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सुकुमार राय के पुत्र सत्यजित राय / सत्यजित रे / शॉत्तोजित रॉय, बीसवीं शताब्दी के विश्व की महानतम फ़िल्मी हस्तियों में से एक थे, जिन्होंने यथार्थवादी धारा की फ़िल्मों को नई दिशा देने के अलावा [[साहित्य]], [[चित्रकला]] जैसी अन्य विधाओं में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। सत्यजित राय प्रमुख रूप से फ़िल्मों में निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन लेखक और साहित्यकार के रूप में भी उन्होंने उल्लेखनीय | सुकुमार राय के पुत्र सत्यजित राय / सत्यजित रे / शॉत्तोजित रॉय, बीसवीं शताब्दी के विश्व की महानतम फ़िल्मी हस्तियों में से एक थे, जिन्होंने यथार्थवादी धारा की फ़िल्मों को नई दिशा देने के अलावा [[साहित्य]], [[चित्रकला]] जैसी अन्य विधाओं में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। सत्यजित राय प्रमुख रूप से फ़िल्मों में निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन लेखक और साहित्यकार के रूप में भी उन्होंने उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की है। सत्यजित राय फ़िल्म निर्माण से संबंधित कई काम ख़ुद ही करते थे। इनमें निर्देशन, छायांकन, पटकथा, पार्श्व संगीत, कला निर्देशन, संपादन आदि शामिल है। | ||
फ़िल्मकार के अलावा वह कहानीकार, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। विश्व में भारतीय फ़िल्मों को नई पहचान दिलाने वाले सत्यजित राय [[भारत रत्न]] ([[1992]]) के अतिरिक्त [[पद्म श्री]] ([[1958]]), [[पद्म भूषण]] ([[1965]]), [[पद्म विभूषण]] ([[1976]]) और [[रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]] ([[1967]]) से सम्मानित हैं। | |||
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सुकुमार राय
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पूरा नाम | सुकुमार राय |
जन्म | 30 अक्तूबर, 1887 |
जन्म भूमि | कलकत्ता |
मृत्यु | 10 सितम्बर, 1923 |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता |
अभिभावक | उपेन्द्रकिशोर राय |
पति/पत्नी | सुप्रभा राय |
संतान | सत्यजित राय |
कर्म-क्षेत्र | साहित्य |
विषय | कविता, कहानी, नाटक |
भाषा | बांग्ला |
विद्यालय | प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता |
शिक्षा | स्नातक |
नागरिकता | भारतीय |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
सुकुमार राय (अंग्रेज़ी: Sukumar Ray, जन्म: 30 अक्तूबर, 1887, कोलकाता; मृत्यु- 10 सितम्बर, 1923) बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं चित्रकार थे। ये बच्चों के लिए हास्य कविता एवं कहानियाँ लिखते थे। सुकुमार राय अपने समय के प्रमुख लेखक-पत्रकार एवं चित्रकार थे। सुकुमार राय गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के शिष्य थे। इनके पिता उपेंद्रनाथ चौधरी बाल साहित्य में सिद्धहस्त एवं कट्टर ब्रह्मसमाजी थे। सुकुमार राय की बेतुकी कविताएँ अपनी कल्पनाशीलता छंदबद्धता और अंवेषणशक्ति वर्णन के कारण बंगाली बच्चों द्वारा आज भी याद की जाती है। सुकुमार राय विश्व में भारतीय फ़िल्मों को नई पहचान दिलाने वाले भारत रत्न सम्मानित सत्यजित राय के पिताजी थे।[1]
संक्षिप्त जीवन परिचय
सुकुमार राय का जन्म 30 अक्तूबर, 1887 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। सुकुमार राय के पिता उपेन्द्रकिशोर राय भी एक लेखक एवं चित्रकार थे जो बांग्ला भाषा में ही बच्चों के लिए रोचक कविताएँ लिखते थे। सुकुमार राय का विवाह सुप्रभा से हुआ था। सुप्रभा राय लंबे सधे व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं और रवीन्द्र संगीत की मंजी हुई गायिका थीं और उनकी आवाज़ काफ़ी दमदार थी। सुकुमार राय की मृत्यु सन् 1923 में हुई जब सत्यजित राय मुश्किल से दो वर्ष के थे।
सत्यजित राय

सुकुमार राय के पुत्र सत्यजित राय / सत्यजित रे / शॉत्तोजित रॉय, बीसवीं शताब्दी के विश्व की महानतम फ़िल्मी हस्तियों में से एक थे, जिन्होंने यथार्थवादी धारा की फ़िल्मों को नई दिशा देने के अलावा साहित्य, चित्रकला जैसी अन्य विधाओं में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। सत्यजित राय प्रमुख रूप से फ़िल्मों में निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन लेखक और साहित्यकार के रूप में भी उन्होंने उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की है। सत्यजित राय फ़िल्म निर्माण से संबंधित कई काम ख़ुद ही करते थे। इनमें निर्देशन, छायांकन, पटकथा, पार्श्व संगीत, कला निर्देशन, संपादन आदि शामिल है।
फ़िल्मकार के अलावा वह कहानीकार, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। विश्व में भारतीय फ़िल्मों को नई पहचान दिलाने वाले सत्यजित राय भारत रत्न (1992) के अतिरिक्त पद्म श्री (1958), पद्म भूषण (1965), पद्म विभूषण (1976) और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1967) से सम्मानित हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत रत्न सम्मानित विभूतियाँ (हिंदी) गूगल बुक्स। अभिगमन तिथि: 6 सितम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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