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'''कोटिवर्ष''' दामोदरपुर, दीनाजपुर ज़िला ([[बंगाल]]) से प्राप्त हाने वाले ताम्रपट्ट लेखों के अनुसार पाँचवी-छठी शती ई. में 'पुंड्रवर्धन' नामक भुक्ति का एक विषय या ज़िला था। कोटिवर्ष से ही ये दानपट्ट प्रचलित किए गए थे-
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'''कोटिवर्ष''' दामोदरपुर, दीनाजपुर ज़िला ([[बंगाल]]) से प्राप्त हाने वाले ताम्रपट्ट लेखों के अनुसार पाँचवी-छठी शती ई. में '[[पुण्ड्रवर्धन]]' नामक भुक्ति का एक विषय या ज़िला था। कोटिवर्ष से ही ये दानपट्ट प्रचलित किए गए थे-
  
 
<blockquote>'कोटिवर्षअधिष्ठानधिकरणस्य।'</blockquote>
 
<blockquote>'कोटिवर्षअधिष्ठानधिकरणस्य।'</blockquote>

12:20, 5 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

कोटिवर्ष दामोदरपुर, दीनाजपुर ज़िला (बंगाल) से प्राप्त हाने वाले ताम्रपट्ट लेखों के अनुसार पाँचवी-छठी शती ई. में 'पुण्ड्रवर्धन' नामक भुक्ति का एक विषय या ज़िला था। कोटिवर्ष से ही ये दानपट्ट प्रचलित किए गए थे-

'कोटिवर्षअधिष्ठानधिकरणस्य।'

  • अभिलेखों से सूचित होता है कि कोटिवर्ष विषय की स्थिति आधुनिक राजशाही, दीनाजपुर, मालदा और बोगरा के ज़िलों में रही होगी।
  • कोटिवर्ष का मुख्य स्थान शायद फ़रीदपुर (पश्चिम बंगाल) के पास होगा, जहाँ से एक दानपट्ट प्राप्त हुआ है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 231 |

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