"गांगेय": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) |
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
====भगवान गणेश के अन्य नाम==== | ====भगवान गणेश के अन्य नाम==== | ||
[[चित्र:Ganesha.jpg|thumb|250px|गणेश<br /> Ganesha]] | [[चित्र:Ganesha.jpg|thumb|250px|गणेश<br /> Ganesha]] | ||
#[[ | #[[विघ्नराज]] | ||
#[[द्वैमातुर]] | #[[द्वैमातुर]] | ||
#[[गणाधिप]] | #[[गणाधिप]] | ||
#[[ | #[[एकदन्त]] | ||
#[[हेरम्ब]] | #[[हेरम्ब]] | ||
#[[लम्बोदर]] | #[[लम्बोदर]] | ||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
#[[विघ्ननाशक]] | #[[विघ्ननाशक]] | ||
#[[धूम्रकेतु]] | #[[धूम्रकेतु]] | ||
#[[ | #[[गणाध्यक्ष]] | ||
#[[भालचन्द्र]] | #[[भालचन्द्र]] | ||
#[[ | #[[गांगेय]] | ||
#[[रक्तवर्ण]] | |||
#[[शूर्पकर्ण]] | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= |
08:12, 7 अगस्त 2010 का अवतरण
मुख्य लेख : गणेश
अन्य सम्बंधित लेख |
शिव और पार्वती पुत्र भगवान गणेश का ही नाम गांगेय है। पद्म पुराण के अनुसार एक बार श्री पार्वती जी ने अपने शरीर के मैल से एक पुरुषाकृति बनायी, जिसका मुख हाथी के समान था। फिर उस आकृति को उन्होंने गंगा में डाल दिया। गंगाजी में पड़ते ही वह आकृति विशालकाय हो गयी। पार्वती जी ने उसे पुत्र कहकर पुकारा। देव समुदाय ने उन्हें गांगेय कहकर सम्मान दिया और ब्रह्मा जी ने उन्हें गणों का आधिपत्य प्रदान करके गणेश नाम दिया।
भगवान गणेश के अन्य नाम

Ganesha
- विघ्नराज
- द्वैमातुर
- गणाधिप
- एकदन्त
- हेरम्ब
- लम्बोदर
- गजानन
- सुमुख
- कपिल
- गजकर्णक
- विकट
- विघ्ननाशक
- धूम्रकेतु
- गणाध्यक्ष
- भालचन्द्र
- गांगेय
- रक्तवर्ण
- शूर्पकर्ण
|
|
|
|
|