"कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर" के अवतरणों में अंतर

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*भगवान [[शिव]] का यह मंदिर कई रहस्यों को छिपाए हुए है, जिनके कारण इस मंदिर की दूर-दूर तक प्रसिद्धि है।  
 
*भगवान [[शिव]] का यह मंदिर कई रहस्यों को छिपाए हुए है, जिनके कारण इस मंदिर की दूर-दूर तक प्रसिद्धि है।  
 
*इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भक्तों द्वारा [[शिवलिंग]] पर चढ़ाया हुआ जल और दूध भूमि में समा जाता है। न जाने वह जल कहां समा जाता है, इस रहस्य का पता आज तक नहीं चल पाया है।
 
*इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भक्तों द्वारा [[शिवलिंग]] पर चढ़ाया हुआ जल और दूध भूमि में समा जाता है। न जाने वह जल कहां समा जाता है, इस रहस्य का पता आज तक नहीं चल पाया है।
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*कहा जाता है कि एक बार अपने समय के प्रसिद्ध [[नल|राजा नल]] ने यहां शिवलिंग का जलाभिषेक किया था, किन्तु उनके देखते ही देखते शिव पर चढ़ाया जल भूमि में समा गया| यह चमत्कार देखकर राजा नल चौंक गए और उन्होंने इस रहस्य को जानने के लिए [[बैलगाड़ी]] से ढुलवा कर हजारों घड़े [[गंगाजल]] शिवलिंग पर चढ़ाया, पर वह सारा जल कहां समाता गया, राजा नल इस रहस्य का पता न लगा पाये। अंत में अपनी इस धृष्टता की भगवान शिव से क्षमा मांग कर अपने देश को लौट गए।  
 
*महारानी [[कुंती]] के पुत्र [[पांडव|पांण्डवों]] ने भी झारखंडेश्वर मंदिर में पूजन - [[यज्ञ]] किया था।  
 
*महारानी [[कुंती]] के पुत्र [[पांडव|पांण्डवों]] ने भी झारखंडेश्वर मंदिर में पूजन - [[यज्ञ]] किया था।  
 
*[[मराठा]] [[छत्रपति शिवाजी]] ने भी यहां तीन [[मास]] तक रुद्रयज्ञ किया था।  
 
*[[मराठा]] [[छत्रपति शिवाजी]] ने भी यहां तीन [[मास]] तक रुद्रयज्ञ किया था।  

11:56, 17 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर गढ़मुक्तेश्वर के प्रसिद्ध मंदिर मुक्तीश्वर महादेव से चार किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में वन क्षेत्र में स्थित है।

  • भगवान शिव का यह मंदिर कई रहस्यों को छिपाए हुए है, जिनके कारण इस मंदिर की दूर-दूर तक प्रसिद्धि है।
  • इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भक्तों द्वारा शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल और दूध भूमि में समा जाता है। न जाने वह जल कहां समा जाता है, इस रहस्य का पता आज तक नहीं चल पाया है।
  • कहा जाता है कि एक बार अपने समय के प्रसिद्ध राजा नल ने यहां शिवलिंग का जलाभिषेक किया था, किन्तु उनके देखते ही देखते शिव पर चढ़ाया जल भूमि में समा गया| यह चमत्कार देखकर राजा नल चौंक गए और उन्होंने इस रहस्य को जानने के लिए बैलगाड़ी से ढुलवा कर हजारों घड़े गंगाजल शिवलिंग पर चढ़ाया, पर वह सारा जल कहां समाता गया, राजा नल इस रहस्य का पता न लगा पाये। अंत में अपनी इस धृष्टता की भगवान शिव से क्षमा मांग कर अपने देश को लौट गए।
  • महारानी कुंती के पुत्र पांण्डवों ने भी झारखंडेश्वर मंदिर में पूजन - यज्ञ किया था।
  • मराठा छत्रपति शिवाजी ने भी यहां तीन मास तक रुद्रयज्ञ किया था।
  • भक्तों की मनोकामना पूर्ति के लिए कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर दूर-दूर तक विख्यात है| यह शिव भक्तों की आस्था का केन्द्र होने के कारण यहां शिवभक्तों का आगमन लगा ही रहता है, किन्तु श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि और फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि पर तो इस मंदिर में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है।
  • इस चर्चित पौराणिक और ऐतिहासिक शिव मंदिरों के अतिरिक्त कई अन्य मंदिर भी प्रसिद्ध हैं, जिनमें से गंगा मंदिर विशेष उल्लेखनीय है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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संबंधित लेख

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