"प्रयोग:कविता बघेल 4": अवतरणों में अंतर
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{दाना हेतु ज्वार का प्रति हेक्टेयर बीज दर क्या हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-10 | {दाना हेतु [[ज्वार]] का प्रति हेक्टेयर बीज दर क्या हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-10 | ||
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+12 किग्रा | +12 किग्रा | ||
-16 किग्रा | -16 किग्रा[[सर्दी|जाड़े]] | ||
-22 किग्रा | -22 किग्रा | ||
-20 किग्रा | -20 किग्रा | ||
||दाना हेतु ज्वार का प्रति हेक्टेयर बीज दर 12-15 किग्रा है. जबकि चारे की फसल के लिए बीज दर 30-35 किग्रा है। | ||दाना हेतु ज्वार का प्रति हेक्टेयर बीज दर 12-15 किग्रा है. जबकि चारे की फसल के लिए बीज दर 30-35 किग्रा है। | ||
{जाड़े में बोए जाने वाले 'गेहूँ' के लिए उपयुक्त मृदा तापक्रम होता है | {[[सर्दी|जाड़े]] में बोए जाने वाले '[[गेहूँ]]' के लिए उपयुक्त मृदा तापक्रम कितना होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-63,प्रश्न-13 | ||
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-5-3डिग्रीC | -5-3डिग्रीC | ||
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-12-20डिग्रीC | -12-20डिग्रीC | ||
-35-40डिग्रीC | -35-40डिग्रीC | ||
||सर्दी के मौसम में बोई जाने वाली गेहूँ की फसल के लिए उपयुक्त तापक्रम 15-27डिग्रीC होना चाहिए। | ||सर्दी के मौसम में बोई जाने वाली [[गेहूँ]] की फसल के लिए उपयुक्त तापक्रम 15-27डिग्रीC होना चाहिए। | ||
{खाद्य पदार्थों में यूरिया का वर्गीकरण किस | {खाद्य पदार्थों में [[यूरिया]] का वर्गीकरण किस रूप में किया जा सकता है। (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-74 | ||
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-उच्च ऊर्जा दाना | -उच्च ऊर्जा दाना | ||
-निम्न ऊर्जा चारा | -निम्न ऊर्जा चारा | ||
-असली प्रोटीन | -असली [[प्रोटीन]] का स्त्रोत | ||
+नॉन-प्रोटीन नाइट्रोजन | +नॉन-प्रोटीन नाइट्रोजन | ||
||खाद्य पदार्थों में यूरिया का वर्गीकरण नॉन-प्रोटीन नाइट्रोजन में किया जा सकता है। | ||खाद्य पदार्थों में [[यूरिया]] का वर्गीकरण नॉन-प्रोटीन नाइट्रोजन में किया जा सकता है। | ||
{अमरूद लगाने की औसत दूरी है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-14 | {अमरूद लगाने की औसत दूरी है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-14 | ||
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-10 मी x 10 मी | -10 मी x 10 मी | ||
-8 मी x 8 मी | -8 मी x 8 मी | ||
||अमरूद, 5 मी x 5 मी | ||अमरूद, 5 मी x 5 मी, अनार, अंजीर 6 मी x 6 मी, [[आम]] 10 मी x 10 मी, [[आँवला]] 8 मी x 8 मी | ||
अनार, अंजीर 6 मी x 6 मी | |||
आम 10 मी x 10 मी | |||
आँवला 8 मी x 8 मी | |||
{ठण्डी परत पर छोटी-सी बूँद के रूप में नमी का संघनित होना कहलाता है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-84 | {ठण्डी परत पर छोटी-सी बूँद के रूप में नमी का संघनित होना कहलाता है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-84 | ||
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||ठण्डी परत पर नमी का छोटी-सी बूँद के रूप में संघनित होना 'ओस' कहलाता है। | ||ठण्डी परत पर नमी का छोटी-सी बूँद के रूप में संघनित होना 'ओस' कहलाता है। | ||
{आलू के शलभ कीट की क्षति अवस्था है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-14 | {[[आलू]] के शलभ कीट की क्षति अवस्था है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-14 | ||
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+सूँडी | +सूँडी | ||
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-कूमिकोष | -कूमिकोष | ||
-ये सभी | -ये सभी | ||
||पोटैटो ट्यूलर मोथ का सामान्य नाम आलू की सूँडी है। यह लिपिडोप्टेरा के ग्लेचिडी कुल में आता है। यह कीट आलू, टमाटर, बैंगन तथा तम्बाकू को क्षति पहुँचाता है। इस कीट की सूँडी क्षति की अवस्था है। | ||पोटैटो ट्यूलर मोथ का सामान्य नाम [[आलू]] की सूँडी है। यह लिपिडोप्टेरा के ग्लेचिडी कुल में आता है। यह कीट आलू, [[टमाटर]], [[बैंगन]] तथा [[तम्बाकू]] को क्षति पहुँचाता है। इस कीट की सूँडी क्षति की अवस्था है। | ||
{परिवार है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-20 | {[[परिवार]] है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-20 | ||
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-विशिष्ट प्रयोजनान्तर्गत बना समूह | -विशिष्ट प्रयोजनान्तर्गत बना समूह | ||
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-क्यू.से. | -क्यू.से. | ||
-ई.सी.सी. | -ई.सी.सी. | ||
||पी.एफ-पी.एफ value मृदा नमी माप की इकाई है। पी.--Poten 2 जिसका अर्थ होता है 10 पर | ||पी.एफ-पी.एफ value मृदा नमी माप की इकाई है। पी.--Poten 2 जिसका अर्थ होता है 10 पर घात। एफ का मतलब Force से है। pF मृत नमी का श्रणात्मक दाब का आंकिक मान अर्थात् जल-कॉलम का सेमी से ऊचाई का आधार 10 पर Logritum है। | ||
{अरहर के 200 किग्रा बीज उपचारित करने के लिए एक लीटर पानी, थाइराम 75% डब्ल्यू.पी.डी.........ग्राम की आवश्यकता पड़ती है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-16 | {[[अरहर]] के 200 किग्रा बीज उपचारित करने के लिए एक लीटर पानी, थाइराम 75% डब्ल्यू.पी.डी.........ग्राम की आवश्यकता पड़ती है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-16 | ||
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+150 | +150 | ||
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{शरदकालीन गन्ने की बुआई का उचित समय है | {[[शरद ऋतु|शरदकालीन]] [[गन्ना|गन्ने]] की बुआई का उचित समय क्या है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-14 | ||
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-जनवरी | -[[जनवरी]] | ||
-मार्च | -[[मार्च]] | ||
+अक्टूबर | +[[अक्टूबर]] | ||
-नवम्बर | -[[नवम्बर]] | ||
||शरदकालीन गन्ने की बुआई अक्टूबर में की जाती है। इस गन्ने की कटाई भी अगले वर्ष लगभग अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में की जाती है। | ||[[शरद ऋतु|शरदकालीन]] [[गन्ना|गन्ने]] की बुआई [[अक्टूबर]] में की जाती है। इस गन्ने की कटाई भी अगले वर्ष लगभग अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में की जाती है। | ||
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{जब भूमि का ढलान अधिकतर ऊँचा-नीचा हो तब सिंचाई का कौन-सा तरीका अधिक क्षमतावान होता है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-11 | {जब भूमि का ढलान अधिकतर ऊँचा-नीचा हो तब सिंचाई का कौन-सा तरीका अधिक क्षमतावान होता है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-11 | ||
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- | -सतह तरीका | ||
+छिड़काव तरीका | +छिड़काव तरीका | ||
-भूमि के अंदर पानी | -भूमि के अंदर [[पानी]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||ऊँची-नीची व ढलुआ और रेगिस्तानी क्षेत्रों में 'छिड़काव' सिंचाई की उपयुक्त विधि है। | ||ऊँची-नीची व ढलुआ और रेगिस्तानी क्षेत्रों में 'छिड़काव' सिंचाई की उपयुक्त विधि है। | ||
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-पत्ती की मध्य शिरा के अंदर | -पत्ती की मध्य शिरा के अंदर | ||
-पत्ती के किनारे के ऊतकों के अंदर | -पत्ती के किनारे के ऊतकों के अंदर | ||
||मादा-मैंगो लीफ हॉपर्स पत्ती की निचली सतह पर अपने अण्डे देती है। यह कीट आम के पौधों को बहुत नुकसान पहुँचाता है। यह कीट अपने साथ स्टाइकेट सीट छोड़ता है, जिससे उसके ऊपर कवक का विकस हो जाता है। | ||मादा-मैंगो लीफ हॉपर्स पत्ती की निचली सतह पर अपने अण्डे देती है। यह कीट [[आम]] के पौधों को बहुत नुकसान पहुँचाता है। यह कीट अपने साथ स्टाइकेट सीट छोड़ता है, जिससे उसके ऊपर [[कवक]] का विकस हो जाता है। | ||
{स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु किस प्रकार का दुहाई-बर्तन सर्वोपरि होता है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-75 | {स्वच्छ [[दुग्ध]] उत्पादन हेतु किस प्रकार का दुहाई-बर्तन सर्वोपरि होता है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-75 | ||
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-मिट्टी का बर्तन | -[[मिट्टी]] का बर्तन | ||
+डोम्ड बकैट | +डोम्ड बकैट | ||
-साधारण टीन की बाल्टी | -साधारण टीन की बाल्टी | ||
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||स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु 'डोम्ड बकैट' प्रकार का दुहाई-बर्तन सबसे अच्छा माना जाता है। | ||स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु 'डोम्ड बकैट' प्रकार का दुहाई-बर्तन सबसे अच्छा माना जाता है। | ||
{कौन-सी मृदा किस्म अधिकतम क्षेत्र क्षमता रखती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-15 | {कौन-सी [[मृदा]] किस्म अधिकतम क्षेत्र क्षमता रखती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-15 | ||
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-दोमट | -दोमट | ||
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-मटियार दोमट | -मटियार दोमट | ||
+मटियार | +मटियार | ||
||(1) | ||(1)दोम -18.1%, (2)चिकनी दोमट -19.6%, (3)मटियार दोमट -21.5%, (4)मटियार-22.6% | ||
(3)मटियार दोमट -21.5% | |||
(4)मटियार | |||
{भारत में कितने कृषि जलवायु क्षेत्र पाये जाते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-85 | {[[भारत]] में कितने कृषि जलवायु क्षेत्र पाये जाते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-85 | ||
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||भारत में 15 कृषि जलवायु क्षेत्र पाये जाते हैं, जो इस प्रकार से हैं- 1.पूर्वी हिमालय क्षेत्र 2.पश्चिमी हिमालय क्षेत्र 3.गंगा के पार का मैदानी क्षेत्र 4.मध्यवर्ती पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्र 5.ऊपरी गंगा का मैदानी क्षेत्र 6.निचली गंगा मैदान क्षेत्र 7.पूर्वी पठारी और पहाड़ी क्षेत्र 8.मध्यवर्ती गंगा का मैदानी क्षेत्र 9.पूर्वी तटीय मैदान 10.गुजरात के मैदान तथा पहाड़ी क्षेत्र 11.पश्चिमी पठारी एवं पहड़ी क्षेत्र 12.द्वीप समूह क्षेत्र 13.दक्षिणी पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र 14.पश्चिमी शुष्क क्षेत्र 15.पश्चिमी तटीय मैदानी पठारी क्षेत्र। | ||भारत में 15 कृषि जलवायु क्षेत्र पाये जाते हैं, जो इस प्रकार से हैं- 1.पूर्वी हिमालय क्षेत्र 2.पश्चिमी हिमालय क्षेत्र 3.गंगा के पार का मैदानी क्षेत्र 4.मध्यवर्ती पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्र 5.ऊपरी गंगा का मैदानी क्षेत्र 6.निचली गंगा मैदान क्षेत्र 7.पूर्वी पठारी और पहाड़ी क्षेत्र 8.मध्यवर्ती गंगा का मैदानी क्षेत्र 9.पूर्वी तटीय मैदान 10.[[गुजरात]] के मैदान तथा पहाड़ी क्षेत्र 11.पश्चिमी पठारी एवं पहड़ी क्षेत्र 12.द्वीप समूह क्षेत्र 13.दक्षिणी पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र 14.पश्चिमी शुष्क क्षेत्र 15.पश्चिमी तटीय मैदानी पठारी क्षेत्र। | ||
