विश्व हृदय दिवस

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विश्व हृदय दिवस (अंग्रेज़ी: World Heart Day) प्रत्येक वर्ष '29 सितम्बर' को मनाया जाता है। अव्यवस्थित जीवन शैली और असंतुलित खानपान के चलते दुनिया भर में हृदय रोग के पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ी है। भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का मौका नहीं मिलता, जिसका उन्हें भारी खामियाजा चुकाना पड़ता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार दिल की बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है, इसके लिए कोई निर्धारित उम्र नहीं होती। महिलाओं में हृदय रोग की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, बावजूद इसके वे इस बीमारी के जोखिमों को नजरअंदाज कर देती हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक दिल ही है, जिस पर सबसे अधिक बोझ पड़ता है। तनाव, थकान, प्रदूषण आदि कई वजहों से रक्त का आदान-प्रदान करने वाले इस अति महत्वपूर्ण अंग को अपना काम करने में मुश्किल होती है, इसीलिए 'विश्व हृदय दिवस' लोगों में यह भावना जागृत करता है कि वे हृदय की बीमारियों के प्रति सचेत रहें।

शुरुआत

दुनिया भर में हर साल होने वाली 29 प्रतिशत मौतों की एक प्रमुख वजह हृदय की बीमारियां और हृदयाघात हैं। हृदय की बीमारियों और दिल के दौरे से हर साल 1.71 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। आम लोगों को इन बीमारियों व दिल के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने के प्रति जागरुक करने के मकसद से वर्ष 2000 में 'विश्व हृदय दिवस' मनाने की शुरुआत की गई। अब तक सितम्बर के अंतिम रविवार को 'विश्व हृदय दिवस' मनाया जाता रहा था, लेकिन 2014 से इसे 29 सितम्बर के दिन ही मनाया जाएगा। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यूएचओ) की भागीदारी से स्वयंसेवी संगठन 'वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन' हर साल 'विश्व हृदय दिवस' मनाता है।[1] बढ़ते हृदय रोगों की संख्या और पीड़ितों की वजह से ही संयुक्त राष्ट्र ने साल 2000 से हर साल 29 सितंबर को 'विश्व हृदय दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया। साल 2009 और 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने 'विश्व हृदय दिवस' की थीम 'ऑफिस में हृदय स्वास्थ' थी और इस साल इसकी थीम है 'वन वर्ल्ड, वन होम, वन हर्ट' यानि 'एक संसार, एक घर और एक दिल', जिसके द्वारा संयुक्त राष्ट्र हर व्यक्ति को अपने हृदय के प्रति जागरूक बनाना चाहता है।[2]

उद्देश्य

हृदय रोग पूरे विश्व में आज एक गंभीर बीमारी के तौर पर उभरा है। हर साल 'विश्व हृदय दिवस' के बहाने पूरे विश्व के लोगों में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। अपने देश में तो अब कम उम्र के लोग भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी की सबसे बड़ी वजहों में से एक है 'तनाव'। तनाव हृदय का सबसे बड़ा दुश्मन है। आज की भागदौड़ वाली जीवन शैली में लोगों में तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। इसलिए इस बीमारी से पूरी तरह बचना तो मुश्किल है, लेकिन जहां तक संभव हो, इससे दूरी बनाए रखनी चाहिए।

तनाव के समय आवश्यकता होती है कि हम अपने हृदय की आवाज सुनें, हृदय को दुरुस्त रखने के लिए तनाव दूर भगाएं। तनाव के कारण मस्तिष्क से जो रसायन स्रावित होते हैं, वे हृदय की पूरी प्रणाली खराब कर देते हैं। तनाव से उबरने के लिए योग का भी सहारा लिया जा सकता है। हृदय हमारे शरीर का ऐसा अंग है, जो लगातार पंप करता है और पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को संचालित करता है। हृदय संचार प्रणाली के मध्य में होता है और धमनियों और नसों जैसी रक्त वाहिनियां अशुद्ध रक्त को शरीर के हर भाग से हृदय तक ले जाती हैं और शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के हर भाग तक पहुंचाती हैं।

हृदय के रोग

आज युवाओं में हृदयाघात और हृदय की बीमारियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन रही हैं। पहले जहां 30 से 40 वर्ष तक के बीच हृदय की समस्याएं आंकी जाती थीं, आज यह 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी होने लगी हैं। ऐसे में हृदय की समस्याओं से बचने का एक ही उपाय है कि आप खुद अपनी कुछ सामान्य जांच करें और हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं को भी गंभीरता से लें। हृदय के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में कई तरह के हृदय रोग देखने को मिल रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में 10.2 करोड़ लोग दिल के मरीज हैं। पूरी दुनियां में 1.73 करोड़ लोग हर वर्ष इस बीमारी के शिकार होकर मर जाते हैं। यदि हालातों पर काबू नहीं किया गया तो 2020 तक हर तीसरे व्यक्ति की मौत हृदय रोग से होगी। माना जाता है कि उच्च रक्त चाप 'मधुमेह (डाइबिटीज) का सही नियंत्रण न करने एवं गुस्सा या चिंता अधिक करने वाले लोगों को जल्द हृदयाघात होने की आशंका होती है। इसलिए इससे बचाव के लिए काफी कुछ परहेज रखने की जरुरत है।

साथ ही आजकल हम अपना अधिकतर समय ऑफिस में बिताते हैं, जहां अधिक शारीरिक कार्य करने की जगह अधिकतर लोग सिर्फ बैठकर अपना काम करते हैं। इस स्थिति में शरीर निष्क्रिय जीवन शैली का आदी बन जाता है। आज के युवा ऑफिस में तो बैठे-बैठे कॉफ़ी पीते हैं और फिर घर पर भी रात को देर तक टीवी देखकर सुबह देर से जगते हैं। फिर सुबह ऑफिस पहुंचने की भागमभाग में व्यायाम नाम की बला से पाला ही नहीं पड़ता। ऐसे में हृदय रोगों की सम्भावना बढ़ जाती है।

लोगों में व्याप्त मिथक

इन सबके अतिरिक्त आजकल हृदय रोग से जुड़े ऐसे कई मिथक भी सामने आ रहे हैं, जो पूरी तरह बेबुनियाद होने के बावजूद अधिकांश लोगों के दिमाग में घर किए रहते हैं। ये गलत-सही जानकारियां हमें कहीं से भी मिल सकती हैं, लेकिन इन पर विश्वास करना हमारे हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है। हृदय विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें हृदय रोगियों का उपचार करते समय उन्हें रोगियों के ऐसे कई मिथकों को भी दूर करना पड़ता है। कुछ मिथक तो बहुत आम होते हैं। जैसे- लोगों में यह आम धारणा होती है कि हर तरह का व्यायाम हृदय के लिए लाभकारी होता है। इसी तरह अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। इस तरह की अनेक ऐसी धारणाएं हैं, जो बहुत से लोगों में घर कर गई हैं। इन मिथकों को तोड़कर सही तथ्य स्पष्ट करने मात्र से रोगियों के हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।[3]


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विश्व हृदय दिवस आज, धुएँ में न उड़ाएँ दिल (हिन्दी) हॉट टॉपिक्स। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।
  2. विश्व हृदय दिवस 2011 : एक संसार, एक घर और एक दिल (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।
  3. विश्व हृदय दिवस- कैसे रखें दिल का खयाल (हिन्दी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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