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− | ||नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने फ़्रेंच क्रांति (French Revolution) के लिए पेंटिंग और प्रिंटमेकिंग के क्षेत्र में योगदान किया था जबकि अमेरिकन पुनर्जागरण (American Renaissance) 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' से संबंधित है। विश्व युद्ध भी 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' तथा आर्किटेक्चर (Architecture) से संबंधित है। इससे | + | ||नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने फ़्रेंच क्रांति (French Revolution) के लिए पेंटिंग और प्रिंटमेकिंग के क्षेत्र में योगदान किया था जबकि अमेरिकन पुनर्जागरण (American Renaissance) 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' से संबंधित है। विश्व युद्ध भी 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' तथा आर्किटेक्चर (Architecture) से संबंधित है। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) नवशास्त्रीयतावादी चित्रकारों ने मुख्य रूप से उदात्तता पर ध्यान दिया। डेविड और इन्ग्रेस इस शैली के प्रतिनिधि कलाकार थे। |
{कौन-से दो कलाकारों ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था? | {कौन-से दो कलाकारों ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था? | ||
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− | ||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे | + | ||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) कागज की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं। |
{पाश्पात्य सौन्दर्यशास्त्र में 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया? | {पाश्पात्य सौन्दर्यशास्त्र में 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया? | ||
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-टॉमस एक्विनास | -टॉमस एक्विनास | ||
− | ||पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत क्रोचे ने प्रतिपादित किया। क्रोचे ने [[कला]] को सहजानुभूति माना है। क्रोचे आधुनिक काल के महान सौन्दर्यशास्त्रियों में गिना जाता है। 'What is Beauty' की विवेचना करते हुए उसने 'एस्थेटिक' ग्रंथ की रचना की। इससे | + | ||पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत क्रोचे ने प्रतिपादित किया। क्रोचे ने [[कला]] को सहजानुभूति माना है। क्रोचे आधुनिक काल के महान सौन्दर्यशास्त्रियों में गिना जाता है। 'What is Beauty' की विवेचना करते हुए उसने 'एस्थेटिक' ग्रंथ की रचना की। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) क्रोचे ने कला को तत्त्वत: भाषा माना है और भाषा को तत्त्वत: अभिव्यक्ति। (2) क्रोचे ने अभिव्यक्त के दो विभेद किए हैं- एस्थेटिक सेंस और नेचुरोलिस्टक सेंस। (3) क्रोचे ने अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य को एक माना है। उन्हीं के शब्दों में- अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य दो अवधारणाएं नहीं हैं बल्कि एक ही अवधारणा है (Expression and beauty are not two concapts dut a Single concapt)| (4) 'एक्सप्रेशनिस्ट थ्योरी' का सबसे प्रमुख प्रवर्तक क्रोचे था। (5) हीगल की भांति ही क्रोचे ने भी कलाकृति को बौद्धिक माना है। क्रोचे माइकेल एंजेलो के कथन का उल्लेख करता है- "मैं अपने दिमाग से चित्र बनाता हूं, हाथ से नहीं"। |
{सर्वप्रथम किसने '[[नाट्यशास्त्र]]' में आठ [[रस|रसों]] को बतलाया था? | {सर्वप्रथम किसने '[[नाट्यशास्त्र]]' में आठ [[रस|रसों]] को बतलाया था? |
07:08, 2 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
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