{कौन-सा रसायन विपरीत लिंग के कीट को आकर्षित करता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-15 | {कौन-सा रसायन विपरीत लिंग के कीट को आकर्षित करता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-15 | ||
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||फ्रेरोमोन्स नामक रसायन विपरीत लिंग के कीट को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह रसायन जंतुओं के बाह्य भागों से निकलता है। इसे दूक्तों हॉर्मेन्स भी कहते हैं। | ||फ्रेरोमोन्स नामक रसायन विपरीत लिंग के कीट को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह रसायन जंतुओं के बाह्य भागों से निकलता है। इसे दूक्तों हॉर्मेन्स भी कहते हैं। | ||
{वायु का वेग मापने हेतु किस उपकरण का उपयोग किया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-21 | {[[वायु]] का वेग मापने हेतु किस उपकरण का उपयोग किया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-21 | ||
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-थर्मामीटर | -[[थर्मामीटर]] | ||
-बैरोमीटर | -[[बैरोमीटर]] | ||
+अनीमोमीटर | +अनीमोमीटर | ||
-थर्मोग्राफ | -थर्मोग्राफ | ||
||वायु की शक्ति एवं वेग को अनीमोमीटर नामक उपकरण द्वारा मापा जाता है। | ||[[वायु]] की शक्ति एवं वेग को अनीमोमीटर नामक उपकरण द्वारा मापा जाता है। | ||
{फूलगोभी का 'व्हिपटेल' रोग निम्न में से किस एक की कमी के कारण होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-15 | {[[फूलगोभी]] का 'व्हिपटेल' रोग निम्न में से किस एक की कमी के कारण होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-15 | ||
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-लोहा | -[[लोहा]] | ||
-क्लोरीन | -[[क्लोरीन]] | ||
-सोडियम | -[[सोडियम]] | ||
+मॉलीब्डेनम | +मॉलीब्डेनम | ||
||फूलगोभी में 'व्हिपटेल' रोग मॉलीब्डेनम की कमी से होने लगता है। इसमें पत्ती पर्ण पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो | ||[[फूलगोभी]] में 'व्हिपटेल' रोग मॉलीब्डेनम की कमी से होने लगता है। इसमें पत्ती पर्ण पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाती तथा सँकरी पत्ती की संरचना बन जाती है। | ||
{गेहूँ की सोनालिका किस्म निम्नलिखित में से किस रोग की रोगरोधी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-17 | {[[गेहूँ]] की सोनालिका किस्म निम्नलिखित में से किस रोग की रोगरोधी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-17 | ||
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+भूरा अथवा पत्ती कीट | +भूरा अथवा पत्ती कीट | ||
-पीला अथवा धारीदार कीट | -पीला अथवा धारीदार कीट | ||
-रतुआ रोग | -रतुआ रोग | ||
-कला अथवा तना कीट | -कला अथवा तना कीट | ||
||सोनालिका, प्रताप, मालविक, सुजाता मालवीय-55 आदि गेहूँ की किस्में भूरी गेरूई अथवा भूरा पत्ती कीट के लिए रोग रोधी है। | ||सोनालिका, प्रताप, मालविक, सुजाता मालवीय-55 आदि [[गेहूँ]] की किस्में भूरी गेरूई अथवा भूरा पत्ती कीट के लिए रोग रोधी है। | ||
{भूमि प्रबंध प्रणाली जिसमें कृषि एवं वनीय फसलें संयुक्त रूप में एक ही भू-भाग पर उगायी जाती हैं, कहलाती हैं (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-15 | {भूमि प्रबंध प्रणाली जिसमें [[कृषि]] एवं वनीय फसलें संयुक्त रूप में एक ही भू-भाग पर उगायी जाती हैं, कहलाती हैं (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-15 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-संरक्षित खेती पद्धति | -संरक्षित खेती पद्धति | ||
