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राष्ट्रभाषा [[हिन्दी]] एवं [[साहित्य]] के मूल्यों को समाज तक पहुँचाने के उद्देश्य से समिति ने सन्‌ 1927 में ''वीणा'' पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया था। तब से अब तक वीणा निरंतर प्रकाशित हो रही है। ये श्रेय [[भारत]] में सिर्फ वीणा को ही प्राप्त हुआ है। पण्डित अम्बिकाप्रसाद त्रिपाठी के सम्पादन में वीणा का पहला अंक अक्टूबर 1927  में प्रकाशित हुआ।
 
==इतिहास==
 
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''वीणा'' को प्रारंभ से ही देश के अनेक शलाका-पुरूषों, चिंतकों एवं मूर्धन्य साहित्यकारों का सक्रिय सहयोग प्राप्त होता रहा है। [[मदनमोहन मालवीय|महामना मदनमोहन मालवीय]], [[महात्मा गांधी]], [[राजेन्द्र प्रसाद|डॉ.राजेन्द्र प्रसादजी]], [[काका कालेलकर]], [[भगवान दास|डॉ.भगवानदास]] आदि महापुरुषों एवं देश के प्रख्यात चिन्तकों जैसे [[जयशंकर प्रसाद]], [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]], [[महादेवी वर्मा]], [[हरिवंश राय बच्चन]], [[बालकृष्ण शर्मा नवीन|बालकृष्ण शर्मा 'नवीन']], [[सुभद्राकुमारी चौहान]], [[माखनलाल चतुर्वेदी]], [[रामचन्द्र शुक्ल|आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]], डॉ.नगेन्द्र, डॉ.गुलाब राय, [[प्रेमचन्द|प्रेमचन्दजी]], [[अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन|अज्ञेय]], [[वृन्दावनलाल वर्मा]], राजकुमार वर्मा, [[शिवमंगल सिंह सुमन|डॉ.शिवमंगल सिंह ''सुमन'']] आदि की लेखनी का प्रसाद 'वीणा' को मिलता रहा है। पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[अटलबिहारी वाजपेयी]] जी भी युवावस्था में 'वीणा' के लेखक रहे हैं।
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''वीणा'' को प्रारंभ से ही देश के अनेक शलाका-पुरुषों, चिंतकों एवं मूर्धन्य साहित्यकारों का सक्रिय सहयोग प्राप्त होता रहा है। [[मदनमोहन मालवीय|महामना मदनमोहन मालवीय]], [[महात्मा गांधी]], [[राजेन्द्र प्रसाद|डॉ.राजेन्द्र प्रसादजी]], [[काका कालेलकर]], [[भगवान दास|डॉ.भगवानदास]] आदि महापुरुषों एवं देश के प्रख्यात चिन्तकों जैसे [[जयशंकर प्रसाद]], [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]], [[महादेवी वर्मा]], [[हरिवंश राय बच्चन]], [[बालकृष्ण शर्मा नवीन|बालकृष्ण शर्मा 'नवीन']], [[सुभद्राकुमारी चौहान]], [[माखनलाल चतुर्वेदी]], [[रामचन्द्र शुक्ल|आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]], डॉ.नगेन्द्र, डॉ.गुलाब राय, [[प्रेमचन्द|प्रेमचन्दजी]], [[अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन|अज्ञेय]], [[वृन्दावनलाल वर्मा]], राजकुमार वर्मा, [[शिवमंगल सिंह सुमन|डॉ.शिवमंगल सिंह 'सुमन']] आदि की लेखनी का प्रसाद 'वीणा' को मिलता रहा है। पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[अटलबिहारी वाजपेयी]] जी भी युवावस्था में 'वीणा' के लेखक रहे हैं। वीणा समकालीन और संभावनाशील लेखकों की रचनाओं को समान रूप से प्रकाशित करती है। वीणा के शोधपरक लेख विद्यार्थियों के लिए काफ़ी उपयोगी साबित होते हैं। तत्कालीन [[राष्ट्रपति]] [[शंकरदयाल शर्मा|डॉ.शंकरदयाल शर्मा]] ने एक समारोह में कहा था कि शोध और साहित्यिक पत्रिका के रूप में वीणा का पूरे देश में विशिष्ट स्थान है।
 
