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+ | {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=94|url=}} | ||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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− | [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | + | [[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:तमिलनाडु]][[Category:तमिलनाडु के धार्मिक स्थल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] |
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08:07, 15 सितम्बर 2016 का अवतरण
अहोबिल हिन्दुओं के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है। नन्दपाल स्टेशन से 22 मील अल्लागड्डा तक मोटर बस और फिर 12 मील पैदल या बैलगाड़ी का मार्ग है। मसलीपट्टम- हुबली रेलमार्ग पर नंदयाल स्टेशन से लगभग 34 मील दूर है। इस प्राचीन तीर्थ का संबंध श्री राम तथा अर्जुन से बताया जाता है।
यह रामानुज संप्रदाय का एक आचार्य पीठ है। यहाँ के आचार्य शठकोपाचार्य कहे जाते हैं। कहा जाता है कि यहीं प्रगट होकर नृसिंह भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा की। यह दैत्यराज हिरण्यकशिपु की राजधानी थी। यहाँ शृंगवेलकुंड है। उसके समीप ही नृसिंह मंदिर है। वस्ती के समीप पहाड़ी है। उसके मध्य में तथा शिखर पर भी एक एक मंदिर है। यहीं भवनाशिनी नदी है। यह नव नृसिंह क्षेत्र है।
यहाँ नृसिंह भगवान के नौ विग्रह हैं-
- ज्वालानृसिंह
- अहोविल नृसिंह
- मालोल नृसिंह
- कोड नृसिंह
- कारञ्च नृसिंह
- भार्गव नृसिंह
- योगानन्द नृसिंह
- छत्रवट नृसिंह
- पावन नृसिंह
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 94 |