"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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==इतिहास सामान्य ज्ञान== | |||
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<quiz display=simple> | |||
{[[महावीर]] ने 'जैन संघ' की स्थापना कहाँ की थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[कुण्डग्राम]] | |||
-[[वैशाली]] | |||
+[[पावापुरी]] | |||
-[[वाराणसी]] | |||
||[[कनिंघम]] ने 'पावापुरी' का अभिज्ञान 'कसिया' के दक्षिण-पूर्व में 10 मील पर स्थित 'फ़ाज़िलपुर' नामक ग्राम से किया है। जैन ग्रंथ [[कल्पसूत्र]] के अनुसार [[महावीर]] ने [[पावापुरी]] में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को [[जैन धर्म]] के संम्प्रदाय का [[सारनाथ]] माना जाता है। महावीर स्वामी द्वारा 'जैन संघ' की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पावापुरी]] | |||
{किस विदेशी दूत ने अपने को 'भागवत' घोषित किया? | |||
|type="()"} | |||
-[[मेगस्थनीज़]] | |||
+हेलिओडोरस | |||
-प्लूटार्क | |||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
{[[वैदिक काल|वैदिक कालीन]] लोगों ने सर्वप्रथम किस [[धातु]] का प्रयोग किया? | |||
|type="()"} | |||
- [[लोहा]] | |||
- कांसा | |||
+ [[ताँबा]] | |||
- [[सोना]] | |||
||[[चित्र:Copper.jpg|right|100px|ताँबा]]ताँबा [[गुलाबी रंग|गुलाबी]], [[लाल रंग]] की चमकदार [[धातु]] है व [[चांदी]] के अतिरिक्त [[विद्युत]] की सबसे अच्छी सुचालक है। विद्युत सुचालक होने के कारण इसका प्रयोग विद्युत यंत्र 'कैलोरीमीटर' आदि बनाने में किया जाता है। [[भारत]] में ताँबे का प्रयोग काफ़ी लम्बे समय से किया जाता रहा है। [[वैदिक काल]] में इसका प्रथमत: प्रयोग किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ताँबा]] | |||
{हल सम्बन्धी अनुष्ठान का पहला व्याख्यात्मक वर्णन कहाँ से मिला है? | |||
|type="()"} | |||
- [[गोपथ ब्राह्मण]] में | |||
+ [[शतपथ ब्राह्मण]] में | |||
- [[ऐतरेय ब्राह्मण]] में | |||
- [[पंचविंश ब्राह्मण]] में | |||
||'शतपथ ब्राह्मण' में वैदिक [[संस्कृत]] के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। [[शतपथ ब्राह्मण]] में [[यज्ञ|यज्ञों]] को जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। हल सम्बन्धी अनुष्ठान का विस्तृत वर्णन भी इसमें प्राप्त होता है। [[अश्वमेध यज्ञ]] के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख इसमें है, जिसमें [[जनक]], [[दुष्यन्त]] और [[जनमेजय]] का नाम महत्त्वपूर्ण है। समस्त ब्राह्मण-ग्रन्थों के मध्य शतपथ ब्राह्मण सर्वाधिक बृहत्काय है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शतपथ ब्राह्मण]] | |||
{किस [[वेद]] की रचना गद्य एवं पद्य दोनों में की गई है? | |||
|type="()"} | |||
- [[ऋग्वेद]] | |||
- [[सामवेद]] | |||
+ [[यजुर्वेद]] | |||
- [[अथर्ववेद]] | |||
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]]यजुर्वेद ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। [[यर्जुवेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक [[पुरोहित]] करता था। इस [[वेद]] में अनेक प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] को सम्पन्न करने की विधियों का उल्लेख है। यह 'गद्य' तथा 'पद्य' दोनों में लिखा गया है। गद्य को 'यजुष' कहा गया है। यजुर्वेद का अन्तिम अध्याय [[ईशावास्योपनिषद|ईशावास्य उपनिषयद]] है, जिसका सम्बन्ध आध्यात्मिक चिन्तन से है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]] | |||
{[[वेदान्त]] किसे कहा गया है? | |||
|type="()"} | |||
- [[वेद|वेदों]] को | |||
- [[आरण्यक|आरण्यकों]] को | |||
- [[ब्राह्मण ग्रंथ|ब्राह्मण ग्रंथों]] को | |||
+ [[उपनिषद|उपनिषदों]] को | |||
||[[सर्वपल्ली राधाकृष्णन|डॉ. राधाकृष्णन]] के अनुसार [[उपनिषद]] शब्द की व्युत्पत्ति 'उप' (निकट), 'नि' (नीचे), और 'षद' (बैठो) से है। इस संसार के बारे में सत्य को जानने के लिए शिष्यों के दल अपने गुरु के निकट बैठते थे। उपनिषदों का [[दर्शन]] [[वेदान्त]] भी कहलाता है, जिसका अर्थ है- 'वेदों का अन्त', उनकी परिपूर्ति। इनमें मुख्यत: ज्ञान से सम्बन्धित समस्याऔं पर विचार किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उपनिषद]] | |||
{ज्ञानमार्गी शाखा के [[कवि|कवियों]] को किस नाम से पुकारा जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-सिद्ध कवि | |||
-नाथपंथी कवि | |||
-भक्त कवि | |||
+संत कवि | |||
{[[मराठा|मराठों]] ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का कुशल प्रशिक्षण सम्भवतः किससे प्राप्त किया था? | |||
|type="()"} | |||
- [[गोलकुण्डा]] के मीर जुमला से | |||
+ [[अहमदनगर]] के अबीसीनियायी मंत्री [[मलिक अम्बर]] से | |||
- [[मलिक काफ़ूर]] से | |||
- [[मीर ज़ाफ़र]] से | |||
||मराठे तेज़ गति वाले थे और दुश्मन की रसद काटने में काफ़ी होशियार थे। [[मलिक अम्बर]] ने [[मराठा|मराठों]] को गुरिल्ला युद्ध में भी निपुणता प्रदान कर दी थी। यह गुरिल्ला युद्ध प्रणाली दक्कन के मराठों के लिए परम्परागत थी और वे इसमें और भी निपुण हो गए, लेकिन [[मुग़ल]] इससे अपरिचित थे। मराठों की सहायता से मलिक अम्बर ने मुग़लों को [[बरार]], [[अहमदनगर]], और बालाघाट में अपनी स्थिति सुदृढ़ करना कठिन कर दिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मलिक अम्बर]] | |||
{[[अशोक]] ने कलिंग पर कब आक्रमण किया था? | |||
|type="()"} | |||
-260 ई. पू. में | |||
-259 ई. पू. में | |||
+261 ई. पू. में | |||
-273 ई. पू. में | |||
{निम्नलिखित में से किसे 'जाटों का प्लेटो' कहा जाता था? | |||
|type="()"} | |||
- [[राजाराम]] | |||
- [[ठाकुर चूड़ामन सिंह|चूड़ामन]] | |||
+ [[सूरजमल]] | |||
- [[बदनसिंह]] | |||
{किस बौद्ध संगीति में [[बौद्ध धर्म]] ग्रंथों में संस्कृत का प्रयोग प्रारम्भ हुआ? | |||
|type="()"} | |||
-प्रथम | |||
-द्वितीय | |||
-तृतीय | |||
+चतुर्थ | |||
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा दिये गये प्रथम उपदेश को क्या कहा जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-महाभिनिष्क्रमण | |||
+धर्मचक्र प्रवर्तन | |||
-प्रतीत्य समुत्पाद | |||
-उपसम्पदा | |||
{सन् [[1932]] ई. में 'अखिल भारतीय हरिजन संघ' की स्थापना किसने की थी? | |||
|type="()"} | |||
- [[भीमराव आम्बेडकर|बाबा साहेब अम्बेडकर]] | |||
+ [[महात्मा गाँधी]] | |||
- [[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
- ज्योतिबा फुले | |||
||महात्मा गाँधी ([[2 अक्तूबर]], [[1869]] - [[30 जनवरी]], [[1948]]) को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और '''राष्ट्रपिता''' माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। मोहनदास करमचंद गांधी [[भारत]] एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महात्मा गाँधी]] | |||
{निम्न में से [[संगीत]] के किस [[वाद्य यंत्र]] को [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] गान वाद्यों का सबसे श्रेष्ठ मिश्रण माना गया है? | |||
|type="()"} | |||
-[[वीणा]] | |||
-[[ढोलक]] | |||
+[[सितार]] | |||
-[[सारंगी]] | |||
||[[चित्र:Sitar.jpg|right|120px|सितार]]5 तार वाले [[वाद्य यंत्र]] आज भी 'परशिया' के लोक-संगीत में इस्तेमाल किये जाते हैं। सम्भव है कि इस वाद्य के प्रचार में [[अमीर ख़ुसरो]] का विशेष हाथ रहा हो। [[हिन्दू]] तथा [[मुसलमान]], इन दोनों के श्रेष्ठ वाद्य यंत्रों के मिश्रण से [[सितार]] की उत्पत्ति मानी जाती है। सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सितार]] | |||
{[[महमूद ग़ज़नवी]] के आक्रमण के समय हिन्दूशाही साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी? | |||
|type="()"} | |||
- [[क़ाबुल]] | |||
- [[पेशावर]] | |||
- अटक | |||
+ उदमाण्डपुर या ओहिन्द | |||
</quiz> | |||
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14:33, 6 दिसम्बर 2011 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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