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महमूद तुग़लक़ के समय में मलिक सरवर नाम के एक हिजड़े ने सुल्तान से ‘मलिक-उस-र्शक’ (पूर्वाधिपति) की उपाधि ग्रहण कर [[जौनपुर]] में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। महमूद तुग़लक़ का शासन इस समय [[दिल्ली]] से पालम (निकटवर्ती कुछ ज़िलों) तक ही सीमित रह गया था। इस समय [[नसरत शाह तुग़लक़]] एवं महमूद तुग़लक़ ने एक साथ शासन किया। महमूद तुग़लक़ ने दिल्ली से तथा नुसरत शाह ने [[फ़िरोजाबाद]] से अपने शासन का संचालन किया। महमूद तुग़लक़ के समय में [[तैमूर लंग]] ने 1398 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। एक पैर से लंगड़ा होने के कारण उसका नाम ‘तैमूर लंग’ पड़ गया था। तैमूर के आक्रमण से डरकर दोनों सुल्तान राजधानी से भाग गये। 15 दिन तक दिल्ली में रहने के पश्चात् तैमूर वापस चला गया और [[ख़िज़्र ख़ाँ]] को अपने विजित प्रदेशों का राज्यपाल नियुक्त किया। | महमूद तुग़लक़ के समय में मलिक सरवर नाम के एक हिजड़े ने सुल्तान से ‘मलिक-उस-र्शक’ (पूर्वाधिपति) की उपाधि ग्रहण कर [[जौनपुर]] में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। महमूद तुग़लक़ का शासन इस समय [[दिल्ली]] से पालम (निकटवर्ती कुछ ज़िलों) तक ही सीमित रह गया था। इस समय [[नसरत शाह तुग़लक़]] एवं महमूद तुग़लक़ ने एक साथ शासन किया। महमूद तुग़लक़ ने दिल्ली से तथा नुसरत शाह ने [[फ़िरोजाबाद]] से अपने शासन का संचालन किया। महमूद तुग़लक़ के समय में [[तैमूर लंग]] ने 1398 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। एक पैर से लंगड़ा होने के कारण उसका नाम ‘तैमूर लंग’ पड़ गया था। तैमूर के आक्रमण से डरकर दोनों सुल्तान राजधानी से भाग गये। 15 दिन तक दिल्ली में रहने के पश्चात् तैमूर वापस चला गया और [[ख़िज़्र ख़ाँ]] को अपने विजित प्रदेशों का राज्यपाल नियुक्त किया। | ||
====तैमूर आक्रमण के बाद सिमटा दिल्ली सल्तनत का विस्तार==== | ====तैमूर आक्रमण के बाद सिमटा दिल्ली सल्तनत का विस्तार==== | ||
− | एक मान्यता के अनुसार तैमूर आक्रमण के बाद [[दिल्ली सल्तनत]] का विस्तार सिमट कर पालम तक ही रह गया था। तैमूर के वापस जाने के पश्चात् महमूद तुग़लक़ ने अपने वजीर मल्लू इमबार की सहायता से पुन: दिल्ली सिंहासन पर अधिकार कर लिया, पर कालान्तर में मल्लू इक़बाल मुल्तान के सूबेदार ख़िज़्र ख़ाँ से युद्ध करते हुए मारा गया। मल्लू इक़बाल के मरने के बाद सुल्तान ने दिल्ली की सत्ता एक [[अफ़ग़ान]] सरदार | + | एक मान्यता के अनुसार तैमूर आक्रमण के बाद [[दिल्ली सल्तनत]] का विस्तार सिमट कर पालम तक ही रह गया था। तैमूर के वापस जाने के पश्चात् महमूद तुग़लक़ ने अपने वजीर मल्लू इमबार की सहायता से पुन: दिल्ली सिंहासन पर अधिकार कर लिया, पर कालान्तर में मल्लू इक़बाल मुल्तान के सूबेदार ख़िज़्र ख़ाँ से युद्ध करते हुए मारा गया। मल्लू इक़बाल के मरने के बाद सुल्तान ने दिल्ली की सत्ता एक [[अफ़ग़ान]] सरदार दौलत ख़ाँ लोदी को सौंप दी। |
==मृत्यु== | ==मृत्यु== | ||
1412 ई. में महमूद तुग़लक़ की मृत्यु हो गई। 1413 ई. में दिल्ली सिंहासन के लिए दौलत ख़ाँ लोदी एवं ख़िज़्र ख़ाँ ने दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर एक नये राजवंश ‘[[सैय्यद वंश]]’ की स्थापना की। | 1412 ई. में महमूद तुग़लक़ की मृत्यु हो गई। 1413 ई. में दिल्ली सिंहासन के लिए दौलत ख़ाँ लोदी एवं ख़िज़्र ख़ाँ ने दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर एक नये राजवंश ‘[[सैय्यद वंश]]’ की स्थापना की। |
11:20, 1 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
महमूद तुग़लक़ (1399-1413 ई.) दिल्ली के तुग़लक़ वंश का अंतिम सुल्तान था। उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरावस्था अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी। महमूद तुग़लक़ के समय तक दिल्ली सल्तनत से दक्षिण भारत, बंगाल, ख़ानदेश, गुजरात, मालवा, राजस्थान, बुन्देलखण्ड आदि प्रान्त स्वतन्त्र गये थे।
शासन
महमूद तुग़लक़ के समय में मलिक सरवर नाम के एक हिजड़े ने सुल्तान से ‘मलिक-उस-र्शक’ (पूर्वाधिपति) की उपाधि ग्रहण कर जौनपुर में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। महमूद तुग़लक़ का शासन इस समय दिल्ली से पालम (निकटवर्ती कुछ ज़िलों) तक ही सीमित रह गया था। इस समय नसरत शाह तुग़लक़ एवं महमूद तुग़लक़ ने एक साथ शासन किया। महमूद तुग़लक़ ने दिल्ली से तथा नुसरत शाह ने फ़िरोजाबाद से अपने शासन का संचालन किया। महमूद तुग़लक़ के समय में तैमूर लंग ने 1398 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। एक पैर से लंगड़ा होने के कारण उसका नाम ‘तैमूर लंग’ पड़ गया था। तैमूर के आक्रमण से डरकर दोनों सुल्तान राजधानी से भाग गये। 15 दिन तक दिल्ली में रहने के पश्चात् तैमूर वापस चला गया और ख़िज़्र ख़ाँ को अपने विजित प्रदेशों का राज्यपाल नियुक्त किया।
तैमूर आक्रमण के बाद सिमटा दिल्ली सल्तनत का विस्तार
एक मान्यता के अनुसार तैमूर आक्रमण के बाद दिल्ली सल्तनत का विस्तार सिमट कर पालम तक ही रह गया था। तैमूर के वापस जाने के पश्चात् महमूद तुग़लक़ ने अपने वजीर मल्लू इमबार की सहायता से पुन: दिल्ली सिंहासन पर अधिकार कर लिया, पर कालान्तर में मल्लू इक़बाल मुल्तान के सूबेदार ख़िज़्र ख़ाँ से युद्ध करते हुए मारा गया। मल्लू इक़बाल के मरने के बाद सुल्तान ने दिल्ली की सत्ता एक अफ़ग़ान सरदार दौलत ख़ाँ लोदी को सौंप दी।
मृत्यु
1412 ई. में महमूद तुग़लक़ की मृत्यु हो गई। 1413 ई. में दिल्ली सिंहासन के लिए दौलत ख़ाँ लोदी एवं ख़िज़्र ख़ाँ ने दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर एक नये राजवंश ‘सैय्यद वंश’ की स्थापना की।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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