पर्यावरण तथा विकास सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (पृथ्वी सम्मेलन) 1992 में स्टॉकहोम में हुए ‘मानवीय पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ की परिणीत कहा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1983 में एक आयोग का गठन किया गया था जिसके अध्यक्ष नार्वे के प्रधानमंत्री ग्रो हार्लेम ब्रटलैण्ड थे। आयोग का कार्य विश्व में पर्यावरण की स्थिति का अध्ययन और वर्ष 2000 के बाद विकास की समीक्षा करना था।

रिपोर्ट

आयोग ने इस बारें में जो रिपोर्ट दी उसका शीर्षक था - 'हमारा समान भविष्य'। आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट में इस बात पर विशेष बल दिया गया था कि यदि हम विकास के वर्तमान ढंग लगातार अपनाते रहे तो हमारा भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। इस खतरे का अहसास करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसम्बर, 1989 को दो प्रस्ताव पारित किये। इन प्रस्तावों द्वारा 1992 में ब्राजील में सम्मेलन बुलाये जाने का आग्रह किया गया। पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 'पृथ्वी सम्मेलन' के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी सम्मेलन ब्राजील की राजधानी रिओ डि जेनेरियों में 3 जून 1992 से 14 जून 1992 तक चला जिसमें 182 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन रिओ सम्मेलन के रूप में प्रसिद्ध हैं।

पृथ्वी सम्मेलन में विचारणीय विषय

  1. विश्व को प्रदूषण से बचाने के लिए वित्तीय प्रबन्ध
  2. वनों का प्रबन्ध
  3. संस्थागत प्रबन्ध
  4. तकनीक का अन्तरण
  5. जैविक विभिन्नता
  6. सतत् विकास।

पृथ्वी सम्मेलन की उपलब्धियाँ

पृथ्वी सम्मेलन द्वारा दो अन्तर्राष्ट्रीय दस्तावेज-

  1. एजेण्डा 21
  2. रिओ घोषणा

एजेण्ड 21

एजेण्डा 21 एक अन्तर्राष्ट्रीय दस्तावेज है जिसे सम्मेलन के 182 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया है। राज्य विधिक रूप से यद्यपि एजेण्डा से बाध्य नहीं है, फिर भी राज्यों (देशों) से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रमों को एजेण्डा 21 को ध्यान में रखकर बनाने का प्रयास करेंगे। यह एजेण्डा पारिस्थितिक विनाश एवं आर्थिक असफलता दूर करने के लिए कार्यक्रमों का उल्लेख करता है तथा निम्न विषयों पर ज़ोर देता है -

  1. गरीबी
  2. उपभोग के ढंग
  3. स्वास्थ्य
  4. मानवीय व्यवस्थापन
  5. वित्तीय संसाधन
  6. प्रौद्योगिकीय उपकरण

एजेण्डा 21 का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 1993 में एक आयोग स्थापित किया गया, जिसे सतत् विकास पर आयोग कहा गया। इस आयोग ने मई, 1993 से कार्य करना शुरू कर दिया।

रिओ घोषणा

रिओ घोषणा या पृथ्वी चार्टर को अपनाया जाना पृथ्वी सम्मेलन की महान् उपलब्धि है। प्रारंभ में संयुक्त राज्य अमरीका रिओ घोषणा से सहमत नहीं था, किन्तु बाद में उसने भी घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिया है। इस घोषणा पर 182 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गये। इस घोषणा में 27 सिद्धान्त हैं।

विकासशील देशों के लिए वन परिषद

पृथ्वी शिखर सम्मेलन में स्वीकार किये गये वन सिद्धान्तों के क्रियान्वयन के लिए नई दिल्ली में 1 सितम्बर, 1993 से 30 सितम्बर, 1993 तक एक मंत्री स्तरीय सम्मेलन हुआ जिसे विकासशील देशों के लिए वन परिषद के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में 9 विकसित राज्यों, 40 विकासशील राज्यों के प्रतिनिधियों तथा 7 अन्तराष्ट्रीय संस्थाओं के पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। सम्मेलन की समाप्ति पर की गई 'नई दिल्ली घोषणा' में आह्वान किया गया कि पृथ्वी शिखर सम्मेलन में जिन वन सिद्धान्तों को स्वीकार किया गया है, उन्हें कार्यान्वित किया जाये। दिल्ली घोषणा में यह भी कहा गया है कि विकास के अधिकार का उपभोग इस प्रकार किया जाय कि वर्तमान तथा भविष्य के विकास तथा पर्यावरण की आवश्यकताऐं सामाजिक रूप से पूरी की जा सकें।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख