दार्व
दार्व देश को पाण्डव अर्जुन ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में जीता था-
'ततस्त्रिगर्ता: कौंतेयं दार्वा: कोकनदास्तथा, क्षत्रिया बहवो राजन्नुपावर्तन्त सर्वश:'[1]
- दार्व के निवासियों ने युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उन्हें उपहार भेंट किए थे-
'कैराता दरदा: दार्वा: शूरावैयमकास्तथा औदुंबरादुर्वभागा: पारदा बाह्लिकै: सह'[2]
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 432 |