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− | विश्व [[संस्कृति]] की दृष्टि से मानवता के लिए जो स्थल | + | विश्व [[संस्कृति]] की दृष्टि से मानवता के लिए जो स्थल महत्त्वपूर्ण हैं, 'विश्व विरासत स्थल समिति' का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है। इस समिति द्वारा ऐसे स्थलों को कुछ ख़ास परिस्थितियों में आर्थिक सहायता भी दी जाती है। वर्ष [[2006]] तक पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को 'विश्व विरासत स्थल' घोषित किया जा चुका था, जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल थे। |
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− | == | + | संरक्षित स्थलों पर जागरूकता के लिए सांस्कृतिक-ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासतों की विविधता और रक्षा के लिए [[18 अप्रैल]] को '[[विश्व विरासत दिवस]]' मनाने की शुरुआत हुई। ट्यूनीशिया में 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ माउंटेंस ऐंड साइट' द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में 18 अप्रैल, [[1982]] को 'विश्व धरोहर दिवस' मनाने का सुझाव दिया गया, जिसे कार्यकारी समिति द्वारा मान लिया गया। [[नवम्बर]], [[1983]] में यूनेस्को के सम्मेलन के 22वें सत्र में हर 18 अप्रैल को 'विश्व विरासत दिवस' मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया दिया। |
− | प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो। | + | ==धरोहर संरक्षण का कार्य== |
+ | प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो। आने वाली पीढ़ियों के लिए और मानवता के हित के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे इनका संरक्षण करें। इसके संरक्षण की ज़िम्मेदारी पूरे विश्व समुदाय की होती है। किसी भी धरोहर को संरक्षित करने के लिए दो संगठनों 'अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद' और 'विश्व संरक्षण संघ' द्वारा आकलन किया जाता है। फिर विश्व धरोहर समिति से सिफारिश की जाती है। समिति [[वर्ष]] में एक बार बैठती है और यह निर्णय लेती है कि किसी नामांकित संपदा को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित करना है या नहीं। 'विश्व विरासत स्थल समिति' चयनित ख़ास स्थानों, जैसे- वन क्षेत्र, [[पर्वत]], [[झील]], [[मरुस्थल]], स्मारक, भवन या शहर इत्यादि की देखरेख यूनेस्को के तत्वावधान में करती है। | ||
+ | 'अंतराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ' के [[1968]] के प्रस्ताव पर [[1972]] में [[संयुक्त राष्ट्र]] द्वारा मानवीय पर्यावरण पर स्टॉकहोम, अवीडन में सम्मेलन पर बनी सहमति के बाद विश्व के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर सम्मेलन को यूनेस्को की सामान्य सभा ने [[16 नवंबर]], [[1972]] को स्वीकृति दे दी। 'विश्व विरासत समिति' की बैठक की शुरुआत [[जून]], [[1977]] में हुई। वर्ष [[2014]] में समिति की बैठक दोहा में [[15 जून]] से [[25 जून]] के बीच होने की सम्भावना है। समिति की यह 38वीं बैठक होगी। | ||
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यूनेस्को ने [[भारत]] के कई ऐतिहासिक स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को द्वारा घोषित यह विश्व विरासत स्थल निम्न हैं- | यूनेस्को ने [[भारत]] के कई ऐतिहासिक स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को द्वारा घोषित यह विश्व विरासत स्थल निम्न हैं- | ||
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− | |प्रारम्भिक= | + | यूनेस्को की 'विश्व विरासत स्थल समिति' ने 44 धरोहरों को उनकी वर्तमान स्थिति के फलस्वरूप खतरे की सूची में रखा है। इनमें प्रमुख तौर पर [[अफ़ग़ानिस्तान]] की बामियान वैली, इजिप्ट का अबू मेना, [[जेरुसलम|जेरुसलम शहर]] एवं दीवार, डोमेस्टक रिपब्लिक ऑफ़ द कांगो की पांच धरोहरें, सीरियन अरब रिपब्लिक की छह धरोहरें एवं कई देशों के नेशनल पार्क एवं संरक्षित स्थल शामिल हैं। |
− | |माध्यमिक= | + | ====नई धरोहरें==== |
− | |पूर्णता= | + | यूनेस्को की 'विश्व विरासत स्थल समिति' ने बीते समय में विभिन्न देशों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित 20 धरोहरों को हेरिटेज सूची में शामिल किया है। [[भारत]] के [[राजस्थान]] के 'हिल फ़ोर्ट' को भी इसमें जगह मिली है। |
− | |शोध= | + | ==भारत की दावेदारी== |
− | }} | + | [[काशी]] (वर्तमान बनारस) की प्राचीन धरोहरों को सहेजने के लिए वहां के विकास प्राधिकरण ने 71 ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों की सूची तैयार की है। [[मध्य प्रदेश]] के चंदेरी और [[उत्तराखंड]] के दून को विश्व विरासत के लिए संवारा जाने लगा है। [[दिल्ली]] को हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने के लिए रोडमैप [[2010]] में तैयार कर लिया गया था। दिल्ली और [[अहमदाबाद]] को [[2013]] में हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने की दावेदारी शुरू हो गई। [[पंजाब]] के [[चंडीगढ़]] को भी हेरिटेज सिटी का दर्जा देने के लिए आवेदन दिया गया है। |
+ | {{विश्व विरासत स्थल}} | ||
+ | ==समाचार== | ||
+ | [[चित्र:Rani-ki-vav.jpg|thumb|[[रानी की वाव]]]] | ||
+ | [[चित्र:Great himalayan national park.jpg|thumb|[[ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क]]]] | ||
+ | ; 23 जून, 2014 सोमवार | ||
+ | ====गुजरात का ‘रानी की वाव’ और हिमाचल का 'ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क' विश्व धरोहर सूची में शामिल==== | ||
+ | [[यूनेस्को]] (यूनाइटेड नेशनल एजुकेशनल, साइंटिफिक ऐंड कल्अचरल ऑर्गनाइजेशन) ने [[23 जून]], [[2014]] को विश्व धरोहर की सूची में [[भारत]] की दो धरोहरों को शामिल किया है। इनमें कल्चरल साइट्स (सांस्कृतिक धरोहर) की श्रेणी में [[गुजरात]] के [[पाटण ज़िला|पाटण]] स्थित [[रानी की वाव]] और नेचुरल साइट्स (प्राकृतिक धरोहर) की श्रेणी में [[हिमाचल प्रदेश]] के [[कुल्लू]] स्थित [[ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क]] शामिल हैं। रानी की वाव, गुजरात के पाटण ज़िले में एक सीढ़ी वाला कुआं है। इसे रानी उदयामती ने अपने पति राजा भीमदेव की याद में वर्ष 1063 में बनवाया था। राजा भीमदेव गुजरात के [[सोलंकी वंश|सोलंकी राजवंश]] के संस्थापक थे। हिमाचल प्रदेश में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कुल 754.4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां दो वन्यजीव अभ्यारण्य हैं। | ||
+ | ====समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें==== | ||
+ | *[http://www.jagran.com/kids-section/united-nations-educational-scientific-and-cultural-organization-world-heritage-site-11430524.html जागरण डॉट कॉम] | ||
+ | *[http://whc.unesco.org/en/news/1160 UNESCO] | ||
+ | *[http://rajasthanpatrika.patrika.com/news/the-queen-of-the-world-heritage-wow/1160251.html राजस्थान पत्रिका] | ||
+ | *[http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-Gujarat-11th-century-Queen-UNESCO-World-Heritage-Site-39-39-433279.html लाइव हिंदुस्तान] | ||
+ | *[http://www.shimla.amarujala.com/feature/city-news-sml/great-himalayan-national-park-get-world-heritage-status/ अमर उजाला] | ||
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+ | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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11:51, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
विश्व विरासत स्थल अथवा विश्व धरोहर ऐसे ख़ास स्थानों, वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर इत्यादि को कहा जाता है, जो 'विश्व विरासत स्थल समिति' द्वारा चयनित होते हैं और यही समिति इन स्थलों की देखरेख यूनेस्को के तत्वाधान में करती है। विश्व के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक स्थलों को विरासतों के रूप में संरक्षित रखने के लिए यूनेस्को द्वारा प्रति वर्ष 18 अप्रैल को 'विश्व विरासत दिवस' भी मनाया जाता है। भारत की ऐतिहासिक महत्व की कुल 32 स्थल, विश्व विरासत स्थल सूची में दर्ज हैं। इनमें 25 सांस्कृतिक, जबकि 7 प्राकृतिक श्रेणी में शामिल हैं।
उद्देश्य
विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए जो स्थल महत्त्वपूर्ण हैं, 'विश्व विरासत स्थल समिति' का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है। इस समिति द्वारा ऐसे स्थलों को कुछ ख़ास परिस्थितियों में आर्थिक सहायता भी दी जाती है। वर्ष 2006 तक पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को 'विश्व विरासत स्थल' घोषित किया जा चुका था, जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल थे।
विश्व विरासत दिवस की शुरुआत
संरक्षित स्थलों पर जागरूकता के लिए सांस्कृतिक-ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासतों की विविधता और रक्षा के लिए 18 अप्रैल को 'विश्व विरासत दिवस' मनाने की शुरुआत हुई। ट्यूनीशिया में 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ माउंटेंस ऐंड साइट' द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में 18 अप्रैल, 1982 को 'विश्व धरोहर दिवस' मनाने का सुझाव दिया गया, जिसे कार्यकारी समिति द्वारा मान लिया गया। नवम्बर, 1983 में यूनेस्को के सम्मेलन के 22वें सत्र में हर 18 अप्रैल को 'विश्व विरासत दिवस' मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया दिया।
धरोहर संरक्षण का कार्य
प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो। आने वाली पीढ़ियों के लिए और मानवता के हित के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे इनका संरक्षण करें। इसके संरक्षण की ज़िम्मेदारी पूरे विश्व समुदाय की होती है। किसी भी धरोहर को संरक्षित करने के लिए दो संगठनों 'अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद' और 'विश्व संरक्षण संघ' द्वारा आकलन किया जाता है। फिर विश्व धरोहर समिति से सिफारिश की जाती है। समिति वर्ष में एक बार बैठती है और यह निर्णय लेती है कि किसी नामांकित संपदा को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित करना है या नहीं। 'विश्व विरासत स्थल समिति' चयनित ख़ास स्थानों, जैसे- वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर इत्यादि की देखरेख यूनेस्को के तत्वावधान में करती है।
'अंतराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ' के 1968 के प्रस्ताव पर 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवीय पर्यावरण पर स्टॉकहोम, अवीडन में सम्मेलन पर बनी सहमति के बाद विश्व के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर सम्मेलन को यूनेस्को की सामान्य सभा ने 16 नवंबर, 1972 को स्वीकृति दे दी। 'विश्व विरासत समिति' की बैठक की शुरुआत जून, 1977 में हुई। वर्ष 2014 में समिति की बैठक दोहा में 15 जून से 25 जून के बीच होने की सम्भावना है। समिति की यह 38वीं बैठक होगी।
विश्व विरासत स्थल
लाल क़िला, आगरा |
अजंता की गुफ़ाएं, औरंगाबाद |
एलोरा की गुफ़ाएं, औरंगाबाद |
ताजमहल, आगरा |
पंचरथ, महाबलीपुरम |
यूनेस्को ने भारत के कई ऐतिहासिक स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को द्वारा घोषित यह विश्व विरासत स्थल निम्न हैं-
क्रम | विश्व विरासत स्थल | सन |
---|---|---|
1 | आगरा का लालक़िला | 1983 |
2 | अजन्ता की गुफाएं | 1983 |
3 | एलोरा गुफाएं | 1983 |
4 | ताजमहल | 1983 |
5 | महाबलीपुरम के स्मारक | 1984 |
6 | कोणार्क का सूर्य मंदिर | 1984 |
7 | काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान | 1985 |
8 | केवलादेव नेशनल पार्क | 1985 |
