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-[[कुषाण]] | -[[कुषाण]] | ||
+[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | +[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | ||
-पाल | -[[पाल वंश|पाल]] | ||
||विदेशी यात्रियों के विवरण में [[फ़ाह्यान]] जो चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में [[भारत]] आया था। उसने मध्य देश के जनता का वर्णन किया है। 7वी. शताब्दी ई. में चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] के विवरण से भी गुप्त इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उसने [[बुद्धगुप्त]], कुमार गुप्त प्रथम, शकादित्य तथा बालदित्य आदि गुप्त शासकों का उल्लेख किया है। उसके विवरण से यह ज्ञात होता है कि कुमार गुप्त ने ही नालन्दा विहार की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | ||विदेशी यात्रियों के विवरण में [[फ़ाह्यान]] जो चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में [[भारत]] आया था। उसने मध्य देश के जनता का वर्णन किया है। 7वी. शताब्दी ई. में चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] के विवरण से भी गुप्त इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उसने [[बुद्धगुप्त]], कुमार गुप्त प्रथम, शकादित्य तथा बालदित्य आदि गुप्त शासकों का उल्लेख किया है। उसके विवरण से यह ज्ञात होता है कि कुमार गुप्त ने ही नालन्दा विहार की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | ||
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||[[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|ग़यासुद्दीन तुग़लक़|100px|right]]ग़यासुद्दीन तुग़लक़ (1320-1325 ई.) के नाम से [[8 सितम्बर]], 1320 को [[दिल्ली]] के सिंहासन पर बैठा। इसे [[तुग़लक़ वंश]] का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार [[मंगोल]] आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह [[क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी]] के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] | ||[[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|ग़यासुद्दीन तुग़लक़|100px|right]]ग़यासुद्दीन तुग़लक़ (1320-1325 ई.) के नाम से [[8 सितम्बर]], 1320 को [[दिल्ली]] के सिंहासन पर बैठा। इसे [[तुग़लक़ वंश]] का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार [[मंगोल]] आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह [[क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी]] के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] | ||
{ | {किसके समय में [[कलकत्ता]] में प्रथम न्यायालय की स्थापना की गई थी? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -राबर्ट क्लाइव | ||
-[[ | -वेंसिटार्ट | ||
+[[वारेन हेस्टिंग्स]] | |||
- | -वेरेल्स्ट | ||
||[[चित्र:Warren Hastings.jpg|वारेन हेस्टिंग्स|100px|right]] वारेन हेस्टिंग्स के समय में [[रेग्युलेटिंग एक्ट]] के तहत 1774 ई. में कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई, जिसका अधिकार क्षेत्र कलकत्ता तक था। कलकत्ता में रहने वाले सभी भारतीय तथा [[अंग्रेज़]] इसकी परिधि में थे। कलकत्ता से बाहर के मामले यह तभी सुनता था, जब दोनों पक्ष सहतम हों। इस न्यायालय में न्याय अंग्रेज़ी क़ानूनों द्वारा किया जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वारेन हेस्टिंग्स]] | |||
{[[ | {[[राजा राममोहन राय]] द्वारा '[[ब्रह्म समाज]]' की स्थापना की गई? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-1816 में | |||
- | -1820 में | ||
+1828 में | |||
- | -1830 में | ||
{अंग्रेज़ी शासन का प्रभाव किस क्षेत्र में अधिक पड़ा? | {अंग्रेज़ी शासन का प्रभाव किस क्षेत्र में अधिक पड़ा? |
05:52, 25 नवम्बर 2011 का अवतरण
इतिहास
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