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वीणा समकालीन और संभावनाशील लेखकों की रचनाओं को समान रूप से प्रकाशित करती है। वीणा के शोधपरक लेख विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी साबित होते हैं। तत्कालीन [[राष्ट्रपति]] [[शंकरदयाल शर्मा|डॉ.शंकरदयाल शर्मा]] ने एक समारोह में कहा था कि शोध और साहित्यिक पत्रिका के रूप में वीणा का पूरे देश में विशिष्ट स्थान है। 'वीणा' का सम्पादन अभी तक सोलह मनीषियों ने किया है। पं.अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी वीणा के पहले सम्पादक थे। वर्तमान में डॉ. विनायक पाण्डेय यह दायित्व निभा रहे है। विभिन्न अवसरों पर वीणा के 30 विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं।
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'वीणा' का सम्पादन अभी तक सोलह मनीषियों ने किया है। पं.अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी वीणा के पहले सम्पादक थे। वर्तमान में डॉ. विनायक पाण्डेय यह दायित्व निभा रहे है। विभिन्न अवसरों पर वीणा के 30 विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं। वीणा के पूर्व संपादकों में कुछ उल्लेखनीय नाम : पं. अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी, पं. कालिकाप्रसाद दीक्षित, श्री रामभरोसे तिवारी, पं.कमलाशंकर मिश्र, श्री शान्तिप्रिय द्विवेदी, श्री प्रयागनारायण संगम, सौ. कां. चन्द्रारानी सिंह, रायबहादुर डॉ. सुदर्शन पण्डित, श्री गोपीवल्लभ उपाध्याय, श्री रामचन्द्र श्रीवास्तव "चन्द्र", प्रो. परमेद्गवरदत्त शर्मा, श्री मोहनलाल उपाध्याय "निर्मोही", श्री अजीतप्रसाद जैन, डॉ. शिवमंगल सिंह "सुमन", डॉ. श्यामसुन्दर व्यास, डॉ. नेमीचन्द जैन, डॉ. राजेन्द्र मिश्र, डॉ. विनायक पाण्डेय आदि
  
  
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वीणा (पत्रिका) के आवरण पृष्ठ

वीणा हिंदी की सबसे पुरानी पत्रिका है जो लगातार प्रकाशित हो रही है। वीणा पत्रिका श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर द्वारा प्रकाशित की जाती है।

पहला अंक

राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं साहित्य के मूल्यों को समाज तक पहुँचाने के उद्देश्य से समिति ने सन्‌ 1927 में वीणा पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया था। तब से अब तक वीणा निरंतर प्रकाशित हो रही है। ये श्रेय भारत में सिर्फ वीणा को ही प्राप्त हुआ है। पण्डित अम्बिकाप्रसाद त्रिपाठी के सम्पादन में वीणा का पहला अंक अक्टूबर 1927 में प्रकाशित हुआ।

इतिहास

वीणा को प्रारंभ से ही देश के अनेक शलाका-पुरुषों, चिंतकों एवं मूर्धन्य साहित्यकारों का सक्रिय सहयोग प्राप्त होता रहा है। महामना मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी, डॉ.राजेन्द्र प्रसादजी, काका कालेलकर, डॉ.भगवानदास आदि महापुरुषों एवं देश के प्रख्यात चिन्तकों जैसे जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, बालकृष्ण शर्मा 'नवीन', सुभद्राकुमारी चौहान, माखनलाल चतुर्वेदी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, डॉ.नगेन्द्र, डॉ.गुलाब राय, प्रेमचन्दजी, अज्ञेय, वृन्दावनलाल वर्मा, राजकुमार वर्मा, डॉ.शिवमंगल सिंह 'सुमन' आदि की लेखनी का प्रसाद 'वीणा' को मिलता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी भी युवावस्था में 'वीणा' के लेखक रहे हैं। वीणा समकालीन और संभावनाशील लेखकों की रचनाओं को समान रूप से प्रकाशित करती है। वीणा के शोधपरक लेख विद्यार्थियों के लिए काफ़ी उपयोगी साबित होते हैं। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.शंकरदयाल शर्मा ने एक समारोह में कहा था कि शोध और साहित्यिक पत्रिका के रूप में वीणा का पूरे देश में विशिष्ट स्थान है।

सम्पादक

'वीणा' का सम्पादन अभी तक सोलह मनीषियों ने किया है। पं.अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी वीणा के पहले सम्पादक थे। वर्तमान में डॉ. विनायक पाण्डेय यह दायित्व निभा रहे है। विभिन्न अवसरों पर वीणा के 30 विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं। वीणा के पूर्व संपादकों में कुछ उल्लेखनीय नाम : पं. अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी, पं. कालिकाप्रसाद दीक्षित, श्री रामभरोसे तिवारी, पं.कमलाशंकर मिश्र, श्री शान्तिप्रिय द्विवेदी, श्री प्रयागनारायण संगम, सौ. कां. चन्द्रारानी सिंह, रायबहादुर डॉ. सुदर्शन पण्डित, श्री गोपीवल्लभ उपाध्याय, श्री रामचन्द्र श्रीवास्तव "चन्द्र", प्रो. परमेद्गवरदत्त शर्मा, श्री मोहनलाल उपाध्याय "निर्मोही", श्री अजीतप्रसाद जैन, डॉ. शिवमंगल सिंह "सुमन", डॉ. श्यामसुन्दर व्यास, डॉ. नेमीचन्द जैन, डॉ. राजेन्द्र मिश्र, डॉ. विनायक पाण्डेय आदि



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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