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'''करमशी जेठाभाई सोमैया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Karamshi Jethabhai Somaiya'', जन्म- [[16 मई]], [[1902]]; मृत्यु- [[9 मई]], [[1999]]) भारतीय शिक्षाविद थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान है। उन्होंने [[महाराष्ट्र]] में कई शैक्षिक संस्थानों की स्थापना की। वर्ष [[2000]] में समाज के लिए उनकी सेवा के लिए उन्हें [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। कई कॉलेजों का नाम उनके नाम पर रखा गया है। करमशी जेठाभाई सोमैया जी एक उद्योगपति और सोमैया समूह के उद्योगों के संस्थापक भी थे
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==परिचय==
 
==परिचय==
करमशी जेठाभाई सोमैया जन्म 16 मई, 1902 को मालुंजा के श्रीरामपुर तालुका, ज़िला अहमदनगर (तत्कालीन महाराष्ट्र का एक भाग) में हुआ। अपनी हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद करमशी जेठाभाई सोमैया अपने गृहनगर वापस आ गये और पिता के व्यवसाय में सहयोग देने लगे। उनके पिता किराना व्यवसाय की देखरेख में लगे हुए थे, जो कि गाँव से गाँव तक किराने का सामान और बुकिंग के ऑर्डर लेकर जाते थे।
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करमशी जेठाभाई सोमैया जन्म 16 मई, 1902 को मालुंजा के श्रीरामपुर तालुका, ज़िला अहमदनगर, [[महाराष्ट्र]] में हुआ। अपनी हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद करमशी जेठाभाई सोमैया अपने गृहनगर वापस आ गये और पिता के व्यवसाय में सहयोग देने लगे। उनके [[पिता]] किराना व्यवसाय की देखरेख में लगे हुए थे, जो कि गाँव से गाँव तक किराने का सामान और बुकिंग के ऑर्डर लेकर जाते थे।
 
==व्यावसायिक शुरुआत==
 
==व्यावसायिक शुरुआत==
 
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07:10, 13 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण

करमशी जेठाभाई सोमैया
करमशी जेठाभाई सोमैया
पूरा नाम करमशी जेठाभाई सोमैया
जन्म 16 मई, 1902
जन्म भूमि मालुंजा, ज़िला अहमदनगर, महाराष्ट्र
मृत्यु 9 मई, 1999
पति/पत्नी सकरबेन करमशी सोमैया
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र चीनी व्यवसायी, समाज सेवा
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 2000
प्रसिद्धि शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी करमशी जेठाभाई सोमैया ने सन 1959 में 'सोमैया विद्याविहार' की नींव रखी। साढ़े चार दशक में यह 34 संस्थानों के साथ एक बड़े शैक्षिक परिसर में विकसित हुआ।

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परिचय

करमशी जेठाभाई सोमैया जन्म 16 मई, 1902 को मालुंजा के श्रीरामपुर तालुका, ज़िला अहमदनगर, महाराष्ट्र में हुआ। अपनी हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद करमशी जेठाभाई सोमैया अपने गृहनगर वापस आ गये और पिता के व्यवसाय में सहयोग देने लगे। उनके पिता किराना व्यवसाय की देखरेख में लगे हुए थे, जो कि गाँव से गाँव तक किराने का सामान और बुकिंग के ऑर्डर लेकर जाते थे।

व्यावसायिक शुरुआत

सन 1939 में करमशी जेठाभाई सोमैया ने अपने स्वयं के चीनी व्यवसाय के शुभारंभ के लिए सकरवाड़ी और लक्ष्मीवाड़ी में दो चीनी कारखाने शुरू किए। उन्हें जल्द ही भारत के शुगर किंग के रूप में जाना जाने लगा। करमशी जेठाभाई सोमैया अहमदनगर जिले में श्रीरामपुर के शोभचंद रामनारायण खटोड़ की एक अग्रणी चीनी ट्रेडिंग फर्म में भागीदार बने। डेक्कन नहरों का संचालन भारत सरकार द्वारा किया गया था। वह डेक्कन शुगर फैक्ट्रीज़ एसोसिएशन के अध्यक्ष, डेक्कन शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने।

महत्त्वपूर्ण योगदान

करमशी जेठाभाई सोमैया ने घाटकोपर में जमीन का एक बड़ा क्षेत्र खरीदा। उन्होंने 1959 में 'सोमैया विद्याविहार' की नींव रखी। साढ़े चार दशक में यह 34 संस्थानों के साथ एक बड़े शैक्षिक परिसर में विकसित हुआ। इसमें मानविकी, इंजीनियरिंग, शिक्षा, चिकित्सा जैसे शिक्षा के विविध क्षेत्र थे। प्रबंधन और मास कम्यूनिकेशन व एक बड़े परिसर में 23000 से अधिक छात्रों और 1500 शिक्षण संकाय के साथ यह उस अग्रणी माना जाता था।

सन 1974 में करमशी जेठाभाई सोमैया ने जनजातीय क्षेत्र दहानु, ठाणे ज़िले से 110 किलोमीटर दूर आदिवासी क्षेत्र में गिरिवनवासी प्रगति मंडल की स्थापना की। करमशी जेठाभाई सोमैया ने प्रवासी आदिवासी आबादी के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक आवासीय विद्यालय की स्थापना भी की। उन्होंने स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक निवासी चिकित्सक की सुविधा के साथ 40-बेड वाला अस्पताल भी बनवाया था।

सम्मान

करमशी जेठाभाई सोमैया जी को उनके समाज सेवा के क्षेत्र में किये गये कार्यों हेतु साल 2000 में भारत सरकार ने 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया।

मृत्यु

करमशी जेठाभाई सोमैया का निधन 9 मई, 1999 को हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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