"तकली": अवतरणों में अंतर
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*तकली [[सूत]] कातने का एक प्रकार का छोटा यंत्र होता है जिसमें पीतल की एक चकई में छोटा सा सूजा लगा रहता है। अथवा [[लकड़ी]] का लट्टू भी होता है। | [[चित्र:Spindle.jpg|thumb|250px|तकली<br />Spindle]] | ||
*तकली से [[रुई]] के सहारे सूत कातते है जिससे सूती धागा बनता है। अधिक मात्रा में सूत कातने के लिए [[चरखा|चरखे]] का प्रयोग | *तकली [[सूत]] कातने का एक प्रकार का छोटा [[यंत्र]] होता है जिसमें पीतल की एक चकई में छोटा सा सूजा लगा रहता है। अथवा [[लकड़ी]] का लट्टू भी होता है। | ||
*तकली से [[रुई]] के सहारे सूत कातते है जिससे सूती धागा बनता है। अधिक मात्रा में सूत कातने के लिए [[चरखा|चरखे]] का प्रयोग होता है। | |||
*तकली से सूत कातना पहले बच्चों को पाठशाला के पाठ्यक्रम के रूप में ही सिखाया जाता था। | *तकली से सूत कातना पहले बच्चों को पाठशाला के पाठ्यक्रम के रूप में ही सिखाया जाता था। | ||
*सूत कातकर महीन से महीन धागा बनाने की प्रतियोगिताऐं आयोजित की जाती थीं। जिनमें प्रतियोगियों को प्रमाण-पत्र और पारितोषक दिये जाते थे। | *सूत कातकर महीन से महीन धागा बनाने की प्रतियोगिताऐं आयोजित की जाती थीं। जिनमें प्रतियोगियों को प्रमाण-पत्र और पारितोषक दिये जाते थे। | ||
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11:58, 14 मई 2011 का अवतरण

Spindle
- तकली सूत कातने का एक प्रकार का छोटा यंत्र होता है जिसमें पीतल की एक चकई में छोटा सा सूजा लगा रहता है। अथवा लकड़ी का लट्टू भी होता है।
- तकली से रुई के सहारे सूत कातते है जिससे सूती धागा बनता है। अधिक मात्रा में सूत कातने के लिए चरखे का प्रयोग होता है।
- तकली से सूत कातना पहले बच्चों को पाठशाला के पाठ्यक्रम के रूप में ही सिखाया जाता था।
- सूत कातकर महीन से महीन धागा बनाने की प्रतियोगिताऐं आयोजित की जाती थीं। जिनमें प्रतियोगियों को प्रमाण-पत्र और पारितोषक दिये जाते थे।
- राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपने आश्रम में रहने वालों के लिए प्रतिदिन चार घण्टे सूत कातना अनिवार्य कर दिया था।
- यह अनिवार्यता एक समय में काँग्रेस का सदस्य बनने के लिए भी कर दी थी।
- काँग्रेस के उच्च पदाधिकारियों जैसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लिए यह बड़ी चुनौती बन गई थी।
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