के. विश्वनाथ
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के. विश्वनाथ
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पूरा नाम | कसीनथुनी विश्वनाथ |
जन्म | 19 फ़रवरी, 1930 |
जन्म भूमि | गुडीवाडा, आंध्र प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | तेलुगू सिनेमा |
मुख्य फ़िल्में | ‘सरगम’, ‘कामचोर’, ‘संजोग’, ‘जाग उठा इंसान’ और ‘ईश्वर’ आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2016) |
प्रसिद्धि | फ़िल्म निर्देशक, अभिनेता, पटकथा लेखक, टेलीविज़न अभिनेता |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 1965 के बाद से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने के बाद से के. विश्वनाथ ने करीब 50 फिल्में बनाई। उनकी फिल्में साहस और दुर्बलता, आकांक्षाओं और प्रतिबद्धता, दृढ़ता और विकर्षण, सामाजिक मांगों और व्यक्तिगत संघर्ष के से भरी होती थीं। |
कसीनथुनी विश्वनाथ (अंग्रेज़ी: Kasinadhuni Viswanath, जन्म- 19 फ़रवरी, 1930) प्रसिद्ध तेलुगू फ़िल्म अभिनेता व निर्माता-निर्देशक हैं। उन्हें साल 2016 के दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो भारतीय सिने जगत में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है। के. विश्वनाथ की कुछ प्रमुख फिल्मों में ‘सरगम’, ‘कामचोर’, ‘संजोग’, ‘जाग उठा इंसान’ और ‘ईश्वर’ शामिल हैं।
- के. विश्वनाथ 'सप्तापदी' और 'संकराभरणम' जैसी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फ़िल्म में काम कर चुके हैं।
- कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके के. विश्वनाथ ने 50 से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है। उनकी फिल्में दमदार विषयवस्तु, बेहतर कहानी, सांस्कृतिक प्रमाणिकता के लिये जानी जाती हैं।
- के. विश्वनाथ का जन्म गुडीवाडा, आंध्र प्रदेश में 19 फ़रवरी, 1930 को हुआ था। उन्होंने 5 राष्ट्रीय पुरस्कार, 20 नंदी पुरस्कार (आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित), लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड सहित 10 फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार प्राप्त किये हैं।
- साल 1992 में के. विश्वनाथ को ‘पद्म श्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
- आंध्र प्रदेश से आने वाले के. विश्वनाथ ने अभिनेता और निर्देशक दोनों ही रूप में अपने काम से पहचान बनाई है। इतना ही नहीं, वह क्लासिकल व ट्रेडिनल आर्ट, म्यूजिक व डांस में भी रुचि रखते हैं।
- 1965 के बाद से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने के बाद से के. विश्वनाथ ने करीब 50 फिल्में बनाई। उनकी फिल्में साहस और दुर्बलता, आकांक्षाओं और प्रतिबद्धता, दृढ़ता और विकर्षण, सामाजिक मांगों और व्यक्तिगत संघर्ष के से भरी होती थीं।
- वह अपनी फिल्मों के जरिए बेहद साधारण कहानी बताते थे। उनकी राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फिल्मों में 'स्वाति मुथ्यम' शामिल है।
- के. विश्वनाथ की सबसे यादगार फिल्मों में से एक 'श्रीवेन्नेला' है। इसमें एक नेत्रहीन बांसुरी वाले और गूंगे चित्रकार की कहानी बताई गई थी जो आपस में प्रेम करने लगते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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