तुरही

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
तुरही के साथ एक पारंपरिक व्यक्ति

तुरही एक वाद्य यंत्र है। लगभग चार हाथ लम्बी तुरही धातु से बनी होती है। जो प्रायः मांगलिक पर्वों पर बजाई जाती है।

  • महाराष्ट्र में तुरही का बहुत प्रचार है।
  • तुरही में कोई छिद्र नहीं होता, केवल हवा फूँककर उसके विभिन्न दवाबों, ऊँचे-नीचे स्वरों की उत्पति की जाती है। इसीलिए इसमें दो-तीन स्वर बहुत तेज आवाज़ से निकलते हैं।
  • इसकी आकृति अर्धचन्दाकार रूप में होती है।
  • तुरही फूँककर बजाई जाती है। जो मुँह की ओर पतली और पीछे की ओर चौड़ी होती है।
  • अधिकांशत: तुरही पीतल आदि की बनती है और टेढ़ी या सीधी कई प्रकार की हो सकती है।
  • पहले यह लड़ाई में नगाड़े आदि के साथ बजाई जाती थी। लेकिन अब इसका प्रयोग विवाह आदि में होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख