प्रादेशिक सुदूर संवेदन केंद्र

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अन्तरिक्ष विभाग द्वारा 'राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध प्रणाली' (एन.एन.आर.एम.एस.) के अधीन बैंगलूर, जोधपुर, खड़गपुर (हाल ही में कोलकाता में पुनर्स्थापित), देहरादून और नागपुर में स्थापित पाँच 'प्रादेशिक सुदूर सवेदन सेवा केन्द्र' (आर.आर.एस.एस.सी.) को एन.आर.एस.सी. के साथ 2 दिसम्बर, 2009 को समेकित कर क्रमशः 'प्रादेशिक सुदूर संवेदन केन्द्र' (आर.आर.एस.एस.सी.) दक्षिण, पश्चिम, पूर्व, उत्तर तथा मध्य नामों से पुनर्नामित किया गया ।

उद्देश्य एवं कार्य

  1. उपयोगकर्ताओं को डिजिटल प्रतिबिंब विश्लेषण एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) के लिए सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
  2. डिजिटल प्रतिबिंब विश्लेषण तकनीकों एवं जी.आई.एस. के अनुप्रयोग में उपयोगकर्ताओं को मार्गनिर्देश एवं सहायता प्रदान करते हैं।
  3. उपयोगों के नए क्षेत्रों में तकनीकों का विकास एवं प्रदर्शन करते हैं।
  4. उपयोगकर्ता एजेंसियों के वैज्ञानिकों को सुदूर संवेदन उपयोग, डिजिटल तकनीक, जी.आई.एस. एवं विषय आधारित उपयोगों में प्रशिक्षित करते हैं।
  5. राष्ट्रीय योजनाओं को कार्यान्वित करने एवं सुदूर संवेदी उपयोग क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायक सेवा प्रदान करते हैं।
  6. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित राष्ट्रीय मिशन।
  7. प्रयोक्ता उपयोग परियोजना।
  8. सुदूर संवेदी उपयोग मिशनों (आर.एस.ए.एम.) के अंतर्गत उपयोग वैधीकरण परियोजनाएँ एवं प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाएँ।
  9. सॉफ़्टवेयर विकास एवं अनुकूलन।
  10. प्रशिक्षण एवं शिक्षा।
  11. देश में प्रौद्योगिकी के विकास की दिशा में विशेषज्ञ सलाह एवं सलाहकारी संस्था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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