"रबाब": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''रबाब''' एक [[वाद्य यंत्र]] है। सर्वप्रथम अहोबल के 'संगीत पारिजात' में रबाब का उल्लेख मिलता है। | '''रबाब''' एक [[वाद्य यंत्र]] है। सर्वप्रथम अहोबल के 'संगीत पारिजात' में रबाब का उल्लेख मिलता है। | ||
* इसका पेट [[ | * इसका पेट [[सारंगी]] से कुछ लंबा त्रिभुजाकार तथा डेढ गुना गहरा होता है। | ||
* [[शास्त्रीय संगीत]] का वर्तमान [[सरोद]] इसी का परिष्कृत रूप है। | * [[शास्त्रीय संगीत]] का वर्तमान [[सरोद]] इसी का परिष्कृत रूप है। | ||
* इसमें तीन से सात तार तक होते है। | * इसमें तीन से सात तार तक होते है। |
12:42, 12 अक्टूबर 2012 का अवतरण
रबाब एक वाद्य यंत्र है। सर्वप्रथम अहोबल के 'संगीत पारिजात' में रबाब का उल्लेख मिलता है।
- इसका पेट सारंगी से कुछ लंबा त्रिभुजाकार तथा डेढ गुना गहरा होता है।
- शास्त्रीय संगीत का वर्तमान सरोद इसी का परिष्कृत रूप है।
- इसमें तीन से सात तार तक होते है।
- रबाब अफगानिस्तान से पंजाब तक प्रचलित रहा है।
- अनेक उष्कृष्ट रबाबियों की परम्परा में एक प्रतिष्ठित लोक-वाद्य के रूप इसकी ख्याति रही है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक- संगीत विशारद, पृष्ठ- 577