"गोला गोकर्णनाथ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{उत्तर प्रदेश के नगर}}{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
{{उत्तर प्रदेश के नगर}}{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के नगर]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:भारत के नगर]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के नगर]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:भारत के नगर]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

12:14, 21 मार्च 2014 का अवतरण

गोला गोकर्णनाथ नामक नगर उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी से 22 मील (लगभग 35.2 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। यहाँ एक सरोवर है, जिसके समीप 'गोकर्णनाथ महादेव' का विशाल मन्दिर है।

कथा

वराह पुराण में कथा है कि भगवान शंकर एक बार मृगरूप धारण करके यहाँ विचरण कर रहे थे। देवता उन्हें ढूँढते हुए आये और उनमें से ब्रह्मा, विष्णु तथा इन्द्र ने मृगरूप में शंकर को पहचान कर ले चलने के लिए उनकी सींग पकड़ी। मृगधारी शिव तो अंर्तधान हो गए, केवल उनके तीन सींग देवताओं के हाथ में रह गए। उनमें से एक सींग देवताओं ने गोकर्णनाथ में स्थापित किया, दूसरा भागलपुर ज़िले (बिहार) के श्रंगेश्वर नामक स्थान में और तीसरा देवराज इन्द्र ने स्वर्ग में। इसके पश्चात स्वर्ग की वह मूर्ति रावण के द्वारा दक्षिण भारत के गोकर्ण तीर्थ में स्थापित कर दी गई। देवताओं के द्वारा स्थापित मूर्ति गोला गोकर्णनाथ में है। इसलिए यह पवित्र तीर्थ माना जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख