाषाओं के प्रसिद्ध ग्रंथों के अनुवाद का श्रेय भी आपको है।

चर्चित गृंथ

रामचंद्र वर्मा जी के कुछ चर्चित ग्रंथ रहे हैं जो इस प्रकार हैं:

  1. 'अच्छी हिंदी'
  2. 'हिंदी प्रयोग'
  3. 'हिंदी कोश रचना'
  4. प्रामाणिक हिंदी कोश,
  5. उर्दू हिंदी कोश आदि।

विशेष

रामचंद्र वर्मा जी द्वारा की गईं हिंदी सेवाओं के लिए भारत सरकार उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया है।

मृत्यु

रामचंद्र वर्मा जी का 1969 ईस्वी में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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प्रसिद्ध हिंदीसेवी रामचंद्र वर्मा का जन्म 1890ई. में वाराणसी में हुआ था। विद्यालयी शिक्षा उनको बहुत कम मिल पाई, किंतु अपने अध्यवसाय से उन्होंने हिंदी, उर्दू, फारसी, मराठी, बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि भाषाओं का बहुत अच्छाअध्ययन कर लिया था।

        वर्माजी ने अपना जीवन पत्रकार के रूप में आरम्भ किया। 1907 ई. में वे नागपुर के पत्र 'हिंदी केसरी' के सम्पादक बने। कुछ समय तक बांकीपुर के पत्र 'बिहार  बंधु' के संपादक  रहे। उसके बाद काशी नागरी प्रचारिणी सभा के हिंदी शब्द सागर के सहायक संपादक के पद पर रहे। इस पद पर वे  1910  ईसवी से 1929 तक रहे।उन्होंने 'संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर' का भी संपादन किया। विभिन्न भाषाओं की एक प्रसिद्ध ग्रंथों के अनुवाद का श्रेय भी उनको है। वे आजीवन लोगों का ध्यान शुद्ध हिंदी लिखने और बोलने की ओर आकृष्ट करते रहे। हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित 5 खंडों का 'मानक हिंदी कोश' भी उन्हीं के परिश्रम का फल है। उनके अन्य चर्चित ग्रंथ हैं‌‌- 'अच्छी हिंदी' 'हिंदी प्रयोग' 'हिंदी कोश रचना' प्रामाणिक हिंदी कोश, उर्दू हिंदी  कोश आदि।

रामचंद्र वर्मा को उनकी हिंदी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था।1969 ईस्वी में वर्मा जी का देहांत हो गया।

भारतीय चरित्र कोश 729