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'''पंढरपुर''' नगर, दक्षिणी [[महाराष्ट्र]] राज्य, पश्चिमी [[भारत]] में स्थित है। यह [[भीमा नदी]]<ref>घुमावदार बहाव के कारण यहाँ चंद्रभागा कहलाती है।</ref> के [[तट]] पर [[सोलापुर]] नगर के पश्चिम में स्थित है। | |||
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सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचने योग्य पंढरपुर एक धार्मिक स्थल है, जहां साल भर हज़ारों [[हिंदू]] तीर्थयात्री आते हैं। भगवान [[विष्णु के अवतार]] बिठोबा और उनकी पत्नी [[रुक्मिणी]] के सम्मान में इस शहर में वर्ष में चार बार त्योहार मनाए जाते हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव शासकों द्वारा कराया गया था। यह शहर भक्ति संप्रदाय को समर्पित मराठी कवि संतों की भूमि भी है। | सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचने योग्य पंढरपुर एक धार्मिक स्थल है, जहां साल भर हज़ारों [[हिंदू]] तीर्थयात्री आते हैं। भगवान [[विष्णु के अवतार]] बिठोबा और उनकी पत्नी [[रुक्मिणी]] के सम्मान में इस शहर में वर्ष में चार बार त्योहार मनाए जाते हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव शासकों द्वारा कराया गया था। यह शहर भक्ति संप्रदाय को समर्पित [[मराठी भाषा|मराठी]] [[कवि]] संतों की भूमि भी है। | ||
भक्त पुण्ढरीक की भक्ति से रीझकर भगवान जब सामने प्रकट हुए तो भक्त ने उनके बैठने के लिए ईंट (विट) धर दी (थल)। इससे भगवान का नाम विट्ठल पड़ गया। [[देवशयनी एकादशी|देवशयनी]] और [[देवोत्थान एकादशी]] को बारकरी सम्प्रदाय के लोग यहाँ यात्रा करने के लिए आते हैं। यात्रा को ही वारी देना कहते हैं। भक्त पुण्ढरीक इस धाम के प्रतिष्ठाता माने जाते हैं। संत [[तुकाराम]], [[ज्ञानेश्वर]], [[संत नामदेव|नामदेव]], राँका-बाँका, नरहरि आदि भक्तों की यह निवास स्थली रही है। पण्ढरपुर [[भीमा नदी]] के [[तट]] पर है, जिसे यहाँ चन्द्रभागा भी कहते हैं। | |||
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07:12, 29 मार्च 2012 का अवतरण
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पंढरपुर नगर, दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत में स्थित है। यह भीमा नदी[1] के तट पर सोलापुर नगर के पश्चिम में स्थित है।
धार्मिक स्थल
सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचने योग्य पंढरपुर एक धार्मिक स्थल है, जहां साल भर हज़ारों हिंदू तीर्थयात्री आते हैं। भगवान विष्णु के अवतार बिठोबा और उनकी पत्नी रुक्मिणी के सम्मान में इस शहर में वर्ष में चार बार त्योहार मनाए जाते हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव शासकों द्वारा कराया गया था। यह शहर भक्ति संप्रदाय को समर्पित मराठी कवि संतों की भूमि भी है।
भक्त पुण्ढरीक की भक्ति से रीझकर भगवान जब सामने प्रकट हुए तो भक्त ने उनके बैठने के लिए ईंट (विट) धर दी (थल)। इससे भगवान का नाम विट्ठल पड़ गया। देवशयनी और देवोत्थान एकादशी को बारकरी सम्प्रदाय के लोग यहाँ यात्रा करने के लिए आते हैं। यात्रा को ही वारी देना कहते हैं। भक्त पुण्ढरीक इस धाम के प्रतिष्ठाता माने जाते हैं। संत तुकाराम, ज्ञानेश्वर, नामदेव, राँका-बाँका, नरहरि आदि भक्तों की यह निवास स्थली रही है। पण्ढरपुर भीमा नदी के तट पर है, जिसे यहाँ चन्द्रभागा भी कहते हैं।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार पंढरपुर की जनसंख्या 91,381 है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ घुमावदार बहाव के कारण यहाँ चंद्रभागा कहलाती है।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख