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बेलूर, [[कर्नाटक]] राज्य के [[हासन ज़िला|हासन ज़िले]] का एक ऐतिहासिक स्थान है। बेलूर श्रवणबेलगोला से 22 मील दूर है। [[मध्यकाल]] में यहाँ [[होयसल वंश|होयसल राज्य]] की राजधानी थी।  
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बेंगलुरु-हरिहर पुणे लाइन के वाणावर स्टेशन से बेलूर 16 मील दक्षिण पश्चिम में है। बाबा बुदन पहाड़ी से निकली मागची नदी बेलूर को छूती हुई बहती है। हेलेविड से मोटर बस के रास्ते यह 10 मील दूर है। यह स्थान मोटर बसों का केंद्र है। यहां से आर सी केरे, हेलेविड, वाणावर, चिकमगलूर आदि को बसे जाती हैं। ठहरने के लिए यहां एक डाक बंगला है।
 
==चेन्नाकेशव का प्रसिद्ध मन्दिर==
 
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मंदिर नक्षत्र की आकृति का है। प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुख है। मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर एक चतुष्कोण मंडप आता है। वह मंडप खुला है। भगवान की मूर्ति लगभग 7 फुट ऊंची चतुर्भुज है। उनके साथ उनके दाहिने भूदेवी और बायें में लक्ष्मी देवी, श्रीदेवी है। [[शंख]], चक्र, गदा और पद्म उनके हाथों में है।
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बेलूर में चेन्नाकेशव मंदिर के अतिरिक्त कप्पे चेन्निंग राय का मंदिर भी है, जो इस मंदिर के दक्षिण में स्थित है। इसका निर्माण विष्णुवर्धन की महारानी ने कराया था। इसमें 5 मूर्तियां हैं। श्री गणेश, श्री सरस्वती, श्री लक्ष्मी नारायण, लक्ष्मी श्रीधर और दुर्गा महिषासुर मर्दिनी। इनके अतिरिक्त एक मूर्ति श्री वेणुगोपाल की है। यह मंदिर एक ऊंची दीवार के घेरे में चबूतरे पर स्थित है। यहां की मूर्तिकला अद्भुत है। मंदिर के पिछले एवं बगल की भित्तियों में जो मूर्तियां अंकित हैं, वे अजीब सी लगती हैं। इतनी सुंदर मूर्तियां अन्यत्र कठिनाई से मिलती हैं। मंदिर के जगमोहन में भी बारीक खुदाई का काम है। पूरा मंदिर निपुण कला का एक श्रेष्ठ प्रतीक है।<ref>कल्याण विशेषांक तीर्थ अंक, प्रश्न संख्या 314</ref>
  
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06:37, 17 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

चेन्नाकेशव मंदिर, बेलूर
Chennakeshava Temple, Belur

बेलूर कर्नाटक राज्य के हासन ज़िले का एक ऐतिहासिक स्थान है। यह श्रवणबेलगोला से 22 मील दूर है। मध्य काल में यहाँ होयसल राज्य की राजधानी थी।

स्थिति

बेंगलुरु-हरिहर पुणे लाइन के वाणावर स्टेशन से बेलूर 16 मील दक्षिण पश्चिम में है। बाबा बुदन पहाड़ी से निकली मागची नदी बेलूर को छूती हुई बहती है। हेलेविड से मोटर बस के रास्ते यह 10 मील दूर है। यह स्थान मोटर बसों का केंद्र है। यहां से आर सी केरे, हेलेविड, वाणावर, चिकमगलूर आदि को बसे जाती हैं। ठहरने के लिए यहां एक डाक बंगला है।

चेन्नाकेशव का प्रसिद्ध मन्दिर

चेन्नाकेशव का प्रसिद्ध मन्दिर भी बेलूर में स्थित है। होयसल वंशीय नरेश विष्णुवर्धन का 1117 ई. में बनवाया हुआ चेन्नाकेशव का प्रसिद्ध मन्दिर बेलूर की ख्याति का कारण है। इस मन्दिर को, जो स्थापत्य एवं मूर्तिकला की दृष्टि से भारत के सर्वोत्तम मन्दिरों में है, मुसलमानों ने कई बार लूटा, किन्तु हिन्दू नरेशों ने बार-बार इसका जीर्णोद्वार करवाया। मन्दिर 178 फुट लम्बा और 156 फुट चौड़ा है। परकोटे में तीन प्रवेशद्वार हैं, जिनमें सुन्दिर मूर्तिकारी है। इसमें अनेक प्रकार की मूर्तियाँ जैसे हाथी, पौराणिक जीव-जन्तु, मालाएँ, स्त्रियाँ आदि उत्कीर्ण हैं।

मंदिर नक्षत्र की आकृति का है। प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुख है। मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर एक चतुष्कोण मंडप आता है। वह मंडप खुला है। भगवान की मूर्ति लगभग 7 फुट ऊंची चतुर्भुज है। उनके साथ उनके दाहिने भूदेवी और बायें में लक्ष्मी देवी, श्रीदेवी है। शंख, चक्र, गदा और पद्म उनके हाथों में है।

कप्पे चेन्निंग राय का मंदिर

बेलूर में चेन्नाकेशव मंदिर के अतिरिक्त कप्पे चेन्निंग राय का मंदिर भी है, जो इस मंदिर के दक्षिण में स्थित है। इसका निर्माण विष्णुवर्धन की महारानी ने कराया था। इसमें 5 मूर्तियां हैं। श्री गणेश, श्री सरस्वती, श्री लक्ष्मी नारायण, लक्ष्मी श्रीधर और दुर्गा महिषासुर मर्दिनी। इनके अतिरिक्त एक मूर्ति श्री वेणुगोपाल की है। यह मंदिर एक ऊंची दीवार के घेरे में चबूतरे पर स्थित है। यहां की मूर्तिकला अद्भुत है। मंदिर के पिछले एवं बगल की भित्तियों में जो मूर्तियां अंकित हैं, वे अजीब सी लगती हैं। इतनी सुंदर मूर्तियां अन्यत्र कठिनाई से मिलती हैं। मंदिर के जगमोहन में भी बारीक खुदाई का काम है। पूरा मंदिर निपुण कला का एक श्रेष्ठ प्रतीक है।[1]

इस मंदिर के घेरे में कई मंदिर और हैं। एक लक्ष्मी जी का मंदिर है और एक शिव का मंदिर है, जिसमें 7 फीट से भी ऊंचा शिवलिंग प्रतिष्ठित है। बेलूर का प्राचीन नाम बेलापुर था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कल्याण विशेषांक तीर्थ अंक, प्रश्न संख्या 314

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