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{छिड़काव सिंचाई की विधि की | {छिड़काव सिंचाई की विधि की डिज़ाइन पौधों के किस भाग को [[पानी]] देने के लिए प्रयुक्त होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-12 | ||
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-पौधों के जड़-क्षेत्र को पानी देने के लिए | -पौधों के जड़-क्षेत्र को [[पानी]] देने के लिए | ||
+पौधों के ऊपरी भाग पर पानी देने के लिए | +पौधों के ऊपरी भाग पर पानी देने के लिए | ||
-पत्तियों को पानी देने के लिए | -पत्तियों को पानी देने के लिए | ||
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{निम्नांकित में से कौन एक 'सिगरेट बीटल' है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-63,प्रश्न-16 | {निम्नांकित में से कौन एक 'सिगरेट बीटल' है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-63,प्रश्न-16 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+कैड्रा कौटेल्ला | +कैड्रा कौटेल्ला (Cadra Cautella) | ||
-ट्रोगोडर्मा | -ट्रोगोडर्मा (Traogoderma) | ||
-लेसियोडर्मा | -लेसियोडर्मा (Lasioderma) | ||
-बायोडर्मा | -बायोडर्मा (Bioderma) | ||
{अयन (Udder) से प्राप्त दूध के किस भाग में जीवाणुओं की संख्या सबसे अधिक होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-76 | {अयन (Udder) से प्राप्त [[दूध]] के किस भाग में [[जीवाणु|जीवाणुओं]] की संख्या सबसे अधिक होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-76 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अग्रिम दूध | -अग्रिम दूध (Fore milk | ||
-मध्य दूध | -मध्य दूध (Mid milk) | ||
+चुटकी | +चुटकी दूध (Stripping milk) | ||
-गुप्त दूध | -गुप्त दूध (Secretary milk) | ||
||अयन (Udder) से प्राप्त | ||अयन (Udder) से प्राप्त चुटकी दूध में [[जीवाणु|जीवाणुओं]] की संख्या सबसे अधिक होती है। | ||
{उत्तर प्रदेश में सर्वप्रिय गेहूँ की प्रजाति का नाम है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-16 | {[[उत्तर प्रदेश]] में सर्वप्रिय [[गेहूँ]] की प्रजाति का नाम है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-16 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+पी.डी. डब्ल्यू.-343 | +पी.डी. डब्ल्यू.-343 | ||
पंक्ति 467: | पंक्ति 461: | ||
-के- 7903 | -के- 7903 | ||
-के- 9107 | -के- 9107 | ||
||उत्तर प्रदेश की सबसे अधिक लोकप्रिय प्रजाति पी.डी.डब्ल्यू-343 है। के-9903 तथा के के-7107 खेती किस्म है। | ||[[उत्तर प्रदेश]] की सबसे अधिक लोकप्रिय प्रजाति पी.डी.डब्ल्यू-343 है। के-9903 तथा के के-7107 खेती किस्म है। | ||
{डिस्क हल में सामान्ययता टिल्क कोण होता है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-86 | {डिस्क हल में सामान्ययता टिल्क कोण होता है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-86 | ||
पंक्ति 858: | पंक्ति 852: | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||शुद्ध कृषित क्षेत्र में वर्ष में एक से अधिक बार कृषित किये जाने वाले क्षेत्र को सम्मिलित करने पर प्राप्त भूमि का क्षेत्र सकल कृषित क्षेत्र (Gross cropped area) कहलाता है। | ||शुद्ध कृषित क्षेत्र में वर्ष में एक से अधिक बार कृषित किये जाने वाले क्षेत्र को सम्मिलित करने पर प्राप्त भूमि का क्षेत्र सकल कृषित क्षेत्र (Gross cropped area) कहलाता है। | ||
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11:07, 6 जनवरी 2017 का अवतरण
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