"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 65: | पंक्ति 65: | ||
-नरेन्द्रनाथ दत्त | -नरेन्द्रनाथ दत्त | ||
-निमाई पण्डित | -निमाई पण्डित | ||
||[[चित्र:Ramkrishna Paramhans.jpg|right| | ||[[चित्र:Ramkrishna Paramhans.jpg|right|100px|रामकृष्ण परमहंस]]रामकृष्ण परमहंस [[भारत]] के एक महान संत एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर ज़ोर दिया था। [[रामकृष्ण परमहंस]] ने [[पश्चिम बंगाल]] के हुगली ज़िले में कामारपुकुर नामक ग्राम के एक दीन एवं धर्मनिष्ठ परिवार में 18 फ़रवरी, सन 1836 ई. में जन्म लिया था। बाल्यावस्था में वह 'गदाधर चट्टोपाध्याय' के नाम से प्रसिद्ध थे। गदाधर के [[पिता]] खुदीराम चट्टोपाध्याय निष्ठावान ग़रीब [[ब्राह्मण]] थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामकृष्ण परमहंस]] | ||
{'शिकागो विश्व धर्म पार्लियामेंट', जिसमें [[विवेकानन्द]] ने भाग लिया था, का आयोजन कब हुआ था? | {'शिकागो विश्व धर्म पार्लियामेंट', जिसमें [[विवेकानन्द]] ने भाग लिया था, का आयोजन कब हुआ था? | ||
पंक्ति 73: | पंक्ति 73: | ||
-सितम्बर, 1892 ई. | -सितम्बर, 1892 ई. | ||
+सितम्बर, 1893 ई. | +सितम्बर, 1893 ई. | ||
||[[चित्र:Swami Vivekananda.gif|right| | ||[[चित्र:Swami Vivekananda.gif|right|90px|विवेकानन्द]][[भारत]] के पुनर्निर्माण के प्रति [[विवेकानन्द]] के लगाव ने ही उन्हें 1893 ई. में 'शिकागो धर्म संसद' में जाने के लिए प्रेरित किया, जहाँ वह बिना आमंत्रण के गए थे। उनको समय न मिले, इसका भरपूर प्रयत्न किया गया। एक अमेरिकन प्रोफ़ेसर के प्रयत्न से किसी प्रकार समय मिला और 11 सितंबर, सन 1893 ई. के उस दिन उनके अलौकिक तत्वज्ञान ने पाश्चात्य जगत को चौंका दिया। [[अमेरिका]] ने स्वीकार कर लिया कि [[भारत]] ही जगद्गुरु था, और रहेगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विवेकानन्द]] | ||
{'अल हिलाल' एवं 'अल बलग़' जर्नल के सम्पादक कौन थे? | {'अल हिलाल' एवं 'अल बलग़' जर्नल के सम्पादक कौन थे? |
13:19, 21 दिसम्बर 2011 का अवतरण
इतिहास
|