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खोट्टिग अमोघवर्ष

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खोट्टिग अमोघवर्ष (967-972 ई.) राष्ट्रकूट शासक कृष्ण तृतीय का छोटा भाई था, जो उसके मरने के बाद 967 ई. में मान्यखेट के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।

  • कृष्ण तृतीय तथा खोट्टिग दोनों ही अमोघवर्ष तृतीय के पुत्र थे, किन्तु उनकी माताएँ संभवत: भिन्न थीं। खोट्टिग की माता का नाम 'कंदक देवी' था।
  • खोट्टिग के समय से राष्ट्रकूट साम्राज्य का पतन प्रारंभ हो गया। उसके उत्तर में स्थित मालवा के परमारों ने राष्ट्रकूटों के क्षेत्रों पर आक्रमण करने शुरू कर दिए थे।
  • उदयपुर प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि परमार राजा हर्षदेव (सियक द्वितीय) ने खोट्टिग की राज्यलक्ष्मी को युद्ध में बंदी बना लिया था। परमारों के इस आक्रमण के समय खोट्टिग काफ़ी वृद्ध हो चुका था और वह उसका सफलतापूर्वक सामना नहीं कर सका।
  • परमार सेनाओं ने नर्मदा नदी को पार कर राष्ट्रकूट राजधानी मान्यखेट को 972 ई. में घेर लिया। मान्यखेट नगर को लूटा गया और उस पर अधिकार कर लिया गया।
  • वापस जाते हुए परमार सैनिकों ने सचिवालय में रखी हुई राष्ट्रकूट दानपत्रों की प्रतिलिपियों तक को ले लिया। निश्चय ही राष्ट्रकूट शक्ति का यह भारी अपमान था और खोट्टिग उसके दु:ख से सँभल नहीं सका। सितम्बर 972 ई. में दु:खी जीवन में ही उसका निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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