गुलशन राय

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गुलशन राय
गुलशन राय
गुलशन राय
पूरा नाम गुलशन राय
जन्म 2 मार्च, 1924
जन्म भूमि लाहौर, अविभाजित भारत
मृत्यु 11 अक्टूबर, 2004
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
संतान राजीव राय
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र फ़िल्म निर्माण
मुख्य फ़िल्में 'जॉनी मेरा नाम ', 'दीवार', 'त्रिशूल', 'त्रिदेव', 'विश्वात्मा', 'मोहरा', 'गुप्त' आदि।
प्रसिद्धि हिन्दी फ़िल्म निर्माता व वितरक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 1970 के दशक में गुलशन राय की यश चोपड़ा निर्देशित फिल्मों ने अमिताभ बच्चन को एक सुपरस्टार बनाया और पटकथा लेखकों सलीम-जावेद के लिए सफल कॅरियर प्रारंभ किया।

गुलशन मदहोश राय (अंग्रेज़ी: Gulshan Madhosh Rai, जन्म- 2 मार्च, 1924; मृत्यु- 11 अक्टूबर, 2004) का नाम हिंदी सिनेमा में सब जानते हैं। अमिताभ बच्चन के कॅरियर को दिशा देने वाली दो फिल्मों ‘दीवार’ और ‘त्रिशूल’ के निर्माता गुलशन राय ही थे। और भी तमाम फिल्में उन्होंने दूसरे निर्देशकों और सुपरस्टार्स के साथ बनाईं। इन फिल्मों से गुलशन राय के बेटे राजीव राय करीब से जुड़े रहे और जब वह खुद फिल्म निर्देशन करने के काबिल हुए तो गुलशन राय ने उन्हें सौंपे उस वक्त के दो उभरते कलाकार जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर। फिल्म का नाम था- युद्ध’। ये फिल्म पहले संजय दत्त और राज किरन के साथ बननी थी। फिल्म लॉन्च भी हुई गुलशन राय की सुपर डुपर हिट फिल्म ‘विधाता’ के साथ ही। फिल्म का मुहूर्त क्लैप देने खुद सुनील दत्त आए थे। लेकिन, उन्हीं दिनों संजय दत्त नशे की गिरफ्त में आए। इसी फिल्म की स्क्रिप्ट सुनकर लौटते समय उनका एक्सीडेंट भी हुआ और गुलशन राय ने उन्हें फिल्म से निकाल दिया।[1]

परिचय

गुलशन राय का जन्म 2 मार्च, 1924 में आज़ादी से पूर्व लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद वह 1947 में मुम्बई आ गए। उन्होंने हिन्दी फिल्म उद्योग में एक वितरक के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया। 1970 में उन्होंने अपनी उत्पादन कंपनी 'त्रिमूर्ति फिल्म्स' की शुरुआत की और पहली फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' निर्मित की जो सफल रही थी। सन 1970 के दशक में गुलशन राय की यश चोपड़ा निर्देशित फिल्मों ने अमिताभ बच्चन को एक सुपरस्टार बनाया और पटकथा लेखकों सलीम-जावेद के लिए सफल कॅरियर प्रारंभ किया।

जैकी और अनिल की हिट जोड़ी

फिल्म ‘युद्ध’ की शूटिंग जब शुरू हुई तो जैकी श्रॉफ की बतौर हीरो पहली फिल्म ‘हीरो’ रिलीज हो चुकी थी। अनिल कपूर इस लिहाज से जैकी श्रॉफ से थोड़ा सीनियर हैं कि उनकी फिल्में जैकी श्रॉफ की पहली फिल्म ‘स्वामी दादा’ से भी पहले आने लगी थीं। निर्देशक बापू की हिंदी फिल्म ‘हम पांच’ में वह साल 1980 में ही दिख चुके थे। बतौर हीरो उनकी पहली फिल्म ‘वंशवृक्षम’ (तेलुगू) भी रिलीज हो चुकी थी। दोनों को देश के घर घर में पहचान दिलाने वाली फिल्में ‘हीरो’ और ‘वो सात दिन’ जरूर एक ही साल 1983 में रिलीज हुईं।

‘हीरो’ का जय किशन उर्फ जैकी दादा सबको खूब भाया तो ‘वो सात दिन’ के प्रेम प्रताप पटियाला वाले ने अपने भोलेपन से लोगों का दिल जीत लिया। दोनों ने एक साथ पहली बार 1984 में रिलीज हुई फिल्म ‘अंदर बाहर’ में एक साथ काम किया। मुनमुन सेन के साथ मिलकर दोनों ने इस फिल्म में ऐसा धमाल मचाया कि दोनों की जोड़ी की गिनती सबसे कमाल जोड़ी के रूप में होनी लगी। फिल्म ‘युद्ध’ दोनों की एक साथ बनी दूसरी फिल्म थी।[1]

अनिल कपूर का डबल रोल

जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर ने ‘अंदर बाहर’ और फिल्म ‘युद्ध’ के बाद आगे चलकर ‘कर्मा’, ‘काला बाजार’, ‘परिंदा’, ‘राम लखन’, ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, ‘1942 ए लव स्टोरी’, ‘त्रिमूर्ति’, ‘कभी हां कभी ना’, ‘लज्जा’ और ‘शूट आउट एड वडाला’ में साथ काम किया। ये बात कम लोगों को ही पता होगी कि अनिल कपूर असल जिंदगी में जैकी श्रॉफ से बड़े हैं। लेकिन, जब भी फिल्मों में दोनों भाई बने, अनिल कपूर ने हमेशा छोटे भाई का ही रोल किया। दोनों के बीच कोई 38 दिनों की छोटाई बड़ाई है। फिल्म ‘अंदर बाहर’ की ही तरह फिल्म ‘युद्ध’ में भी जैकी श्रॉफ ने पुलिस इंस्पेक्टर का रोल किया और अनिल कपूर बने क्रिमिनल। हालांकि फिल्म ‘युद्ध’ में अनिल कपूर का डबल रोल है। एक कानून के इस तरफ तो दूसरा कानून के उस तरफ। फिल्म का सस्पेंस भी इसी से आता है।

अरुण गोविल की भूमिका

फिल्म ‘युद्ध’ में एक मेहमान भूमिका धारावाहिक रामायण के राम यानी अभिनेता अरुण गोविल ने भी निभाई। ये रोल उन्होंने रामायण का प्रसारण शुरू होने से पहले निभाया, उन दिनों अरुण गोविल छोटे परदे पर खूब काम किया करते थे और छोटे परदे के मशहूर कलाकारों को फिल्मों में खास रोल देने का उन दिनों चलन हुआ करता था। फिल्म ‘युद्ध’ में अरुण गोविल ने एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया, जिसके बेटे का किरदार आगे चलकर जैकी श्रॉफ ने निभाया।

अरुण गोविल की इस फिल्म में एंट्री की अजब कहानी है। इस रोल के लिए पहले सुरेश ओबेरॉय को साइन किया गया था लेकिन एक दिन कहीं उन्होंने बयान दे दिया कि उन्हें स्टार पुत्रों की नई खेप से कोई डर नहीं लगता। बस गुलशन राय ने इतनी सी बात पर सुरेश ओबेरॉय को फिल्म से निकाल बाहर किया और उनकी जगह अरुण गोविल को ले लिया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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