स्पाइनेल रत्न

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:52, 10 जनवरी 2011 का अवतरण (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • क़ीमती पत्थर को रत्न कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह क़ीमती होते है।
  • रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते है, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते है।
  • रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
  • ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रुप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षक बनाते है।
  • रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।

प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं।

स्पाइनेल

स्पाइनेल शब्द शायद स्पार्क (ग्रीक) या स्पाइना (लैटिन) से लिया गया है। यह सभी रंगों में पाया जाता है। माणिक्य जैसे लाल रंग का स्पाइनेल सर्वाधिक पसंद किया जाता है। इसक रंगद्रव्य क्रोम और लौह है। बड़े स्पाइनेल अति दुर्भल हैं।

अधिक तापमान में नीला स्पाइनेल कहलाता है। काला तथा गहरा हरा अपार्दर्शी स्पाइनेल साइल्लोनाइट कहलाता है। भूरे किस्म का त्न पाइकोनाइट, पीले का रूबीसीली और पीले-लाल रंग का रत्न बालास रूबी कहलाता है। कृत्रिम स्पाइनेल से अकीक, तामड़ा, पुखराज, मणिक्य और नीलम होने का भ्रम पैदा होता है। परन्तु इस रत्न के दोहरे परावर्तन की विशेषता के कारण असली-नकली की पहचान आसानी से की जा सकती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख