"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Yamuna-Mathura-7.jpg|right|100px|यमुना नदी]][[भारत]] के उत्तर में [[हिमालय पर्वत]] स्थित है। इसकी एक चोटी का नाम 'बन्दरपुच्छ' है। यह चोटी [[उत्तराखण्ड]] के [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|टिहरी गढ़वाल ज़िले]] में है। इसकी ऊँचाई लगभग 20,731 फुट है। इसे '[[सुमेरु पर्वत|सुमेरु]]' भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम 'कलिन्द' है। यहीं से [[यमुना नदी]] निकलती है। इसी से यमुना का नाम 'कलिंदजा' और 'कालिंदी' भी है। दोनों शब्दों का अर्थ 'कलिन्द की बेटी' होता है। यह जगह बहुत ही सुन्दर है, किंतु यहाँ पहुँचना और भी कठिन है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई यमुना की धारा [[यमुनोत्री|यमुनोत्तरी पर्वत]] से प्रकट होती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यमुना नदी]], [[हिमालय]] | ||[[चित्र:Yamuna-Mathura-7.jpg|right|100px|यमुना नदी]][[भारत]] के उत्तर में [[हिमालय पर्वत]] स्थित है। इसकी एक चोटी का नाम 'बन्दरपुच्छ' है। यह चोटी [[उत्तराखण्ड]] के [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|टिहरी गढ़वाल ज़िले]] में है। इसकी ऊँचाई लगभग 20,731 फुट है। इसे '[[सुमेरु पर्वत|सुमेरु]]' भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम 'कलिन्द' है। यहीं से [[यमुना नदी]] निकलती है। इसी से यमुना का नाम 'कलिंदजा' और 'कालिंदी' भी है। दोनों शब्दों का अर्थ 'कलिन्द की बेटी' होता है। यह जगह बहुत ही सुन्दर है, किंतु यहाँ पहुँचना और भी कठिन है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई यमुना की धारा [[यमुनोत्री|यमुनोत्तरी पर्वत]] से प्रकट होती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यमुना नदी]], [[हिमालय]] | ||
{निम्न में से किस खाड़ी को 'जलदस्यु मार्ग कहा जाने लगा है?(भारतकोश) | {निम्न में से किस नदी को '''वन की आशा''' कहा जाता है?(भारतकोश) | ||
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-[[लूनी नदी|लूनी]] | |||
-[[बाणगंगा नदी|बाणगंगा]] | |||
+[[बनास नदी|बनास]] | |||
-[[चम्बल नदी|चम्बल]] | |||
||[[चित्र:Banas-River.jpg|right|100px|बनास नदी]]'बनास नदी' [[राजस्थान]], पश्चिमोत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह [[चम्बल नदी]] की सहायक नदी है। [[बनास नदी|बनास]] एक मात्र ऐसी नदी है, जो अपना संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। 'बनास' अर्थात "वन की आशा" के रूप में जानी जाने वाली यह नदी [[उदयपुर ज़िला|उदयपुर ज़िले]] के [[अरावली पर्वतश्रेणी|अरावली पर्वत श्रेणियों]] में [[कुंभलगढ़ उदयपुर|कुंभलगढ़]] के पास खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। बनास को मौसमी नदी के रूप में जाना जाता है। यह गर्मी के समय अक्सर सूखी रहती है, लेकिन इसके बावजूद यह सिचाई का मुख्य स्रोत है। इसकी समूची घाटी में [[मिट्टी]] के बहाव से कई स्थानों में अनुपजाऊ भूमि का निर्माण हो गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बनास नदी]] | |||
{निम्न में से किस खाड़ी को 'जलदस्यु मार्ग' कहा जाने लगा है?(भारतकोश) | |||
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-[[बंगाल की खाड़ी]] | -[[बंगाल की खाड़ी]] |
13:53, 24 जुलाई 2013 का अवतरण
भूगोल सामान्य ज्ञान
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