प्रकार | भारत सरकार की ऐजेंसी |
उद्योग | संदेशवाहक |
स्थापना | 1 अप्रॅल, 1854 |
मुख्यालय | नई दिल्ली |
कर्मचारी | 4,66,903[1] |
वेबसाइट | भारतीय डाक |
संबंधित लेख | डाक संचार, डाक टिकट, डाकघर, डाक सूचक संख्या (पिनकोड), पोस्टकार्ड |
उद्देश्य | मेल, पार्सल, धन-हस्तांतरण, बैंकिंग, बीमा और खुदरा सेवाओं को तेज़ी और विश्वसनीयता के साथ मुहैया कराना। |
अन्य जानकारी | भारतीय डाक देश में सबसे बड़ा रिटेल नेटवर्क है। समय का साथ देते हुए इस ने ढेर सारी सुविधाएँ शुरू कीं जिनमें मनीआर्डर और बचत बैंक महत्वपूर्ण है। |
भारतीय डाक (अंग्रेज़ी: India Post) भारत सरकार द्वारा संचालित डाक सेवा है जो ब्रांड नाम के तौर पर इंडिया पोस्ट या भारतीय डाक के नाम से काम करती है। भारतीय डाक प्रणाली का जो उन्नत और परिष्कृत स्वरूप आज हमारे सामने है, वह हज़ारों सालों के लंबे सफर की देन है। अंग्रेज़ों ने 150 साल पहले अलग-अलग हिस्सों में अपने तरीक़े से चल रही डाक व्यवस्था को एक सूत्र में पिरोने की जो पहल की, उसने भारतीय डाक को एक नया रूप और रंग दिया। पर अंग्रेज़ों की डाक प्रणाली उनके सामरिक और व्यापारिक हितों पर केंद्रित थी। भारत की आज़ादी के बाद हमारी डाक प्रणाली को आम आदमी की ज़रूरतों को केंद्र में रख कर विकसित करने का नया दौर शुरू हुआ। नियोजित विकास प्रक्रिया ने ही भारतीय डाक को दुनिया की सबसे बड़ी और बेहतरीन डाक प्रणाली बनाया है। राष्ट्र निर्माण में भी डाक विभाग ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और इसकी उपयोगिता लगातार बनी हुई है। आम आदमी डाकघरों और डाकिया (पोस्टमैन) पर बहुत भरोसा करता है। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद इतना जन विश्वास कोई और संस्था नहीं अर्जित कर सकी है। यह स्थिति कुछ सालों में नहीं बनी है। इसके पीछे बरसों का श्रम और सेवा छिपी है।
लक्ष्य
- देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन को महसूस करते हुए दुनिया में अपनी सबसे बड़ी डाक नेटवर्क की स्थिति को बनाये रखना।
- मेल, पार्सल, धन-हस्तांतरण, बैंकिंग, बीमा और खुदरा सेवाओं को तेज़ी और विश्वसनीयता के साथ मुहैया कराना।
- धन के मूल्य के आधार पर ग्राहकों को सेवा मुहैया कराना।
- यह सुनिश्चित करना कि कर्मचारियों को हमारी मुख्य शक्ति होने पर गर्व महसूस हो और ग्राहकों की सेवा मानव स्पर्शता के साथ कर सकें।
- सामाजिक सेवा सुरक्षा को जारी रखना और भारत सरकार के मंच के रुप में अपने आप को अंतिम मील के रुप में सक्षम रखना।[2]
शुरुआत
आज भारतीय डाक के नाम से प्रसिद्ध इस प्रणाली की शुरूआत 1 अक्तूबर, 1854 को एक महानिदेशक के नियंत्रण वाले 701 डाकघरों के नेटवर्क के साथ हुई। 1854 के 'डाकघर अधिनियम' ने डाकघर प्रबंधन का सम्पूर्ण एकाधिकार और पत्रों के संवाहन का विशेषाधिकार सरकार को प्रदत्त करते हुए तत्कालीन डाक प्रणाली को संशोधित किया। इसी साल 'रेल डाक सेवा' की भी स्थापना हुई और भारत से ब्रिटेन और चीन के बीच 'समुद्री डाक सेवा' भी शुरू की गई। इसी वर्ष देश भर में पहला वैध डाक टिकट भी जारी किया गया। सामाजिक बदलाव को गति प्रदान करने की भूमिका निभाता हुआ वर्तमान भारतीय डाक विभाग परम्परा और आधुनिकता का समावेश है।
एक लाख 55 हज़ार से भी ज़्यादा डाकघरों वाला यह तंत्र विश्व की सबसे बड़ी डाक प्रणाली है।[3]
देश का सबसे बड़ा नेटवर्क
भारतीय डाक देश में सब से बड़ा रिटेल नेटवर्क भी है। समय का साथ देते हुए इस ने ढेर सारी सुविधाएँ शुरू कीं जिनमें मनीआर्डर और बचत बैंक महत्वपूर्ण है। यह देश का पहला बचत बैंक था और आज इसके 16 करोड़ से भी ज़्यादा खातेदार हैं और डाकघरों के खाते में दो करोड़ 60 लाख करोड़ से भी अधिक राशि जमा है। डाक विभाग का कहना है कि डाक विभाग का सालाना राजस्व 1570 करोड़ से भी अधिक है। वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए ई-गवर्नेंस, ई-पोस्ट और स्पीड पोस्ट इत्यादि की शुरूआत की जा चुकी है। भारतीय डाक ने अपने विशेष डाक टिकटों के द्वारा महत्वपूर्ण अवसर, व्यक्ति और घटना को फ़र्स्ट डे कवर यानी प्रथम दिवस आवरण से प्रदर्शित भी किया है।[3]
डाकिया
हरेक पारंपरिक समुदाय के लोक साहित्य में डाकिये का स्थान काफ़ी ऊंचा है। भारत में प्रायः सभी क्षेत्रीय भाषाओं में डाकिए की कहानियां और कविताएं मिल जाएंगी। पुराने ज़माने में हरेक डाकिए को ढोल बजाने वाला मिलता था जो जंगली रास्तों से गुजरते समय डाकिए की सहायता करता था। रात घिरने के बाद खतरनाक रास्तों से गुजरते समय डाकिए के साथ दो मशालची और दो तीरंदाज़ भी चलते थे। ऐसे कई किस्से मिलते हैं जिनमें डाकिए को शेर उठा ले गया या वह उफनती नदी में डूब गया या उसे जहरीले सांप ने काट लिया या वह चट्टान फिसलने या मिट्टी गिरने से दब गया या चोरों ने उसकी हत्या कर दी। भारत सरकार के जन सूचना निदेशक ने 1923 में संसद को बताया था कि वर्ष 1921-22 के दौरान राहजनी करने वाले चोरों द्वारा डाक लूटने की 57 घटनाएं हुई थीं, जबकि इसके पिछले साल ऐसे 36 मामले हुए थे । 457 मामलों में से सात मामलों में लोगों की जानें गई थीं, 13 मामलों में डाकिये घायल हो गए थे।[4]
भारतीय डाक कार्यालय का सफ़रनामा
वर्ष | कार्य |
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1766 | लॉर्ड क्लाइव द्वारा प्रथम डाक व्यवस्था भारत में स्थापित की गयी। |
1774 | वारेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में प्रधान डाकघर (GPO) स्थापित किया। |
1786 | मद्रास में प्रधान डाकघर (GPO) की स्थापना की गयी। |
1793 | बम्बई में प्रधान डाकघर (GPO) की स्थापना की गयी। |
1854 | भारत में पोस्ट ऑफ़िस को प्रथम बार 1 अक्टूबर, 1854 को राष्ट्रीय महत्त्व के पृथक् रूप से डायरेक्टर जनरल के संयुक्त नियंत्रण के अंतर्गत मान्यता मिली। 1 अक्टूबर, 2004 तक के सफर को 150 वर्ष के रूप में मनाया गया। डाक विभाग की स्थापना इसी समय से मानी जाती है। |
1863 | रेल डाक सेवा आरम्भ की गई। |
1873 | नक़्क़ाशीदार लिफ़ाफ़े की बिक्री प्रारम्भ की गयी। |
1876 | भारत पार्सल पोस्टल यूनियन में शामिल किया गया। |
1877 | वीपीपी और पार्सल सेवा आरम्भ की गयी। |
1879 | पोस्टकार्ड आरम्भ किया गया। |
1880 | मनीऑर्डर सेवा प्रारम्भ की गई। |
1911 | प्रथम एयरमेल सेवा इलाहाबाद से नैनी डाक से भेजी गई। |
1935 | इण्डियन पोस्टल ऑर्डर प्रारम्भ हुआ। |
1972 | पिन कोड प्रारम्भ किया गया। |
1984 | डीक जीवन बीमा का प्रारम्भ किया गया। |
1985 | पोस्ट और टेलीकॉम विभाग पृथक् किये गए। |
1986 | स्पीड पोस्ट सेवा (EME) शुरू की गयी। |
1990 | डाक विभाग मुम्बई व चेन्नई में दो स्वचालित डाक प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किये गए। |
1995 | ग्रामीण डाक जीवन बीमा की शुरुआत की गयी। |
1996 | मीडिया डाक सेवा का प्रारम्भ हुआ। |
1997 | बिजनेस पोस्ट सेवा को आरम्भ किया गया। |
1998 | उपग्रह डाक सेवा शुरू की गयी। |
1999 | डाटा डाक व एक्सप्रेस डाक सेवा प्रारम्भ की गयी। |
2000 | ग्रीटिंग पोस्ट सेवा प्रारम्भ की गयी। |
2001 | इलेक्ट्रॉनिक फ़ण्ड ट्रांसफ़र सेवा (EFT) प्रारम्भ की गयी। |
2002 | इंटरनेट आधारित ट्रैक एवं टेक्स सेवा की शुरुआत की गयी। |
2003 | बिल मेल सेवा प्रारम्भ की गयी। |
2004 | ई-पोस्ट सेवा की शुरुआत की गयी। |
2004 | लोजिस्टिक्स पोस्ट सेवा प्रारम्भ की गई। |
2005 | डायरेक्ट मेल सेवा प्रारम्भ की गई। |
2005 | बिल मेल सेवा प्रारम्भ की गई। |
2006 | आई.एम.ओ. (Instant Money Order) प्रारम्भ की गई। |
2008 | ई-मनीऑर्डर सेवा प्रारम्भ की गई। |
भारतीय डाक की उत्कृष्ट सेवाएं
भारतीय डाक अपनी परम्परागत छवि से हट कर समाज के प्रति वचनबद्ध, प्रौद्योगिकी युक्त और दूरदर्शी संगठन के रूप में उभर रहा है। समूचे भारत में 1,55,015 डाकघरों का विशाल तंत्र फैला हुआ है जिसमें से 1,39,144 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जो विश्व भर में डाक घरों का सबसे बड़ा तंत्र है। डाक विभाग जिन स्थानों में डाक घर नहीं खोल पाया है, वहां की मांग को पूरी करने के लिए अब तक 850 डाक घरों की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। यह तंत्र न केवल सभी नागरिकों के लिए आवश्यक डाक सेवाएं उपलब्ध कराने का सामाजिक दायित्व पूरा करने में मदद कर रहा है बल्कि इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के लिए भी उत्प्रेरक का काम कर रहा है। कम्प्यूटरों के प्रगतिशील इस्तेमाल और एक ही स्थान पर माध्यम से जुड़ने का तंत्र कायम करके डाक घर खुदरा उत्पादों और अन्य सेवाओं को भारतीय डाक के माध्यम से भेजने का एक एकीकृत माध्यम उपलब्ध कराता है। परिवर्तित डाक स्वरूप के रूप में उपभोक्ता से व्यापार तथा कारोबार से अन्य व्यापारिक स्थानों तक के वर्ग में डाक सेवा के विस्तार में पर्याप्त वृद्धि होती रही है। सेवाओं और सुविधाओं के मामले में सामान्य लोगों की आशाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं और उससे आर्थिक परिदृश्य में परिवर्तन आता जा रहा है। सरकारें और निगमित क्षेत्रों ने आम लोगों तक पहुंचने के लिए भारतीय डाक के विशाल तंत्र और विश्वसनीयता का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। डाक घरों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाने वाली कुछ सेवाएं निम्नलिखित हैं-
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (एनआरईजीएस)
डाक विभाग के डाकखानों को डाक कार्यालय बचत बैंक खाता के जरिए एनआरईजीएस के लाभार्थियों को वेतन की जिम्मेदारी दी गई है। इस प्रकार की सेवा 2006 में आंध्र प्रदेश डाक सर्किल से शुरू की गई है। एनआरईजीएस के अंतर्गत वेतन भुगतान इस समय 21 राज्यों के 19 डाक सर्किलों में लागू है। 1 लाख डाक घरों के जरिए इस स्कीम का संचालन किया जा रहा है। मार्च 2011 (जुलाई 2011) से अब तक एनआरईजीएस के लगभग 4.9 करोड़ (5.04) खाते खोले जा चुके हैं और सिर्फ इस वित्तीय वर्ष के दौरान ही 7300 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं।
एस. बी. आई. के साथ गठबंधन
भारतीय डाक का भारतीय स्टेट बैंक के साथ समझौता हुआ है कि वह निर्धारित डाक घरों के माध्यम से अपनी आस्तियों और दाय उत्पादों की बिक्री करेगें। प्रारम्भ में यह स्कीम पांच राज्यों में शुरू की गई थी। बाद में 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में भी शुरू कर दिया गया। शुरू किये गये विभिन्न प्रकार के खातों की कुल संख्या 1.04 लाख और बिक्री की गई कुल आस्तियां 17 करोड़ रुपये तक पहुंच गईं।
नाबार्ड के साथ गठबंधन
नाबार्ड के साथ सहयोग करते हुए डाक विभाग एजेंसी आधार पर चिन्हित डाक घरों के माध्यम से स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के लिए माइक्रो क्रेडिट सुविधा नाबार्ड के साथ मिलकर उपलब्ध करायेगी। बाद में इस स्कीम को 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू कर दिया जाएगा। विभिन्न प्रकार के खोले गए खातों की कुल संख्या 1.04 लाख हो गर्इ है और कुल बिक्री की आस्तियां 17 करोड़ रुपये तक हो गई। डाक विभाग, नाबार्ड के साथ मिलकर एजेंसी के आधार पर चिन्हित डाकघरों के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के लिए सूक्ष्म ऋण (माइक्रो क्रेडिट) सुविधा उपलब्ध करा रहा है। प्रयोग के तौर पर, पांच ज़िलों में इसका कार्य संचालन किया जा रहा है। इसमें तमिलनाडु सर्किल के सात डिवीजनों को सम्मिलित किया जा रहा है। इस रिवाल्विंग फंड की सहायता राशि बढ़ाकर 3 करोड़ कर दी गई है। इस स्कीम से 1,200 स्वयं सहायता समूहों को लाभ मिल रहा है।
सोने के सिक्कों की बिक्री
'रिलायंस मनी लिमिटेड' के साथ मिलकर सोने के सिक्कों की बिक्री कुछ चुने हुए डाक घरों में अक्तूबर, 2008 में शुरू की गई । यह स्कीम 21 राज्यों में 672 डाक कार्यालयों में उपलब्ध है।
वृद्धावस्था पेंशन
वृद्धावस्था पेंशन का बिहार, दिल्ली, झारखंड और उत्तर-पूर्वी राज्यों में 20 लाख पोस्ट ऑफिस बचत खातों के माध्यम से तथा जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु में मनी ऑर्डर के जरिए भुगतान किया जा रहा है।
आर. टी. आई. आवेदनों की ऑनलाइन स्वीकृति
डाक विभाग सूचना के अधिकार क़ानून के क्रियान्वयन में केन्द्र सरकार के अधीन अन्य लोक प्राधिकारियों को सहायता दे रहा है। यह केन्द्रीय सहायक जन सूचना अधिकारियों के जरिए सेवाएं प्रदान कर रहा है। तहसील स्तर के उप पोस्ट मास्टर बतौर केन्द्रीय सहायक जन सूचना अधिकारी काम कर रहे हैं और आरटीआई अनुरोध एवं आवेदन स्वीकार कर रहे हैं। विभाग ने 4000 डाक घरों को आरटीआई आवेदन स्वीकार कर उसे लोक प्राधिकारियों तक पहुंचाने के लिए निर्दिष्ट किया है। इसके लिए एक आरटीआई सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।
रेलवे टिकट आरक्षण
डाक घरों के माध्यम से वर्तमान में 170 जगहों से रेलवे के टिकट बेचे जा रहे हैं। इस योजना का विस्तार गांवों में भी किया जाएगा।
रूरल प्राइस इंडेक्स डाटा कलेक्शन
सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने अक्तूबर 2009 से देश के 1183 डाक घरों को 'रूरल प्राइस इंडेक्स' तय करने के लिए आंकड़े इकठ्ठा करने की जिम्मेदारी सौंपी है। किसी निश्चित कार्य दिवस में डाक घर के पोस्ट मास्टर 185 से 292 वस्तुओं की कीमतें जुटाते हैं। संग्रह किए गए आंकडे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय को प्रेषित किए जाते हैं। इस कार्य से डाक विभाग को 7 करोड 33 लाख रुपए की आय हुई।
यूनिक आइडेन्टीफ़िकेशन नम्बर (आधार नंबर)
डाक विभाग देश के सभी नागरिकों तक आधार नंबर वितरित कर इस मामले में पूर्ण समाधान उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है। डाक घरों के विशाल नेटवर्क के साथ डाक विभाग ही एक मात्र ऐसा विभाग है जो यूनिक आइडेन्टीफिकेशन नम्बर से जुडे सभी समाधान उपलब्ध करा सकता है। यूनिक आइडेन्टीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इण्डिया, यूआर्इडीएआई का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को आधार नंबर उपलब्ध कराना है।
इसी विशाल नेटवर्क के जरिए यह देश के हर नागरिक तक अपनी पहुंच रखता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआर्इडीएआई) और डाक विभाग ने 30 अप्रैल 2010 को अपने पहले सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता कोलकाता जीपीओ पर 'प्रिंट टू पोस्ट' सुविधा उपलब्ध कराता है, जिसके अन्तर्गत निवासी की सूचनाओं का संग्रह करने वाले यूआईडी आधार नंबर की छपाई होती है। बड़े नेटवर्क के जरिए देश में प्राप्तकर्ता को शीघ्रता से उसका आधार नंबर पहुंचा दिया जाता है। उसके बाद डाक विभाग के साथ दूसरा समझौता 18 सितम्बर 2010 को हुआ जिसके अन्तर्गत डाक विभाग, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआर्इडीएआई) के लिए रजिस्ट्रार के रूप में काम करने के लिए सहमत हुआ। यूआर्इडीएआई द्वारा चुनी गई नामांकन एजेंन्सियां चिन्हित किए गए डाक घरों में नामांकन स्टेशन का कार्य देखेंगी। नामांकन स्टेशन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए देश के 3700 डाक घरों को चयनित किया गया है। यह स्टेशन सभी निवासियों का जनसांख्कीय तथा बायोमीट्रिक आंकड़ें इकठ्ठा करने और मियादी आधार पर उन आंकडों को अद्यतन करने में मदद करेंगे।
डाक खुदरा सेवा
भारतीय डाक विभाग और 'फैब इण्डिया' ने उपभोक्ता को लाभान्वित करने के भागीदारी की है, जो कि अपनी तरह की पहली सरकारी निजी भागीदारी है। फैब इण्डिया के प्रमुख स्टोर पर अपना खुदरा काउंटर खोलने के साथ ही भारतीय डाक विभाग ने उपभोक्ताओं को परेशानी मुक्त खुदरा डाक सेवा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है, जिससे देश ही नहीं बल्कि विदशों में भेजने के लिए भी उपभोक्ता को फैब इण्डिया के उत्पाद ख़रीदकर उन्हें पैकिंग से लेकर डिस्पैच तक की सुविधा रहेगी। उपभोक्ताओं को सामान की बुकिंग के लिए दिल्ली पोस्टल सर्किल के डाक कर्मी फैब इण्डिया के काउंटर पर ही सेवा देंगे। डाक विभाग द्वारा सबसे पहले खुदरा सेवा 'जवाहर व्यापार भवन कॉटेज एंपोरियम', नई दिल्ली में शुरू की गई। फैब इण्डिया के साथ शुरू की गई यह सेवा एक तरह से उसी का विस्तार है। इससे ग्राहक को शॉपिंग कॉम्पलेक्स में ही स्पीड पोस्ट और रजिस्टर्ड पार्सल बुकिंग जैसी सुविधाएं मिल जाती हैं।
वीज़ा संबंधी सेवाएं
भारतीय डाक ने डाकघरों के माध्यम से विभिन्न देशों के लिए वीज़ा संबंधी सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से 'मैसर्स वीएफएस ग्लोबल' के साथ एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किया। 30 अगस्त, 2011 को हस्ताक्षर किए गए सहमति-पत्र में उन स्थानों पर वीज़ा संबंधी सेवाएं प्रदान करने के बारे में व्यापक समझ और इरादों का उल्लेख किया गया है, जहां फिलहाल ये सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। शुल्क वसूलने, वीज़ा आवेदन प्रपत्र उपलब्ध कराने, वीज़ा के बारे में सूचनाओं का प्रसार करना, बायो-मैट्रिक पंजीकरण करने और वीज़ा के लिए आवेदन करने की अन्य प्रक्रियाओं से संबंधित सेवाओं के लिए डाकघरों के काउंटरों का इस्तेमाल किया जाएगा। भारतीय डाक और वीएफएस इस दिशा में प्रयत्नशील हैं कि भारतीय डाक कूरियर सेवा, वीएफएस कार्यालयों और संबंधित दूतावासों तक पासपोर्ट पहुंचाने के लिए स्पीड पोस्ट और फिर आवेदकों तक उन्हें वितरित करने में सहयोग कायम किया जा सके। दोनों पक्ष अन्य किसी प्रकार की सेवा प्रदान करने की दिशा में संभावनाओं को भी तलाशेंगे, जिससे कि भारतीय डाक परस्पर मान्य शर्तों के आधार पर वीएफएस ग्लोबल नेटवर्क के माध्यम से सेवाएं प्रदान कर सकेगा।
कूलरों की बिक्री
भारतीय डाक ने तमिलनाडु में राज्य के सभी डाकघरों के माध्यम से थर्मो-इलैक्ट्रिक कूलर ‘चोटूकूल’ की बुकिंग के लिए 'मैसर्स गोदरेज एंड बोयेस मेन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड' के साथ समझौता किया है। 12 अगस्त, 2011 को यह योजना शुरू की गई थी।
भारतीय डाक की साझेदारी: 2012 और उसके बाद
'भारतीय डाक की साझेदारी: 2012 और उसके बाद’ के विषय पर चर्चा के लिए हाल में सभी हितधारकों का एक गोल मेज सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के आयोजन का उद्देश्य यह था कि डाकघरों को देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में अपेक्षाकृत एक बड़ी और प्रभावकारी भूमिका निभाने के लिए समर्थ बनाया जा सके। इससे डाक विभाग को भविष्य का व्यापार प्रारूप विकसित करने और भारतीय डाक 2012 परियोजना के प्रौद्योगिकीय ढांचे के साथ जोड़ने में मदद मिलेगी।
इस गोलमेज सम्मेलन में बैंकिंग, बीमा, दूरसंचार, एफएमसीजी, सूचना प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स, उपस्कर, प्रकाशन, वित्तीय संस्थाओं, सरकारी मंत्रालयों और विभागों, औद्योगिक संघों, शैक्षिक क्षेत्र आदि के प्रमुख हितधारकों के रूप में लगभग 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया और भारतीय डाक 2012 परियोजना को साकार करने के बारे में और भारतीय डाक के साथ रणनीतिक संबंध जोड़ने के बारे में विचार-विमर्श किया। लगभग 1.5 लाख डाकघरों के नेटवर्क और डाक, उपस्कर, वित्त, जमा राशि, बीमा, बचत खाता और खुदरा कार्यों सहित अपनी विशाल और व्यापक सेवाओं के साथ आर्थिक विकास में तेज़ीलाने के संदर्भ में भारतीय डाक अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
‘परियोजना ऐरो’ के अधीन डाकघरों की रूपरेखा में बदलाव करके, तीन समर्पित माल वाहक विमान लीज़ पर लेकर, 162 डाक व्यापार केंद्र स्थापित करके और दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, बंगलौर, में स्वचालित डाक प्रक्रिया प्रणाली स्थापित करने के साथ ही मुम्बई और चेन्नई स्थित मौजूदा स्वचालित डाक प्रक्रिया केंद्रों का उन्नयन करके भारतीय डाक चुनौतियों को एक अवसर के रूप में बदल कर जनता की शीघ्र और बेहतर सेवा के प्रति दृढ़संकल्प है।[6]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 31 मार्च, 2011 तक
- ↑ हमारा लक्ष्य (हिंदी) भारतीय डाक (आधिकारिक वेबसाइट)। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2013।
- ↑ 3.0 3.1 भारतीय डाक के डेढ़ सौ साल पूरे (हिंदी) बीबीसी हिंदी। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2013।
- ↑ HINDI VIKAS (हिंदी) गूगल ग्रुप। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2013।
- ↑ भारत एक झलक (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2013।
- ↑ भारतीय डाक और उसकी उत्कृष्ट सेवाएं (हिंदी) पत्र सूचना कार्यालय। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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