एल. वी. प्रसाद

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अक्कीनेनी लक्ष्मी वारा प्रसाद राव (जन्म- 17 जनवरी, 1908, आन्ध्र प्रदेश; मृत्यु- 22 जून, 1994]) भारतीय सिनेमा में एक सफल फ़िल्मकार के रूप में याद किये जाते हैं। एन. टी. रामाराव सहित कई कलाकारों के सिने कैरियर में चार चाँद लगाने वाले एल. वी. प्रसाद दक्षिण भारत की विभिन्न भाषाओं के अलावा हिन्दी फिल्मों में भी सफल रहे थे। उन्होंने सामाजिक उद्देश्यों के साथ कई मनोरंजक फिल्में बनाईं।

जन्म तथा शिक्षा

एल. वी. प्रसाद का जन्म 17 जनवरी, 1908 को आन्ध्र प्रदेश के इलुरु तालुक में एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम अक्कीनेनी श्रीरामुलु और माता बासवम्मा थीं। एल. वी. प्रसाद का लालन-पालन बहुत ही लाड़-प्यार के साथ हुआ था। वे प्रारम्भ से ही बहुत बुद्धिमान थे, किंतु उनका पढ़ाई में ध्यान बिल्कुल भी नहीं लगता था। कम उम्र में ही वे नाटकों और नृत्य मंडलियों की ओर आकर्षित हो गए थे। इन्हीं सपनों को लेकर वे एक दिन घर छोड़कर मुंबई चले आये। लेकिन उनका ये सफर आसान नहीं रहा और उन्हें तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। दृढ़ निश्चयी एल. वी. प्रसाद ने हार नहीं मानी और अंतत: सफलता ने उनके कदम चूमे।[1]

फ़िल्मी शुरुआत

एल. वी. प्रसाद ने भारत की तीन भाषाओं की पहली बोलती फिल्मों में काम किया। उन्होंने वर्ष 1931 में प्रदर्शित आर्देशिर ईरानी की फ़िल्म 'आलम आरा' के अतिरिक्त 'कालिदास' और 'भक्त प्रह्लाद' में काम किया। 'आलम आरा' जहाँ हिन्दी की पहली बोलती फिल्म थी, वहीं 'कालिदास' पहली तमिल भाषा की बोलती फिल्म थी और 'भक्त प्रह्लाद' पहली तेलुगु बोलती फिल्म थी।

प्रसिद्ध कलाकारों के साथ कार्य

एल. वी. प्रसाद ने हिन्दी भाषा में कई चर्चित फिल्में बनाईं। इन फिल्मों में 'शारदा', 'छोटी बहन', 'बेटी बेटे', 'दादी माँ', 'शादी के बाद', 'हमराही', 'मिलन', 'राजा और रंक', 'खिलौना', 'एक दूजे के लिए' आदि शामिल हैं। उनकी फिल्में प्राय: सामाजिक उद्देश्यों के साथ स्वस्थ मनोरंजन पर केंद्रित हुआ करती थीं। उन्होंने प्रसिद्ध कलाकारों राज कपूर, मीना कुमारी, संजीव कुमार, कमल हासन, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त, अशोक कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, शशि कपूर, प्राण, मुमताज और राखी जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया।[1]

महमूद की हास्य भूमिका

वर्ष 1961 में एल. वी. प्रसाद की फिल्म 'ससुराल' से अभिनेता महमूद पूरी तरह कॉमेडियन बन गए। वे अब अधिकांश फ़िल्मों में हास्य भूमिका ही निभाने लगे थे। राजेंद्र कुमार और वी. सरोजा देवी अभिनीत इस फिल्म में उनके अपोजिट शुभा खोटे थीं। शुभा खोटे के साथ महमूद की जोड़ी बहुत हिट हुई। यह जोड़ी बाद में फ़िल्म 'दिल तेरा दीवाना', 'गोदान', 'हमराही', 'गृहस्थी', 'भरोसा', 'जिद्दी' और 'लव इन टोकियो' जैसी अनेक फिल्मों में भी आई।[2]

पुरस्कार व सम्मान

जीवन के अंतिम दौर तक सार्वजनिक रूप से सक्रिय रहे एल. वी. प्रसाद को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से भी नवाजा गया था, जिनमें फिल्मों में योगदान के लिए दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान "दादा साहब फाल्के पुरस्कार" शामिल है।

निधन

भारतीय सिनेमा में विशिष्ट योगदान देने वाले एल. वी. प्रसाद का निधन 22 जून, 1994 हुआ। प्रसाद जी ऐसे फिल्मकार के रूप में प्रसिद्ध थे, जो एक ही साथ कई विभिन्न भाषाओं में फिल्म बनाते रहे। उनकी फिल्मों में जहाँ कहानी और संवाद पर विशेष तौर पर काम किया जाता था, वहीं संगीत पक्ष पर भी काफी जोर दिया जाता था। उनकी फिल्मों के कई गीत अब भी काफ़ी लोकप्रिय हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 सफल फ़िल्मकार एल.वी. प्रसाद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 फ़रवरी, 2013।
  2. मस्ताना कॉमेडियन (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 फ़रवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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