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==इतिहास==
 
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झंडेवाला देवी मन्दिर का एक प्राचीन [[इतिहास]] है, जिसकी मनमोहनी पौराणिक गाथा एक विशेष भक्त श्री बद्रीदास जी से आंरभ होती है। बद्री भगत जी इस पावन स्थान पर साधना और ध्यान मग्न होकर प्रार्थना किया करते थे। एक संध्या जब एक स्वास्थ्यवर्धक झरने के पास वह साधना में रत थे, तब उनको अनुभूति हुई कि उसी स्थान पर एक प्राचीन मन्दिर दबा हुआ है। उन्होंने निश्चित किया कि वह इस प्राचीन धरोहर का पुनरोद्धार अवश्य करेंगे। उस दिन से बद्री भगत जी ने अपना तन, मन, धन इस मन्दिर की खोज में लगा दिया। उन्होंने इस क्षेत्र की भूमि ख़रीदनी आरंभ कर दी। अंत में बहुत प्रयत्न के बाद एक स्वास्थ्यदायी झरने के पास उन्हें इस प्राचीन मन्दिर के अवशेष मिले, जिसमें माता की सदियों पुरानी चमत्कारी मूर्ति विराजमान थी। इस मन्दिर की महिमा व ख्याति सारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में फैलने लगी। आज इस मन्दिर में आने वाले हर भगत को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बद्री भगत जी के सपनों को साकार करने में चार पीढ़ियों से उनका परिवार प्रयासरत है। उनकी इस धरोहर का उनके वंशज बद्री भगत झंडेवाला टैंपल सोसाइटी के सदस्यों के सहयोग से प्रबंधन कर रहे हैं।
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झंडेवाला देवी मन्दिर का एक प्राचीन [[इतिहास]] है, जिसकी मनमोहनी पौराणिक गाथा एक विशेष भक्त श्री बद्रीदास जी से आंरभ होती है। बद्री भगत जी इस पावन स्थान पर साधना और ध्यान मग्न होकर प्रार्थना किया करते थे। एक संध्या जब एक स्वास्थ्यवर्धक झरने के पास वह साधना में रत थे, तब उनको अनुभूति हुई कि उसी स्थान पर एक प्राचीन मन्दिर दबा हुआ है। उन्होंने निश्चित किया कि वह इस प्राचीन धरोहर का पुनरोद्धार अवश्य करेंगे। उस दिन से बद्री भगत जी ने अपना तन, मन, धन इस मन्दिर की खोज में लगा दिया। उन्होंने इस क्षेत्र की भूमि ख़रीदनी आरंभ कर दी। अंत में बहुत प्रयत्न के बाद एक स्वास्थ्यदायी झरने के पास उन्हें इस प्राचीन मन्दिर के [[अवशेष]] मिले, जिसमें माता की सदियों पुरानी चमत्कारी मूर्ति विराजमान थी। इस मन्दिर की महिमा व ख्याति सारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में फैलने लगी। आज इस मन्दिर में आने वाले हर भगत को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बद्री भगत जी के सपनों को साकार करने में चार पीढ़ियों से उनका परिवार प्रयासरत है।  
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11:26, 12 मई 2012 के समय का अवतरण

झंडेवाला देवी मन्दिर दिल्ली शहर का एक प्रसिद्ध मन्दिर है। झंडेवाला देवी मन्दिर हज़ारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है।

इतिहास

झंडेवाला देवी मन्दिर का एक प्राचीन इतिहास है, जिसकी मनमोहनी पौराणिक गाथा एक विशेष भक्त श्री बद्रीदास जी से आंरभ होती है। बद्री भगत जी इस पावन स्थान पर साधना और ध्यान मग्न होकर प्रार्थना किया करते थे। एक संध्या जब एक स्वास्थ्यवर्धक झरने के पास वह साधना में रत थे, तब उनको अनुभूति हुई कि उसी स्थान पर एक प्राचीन मन्दिर दबा हुआ है। उन्होंने निश्चित किया कि वह इस प्राचीन धरोहर का पुनरोद्धार अवश्य करेंगे। उस दिन से बद्री भगत जी ने अपना तन, मन, धन इस मन्दिर की खोज में लगा दिया। उन्होंने इस क्षेत्र की भूमि ख़रीदनी आरंभ कर दी। अंत में बहुत प्रयत्न के बाद एक स्वास्थ्यदायी झरने के पास उन्हें इस प्राचीन मन्दिर के अवशेष मिले, जिसमें माता की सदियों पुरानी चमत्कारी मूर्ति विराजमान थी। इस मन्दिर की महिमा व ख्याति सारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में फैलने लगी। आज इस मन्दिर में आने वाले हर भगत को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बद्री भगत जी के सपनों को साकार करने में चार पीढ़ियों से उनका परिवार प्रयासरत है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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