9 | मानस अभयारण्य | 1985 |
10 | गोवा के चर्च | 1986 |
11 | फ़तेहपुर सीकरी | 1986 |
12 | हम्पी के अवशेष | 1986 |
13 | खजुराहो मंदिर | 1986 |
14 | एलिफेंटा की गुफाएँ | 1987 |
15 | चोल मंदिर | 1987-2004 |
16 | पट्टाडकल के स्मारक | 1987 |
17 | सुन्दरवन नेशनल पार्क | 1987 |
18 | नंदा देवी और फूलों की घाटी | 1988-2005 |
19 | सांची का स्तूप | 1989 |
20 | हुमायूं का मक़बरा | 1993 |
21 | क़ुतुब मीनार | 1993 |
22 | माउन्टेन रेलवे | 1999-2005 |
23 | बोधगया का महाबोधि मंदिर | 2002 |
24 | भीमबेटका की गुफाएं | 2003 |
25 | चम्पानेर पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान | 2004 |
26 | छत्रपति शिवाजी टर्मिनस | 2004 |
27 | दिल्ली का लाल क़िला | 2007 |
28 | जन्तर मन्तर जयपुर | |
29 | पश्चिमी घाट (भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला) | 2012 |
30 | राजस्थान के पहाड़ी क़िले | 2013 |
31 | रानी की वाव | 2014 |
32 | ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क | 2014 |
विरासतों का कारवाँ
वर्ष 2013 तक पूरी दुनिया में लगभग 981 स्थलों को 'विश्व विरासत स्थल' घोषित किया जा चुका है, जिसमें 759 सांस्कृतिक, 29 मिले-जुले और 160 अन्य स्थल हैं। इनमें इटली की 49, चीन की 45, स्पेन की 44, फ़्राँस और जर्मनी की 38 धरोहरें शामिल हैं। वर्तमान में दुनिया में क़रीब 226 हेरिटेज सिटी है।
खतरे में धरोहर
यूनेस्को की 'विश्व विरासत स्थल समिति' ने 44 धरोहरों को उनकी वर्तमान स्थिति के फलस्वरूप खतरे की सूची में रखा है। इनमें प्रमुख तौर पर अफ़ग़ानिस्तान की बामियान वैली, इजिप्ट का अबू मेना, जेरुसलम शहर एवं दीवार, डोमेस्टक रिपब्लिक ऑफ़ द कांगो की पांच धरोहरें, सीरियन अरब रिपब्लिक की छह धरोहरें एवं कई देशों के नेशनल पार्क एवं संरक्षित स्थल शामिल हैं।
नई धरोहरें
यूनेस्को की 'विश्व विरासत स्थल समिति' ने बीते समय में विभिन्न देशों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित 20 धरोहरों को हेरिटेज सूची में शामिल किया है। भारत के राजस्थान के 'हिल फ़ोर्ट' को भी इसमें जगह मिली है।
भारत की दावेदारी
काशी (वर्तमान बनारस) की प्राचीन धरोहरों को सहेजने के लिए वहां के विकास प्राधिकरण ने 71 ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों की सूची तैयार की है। मध्य प्रदेश के चंदेरी और उत्तराखंड के दून को विश्व विरासत के लिए संवारा जाने लगा है। दिल्ली को हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने के लिए रोडमैप 2010 में तैयार कर लिया गया था। दिल्ली और अहमदाबाद को 2013 में हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने की दावेदारी शुरू हो गई। पंजाब के चंडीगढ़ को भी हेरिटेज सिटी का दर्जा देने के लिए आवेदन दिया गया है।
समाचार
- 23 जून, 2014 सोमवार
गुजरात का ‘रानी की वाव’ और हिमाचल का 'ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क' विश्व धरोहर सूची में शामिल
यूनेस्को (यूनाइटेड नेशनल एजुकेशनल, साइंटिफिक ऐंड कल्अचरल ऑर्गनाइजेशन) ने 23 जून, 2014 को विश्व धरोहर की सूची में भारत की दो धरोहरों को शामिल किया है। इनमें कल्चरल साइट्स (सांस्कृतिक धरोहर) की श्रेणी में गुजरात के पाटण स्थित रानी की वाव और नेचुरल साइट्स (प्राकृतिक धरोहर) की श्रेणी में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क शामिल हैं। रानी की वाव, गुजरात के पाटण ज़िले में एक सीढ़ी वाला कुआं है। इसे रानी उदयामती ने अपने पति राजा भीमदेव की याद में वर्ष 1063 में बनवाया था। राजा भीमदेव गुजरात के सोलंकी राजवंश के संस्थापक थे। हिमाचल प्रदेश में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कुल 754.4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां दो वन्यजीव अभ्यारण्य हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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