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'''इलैयाराजा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ilaiyaraaja'', जन्म- [[2 जून]], [[1943]], [[तमिलनाडु]]) भारतीय फ़िल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार तथा गायक हैं। इन्होंने मुख्यतः दक्षिण भारतीय भाषाओं में बनी फ़िल्मों में संगीत दिया है। [[2018]] में इन्हें '[[पद्म विभूषण]]' से सम्मानित किया गया था।
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==परिचय==
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इलैयाराजा ने 'सागर संगम' ([[1984]]), 'सिंधु भैरवी' ([[1986]]) और 'रुद्रवेना' ([[1989]]) फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। उन्होंने मलयालम फिल्म 'पजास्सी राजा' ([[2010]]) के लिए सर्वश्रेष्ठ पृष्ठभूमि स्कोर के लिए भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। उन्हें फिल्म 'विश्व थुलासी' ([[2005]]) के लिए वर्ल्डफेस्ट-ह्यूस्टन फिल्म फेस्टिवल में फिल्म संगीतकार एम. एस. विश्वनाथन के साथ संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ संगीत स्कोर के लिए गोल्ड रेमी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
  
 
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17:15, 30 मई 2021 के समय का अवतरण

इलैयाराजा
इलैयाराजा
पूरा नाम इलैयाराजा
जन्म 2 जून, 1943
जन्म भूमि ज़िला तेनी, तमिलनाडु
अभिभावक पिता- डैनियल रामास्वामी

माता- चिन्नाथयमल

कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र तमिल सिनेमा
मुख्य फ़िल्में 'पजास्सी राजा' (2010), 'सागर संगम' (1984), 'सिंधु भैरवी' (1986) और 'रुद्रवेना' (1989), 'पल्लवी अनुपल्लवी’ आदि।
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण (2018), गोल्ड रेमी अवॉर्ड
प्रसिद्धि संगीतकार, गीतकार, गायक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी टेलीकॉम कंपनी आइडिया प्रीपेड की सिग्नेचर ट्यून दक्षिण के लोकप्रिय संगीतकार इलैयाराजा के संगीत से प्रेरित थी। कहते हैं कि ट्यून को उनके एक गाने ‘नगूवा नयना मधुरा मौना’ से लिया गया था।
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इलैयाराजा (अंग्रेज़ी: Ilaiyaraaja, जन्म- 2 जून, 1943, तमिलनाडु) भारतीय फ़िल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, गायक, वाद्य यंत्र वादक, ऑर्केस्ट्रेटर और कंडक्टर-एनेजर हैं। इन्होंने मुख्यतः दक्षिण भारतीय भाषाओं में बनी फ़िल्मों में संगीत दिया है। 2018 में इन्हें 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था।

परिचय

इलैयाराजा का जन्म तमिलनाडु के तेनी जिले में पनिपुरम के एक गरीब ग्रामीण दलित परिवार में हुआ था। इलैयाराजा डैनियल रामास्वामी और चिन्नाथयमल के तीसरे बेटे थे। उनका बचपन गांव में ही बीता। बचपन से ही तमिल लोक संगीत को सुनना बेहद पसंद था। 14 वर्ष की उम्र में वह अपने बड़े सौतेले भाई पावलर वरदराजन की अध्यक्षता में एक यात्रा संगीत मंडल में शामिल हो गए और अगले दशक में पूरे दक्षिण भारत में प्रदर्शन किया।

साल 1968 में इलैयाराजा ने मद्रास (अब चेन्नई) में प्रोफेसर धनराज के साथ एक संगीत पाठ्यक्रम शुरू किया, जिसमें पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का एक सिंहावलोकन, काउंटरपॉइंट जैसी तकनीकों में रचनात्मक प्रशिक्षण और वाद्य प्रदर्शन में अध्ययन शामिल था। इलैयाराजा ने शास्त्रीय गिटार में विशिष्ट और लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक के साथ इसमें एक कोर्स भी किया हुआ है।

फ़िल्म 'पल्लवी अनुपल्लवी'

  • टेलीकॉम कंपनी आइडिया प्रीपेड की सिग्नेचर ट्यून दक्षिण के लोकप्रिय संगीतकार इलैयाराजा के संगीत से प्रेरित थी। कहते हैं कि ट्यून को उनके एक गाने ‘नगूवा नयना मधुरा मौना’ से लिया गया था। 1983 में यह गीत दक्षिण भारत में काफी मशहूर था और लोगों की जुबान पर भी। वहीं, इस गाने से एक और खास बात जुड़ी है। दरअसल यह गाना हिंदी सिनेमा के अभिनेता अनिल कपूर पर फिल्माया गया था। उस पिक्चर का नाम ‘पल्लवी अनुपल्लवी’ था, जिसमें किरन वैराले अनिल कपूर की अभिनेत्री थीं। अब तक कई हिट फिल्में दे चुके मंझे हुए निर्देशक मणिरत्नम ने पिक्चर को निर्देशित किया था।
  • ‘पल्लवी अनुपल्लवी’ एक ऐसी प्रेम कहानी पर आधारित फिल्म थी, जिसमें कम उम्र का युवक एक शादीशुदा महिला के प्यार में पड़ जाता है, जो अपने पति से अलग हो चुकी होती है। परिवारिक बाध्यताएं, सामाजिक बेड़ियों और कई समस्याओं से संघर्ष करती कहानी फिल्म को दिलचस्प बनाती है। इन सबके बीच प्यार की नई परिभाषा भी तलाशती है।

पुरस्कार व सम्मान

इलैयाराजा ने 'सागर संगम' (1984), 'सिंधु भैरवी' (1986) और 'रुद्रवेना' (1989) फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। उन्होंने मलयालम फिल्म 'पजास्सी राजा' (2010) के लिए सर्वश्रेष्ठ पृष्ठभूमि स्कोर के लिए भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। उन्हें फिल्म 'विश्व थुलासी' (2005) के लिए वर्ल्डफेस्ट-ह्यूस्टन फिल्म फेस्टिवल में फिल्म संगीतकार एम. एस. विश्वनाथन के साथ संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ संगीत स्कोर के लिए गोल्ड रेमी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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