शिला देवी मंदिर

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शिला देवी मंदिर राजस्थान में आमेर के महल में स्थित एक छोटा-सा मंदिर है। शिला देवी जयपुर के कछवाहा वंशीय राजाओं की कुल देवी रही हैं। मंदिर शिला माता के 'लक्खी मेले' के लिए प्रसिद्ध है। नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ माता के दर्शनों के लिए आती है। वर्तमान मंदिर में राजकीय गुणों के सभी अंश और धार्मिक संस्थानों की प्राचीन वस्तुशिल्प शैली के मूल्य विद्यमान हैं। शिला देवी के पार्श्व में गणेश और मीणा कुल की देवीमाता 'हिंगला' की मूर्तियाँ हैं। नवरात्रों में यहाँ दो मेले लगते हैं। इनमें देवी को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि दी जाती है।

आमेर महल के जलेब चौक के दक्षिणी भाग में शिला माता का छोटा लेकिन ऐतिहासिक मंदिर है। शिला माता राजपरिवार की कुल देवी है। शिला माता का मंदिर जलेब चौक से दूसरे स्तर पर मौजूद है यहां से कुछ सीढिया मंदिर तक पहुंचती हैं। शिला देवी अम्बा माता का ही रूप हैं। कहा जाता है आमेर का नाम अम्बा माता के नाम पर ही आम्बेर पड़ा था। एक शिला पर माता की प्रतिमा उत्कीर्ण होने के कारण इसे शिला देवी कहा जाता है। यह प्रतिमा बंगाल में जैसोर के राजा ने जयपुर के महाराजा मानसिंह से पराजित होने के बाद उन्हें भेंट की थी। प्रतिमा का टेढ़ा चेहरा इसकी खासियत है। मंदिर में 1972 तक पशु बलि दी जाती थी लेकिन जैन धर्मावलंबियों के विरोध के चलते यह बंद कर दी गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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