"अमीन सयानी" के अवतरणों में अंतर

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}}'''अमीन सयानी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ameen Sayani'', जन्म- [[21 दिसम्बर]], [[1932]]; मृत्यु- [[20 फ़रवरी]], [[2024]]) को 'आवाज़ के जादूगर' और रेडियो के इतिहास में पहले जॉकी के रूप में जाना जाता था। रेडियो जॉकी के रूप में वे विश्व के श्रेष्ठ जॉकी माने जाते थे। 'गीतमाला' प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज़ 'बहनों और भाइयो' आम लोगों को काफ़ी लम्बे समय तक गुदगुदाती रही। करीब 46 वर्ष तक रेडियो सीलोन के जरिए अमीन सयानी की प्रस्तुति और बाद में विविध भारती पर इसके प्रसारण को लोग आज भी याद करते हैं।
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==जन्म==
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अमीन सयानी का जन्म बम्बई (वर्तमान [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) अविभाजित भारत में [[21 दिसम्बर]], [[1932]] को हुआ था। किसी ज़माने में 'रेडियो का दूसरा नाम' कहे जाने वाले अमीन सयानी बहुत रुमानियत और जोश से भरे रहते थे। वही बोलने का अंदाज़, वही मीठी और अपनेपन वाली आवाज़। उन्होंने रेडियो की दुनिया में बड़ा नाम कमाया। उनकी आवाज का जादू लोगों के दिल में घर कर लेता था। अमीन सयानी ने रेडियो प्रेजेंटर के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत 'ऑल इंडिया रेडियो', मुंबई से की थी। उनके भाई हामिद सयानी ने उन्हें यहां इंट्रोड्यूस कराया था। उन्होंने यहां 10 सालों तक अंग्रेज़ी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने भारत में ऑल इंडिया रेडियो को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। 
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==गायक बनने की इच्छा==
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अमीन सयानी का सफ़र इतना आसान नहीं था। कभी वे गायक बनना चाहते थे, लेकिन बाद में जाने-माने ब्रॉडकास्टर बन गए। वे मानते थे कि अच्छी [[हिन्दी]] बोलने के लिए थोड़ा-सा [[उर्दू]] का ज्ञान ज़रूरी है।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2006/12/061223_amin_sayani.shtml|title=गायक बनना चाहता था- अमीन सयानी|accessmonthday= 01 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= बी.बी.सी. हिन्दी|language=हिन्दी }}</ref> अमीन सयानी रेडियो सिलोन पर [[1952]]-[[1994]] तक 'बिनाका गीत माला' के सफल और लोकप्रिय प्रस्तोता रहे।
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==गीतमाला बिनाका==
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अमीन सयानी देश के ऐसे पहले रेडियो स्टार रहे, जिनका बड़े-बड़े फिल्म स्टार भी सम्मान करते थे। एक जमाना था जब अपने ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम के माध्यम से आवाज के इस शहंशाह ने अपने नाम और काम की धूम मचा दी थी। रेडियो सुनने का शौक रखने वालों के कानों में आज भी अमीन सयानी की आवाज में 'नमस्कार बहनों और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं' गूंजता है। कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई थी। उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक था और महज 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां की पाक्षिक पत्रिका 'रहबर' के लिए लिखना शुरू कर दिया था। यही वह उम्र थी, जब अमीन सयानी अंग्रेजी भाषा में एक कुशल प्रस्तोता बन गए थे और उन्होंने [[आकाशवाणी]], [[मुंबई]] की अंग्रेजी सेवा में बच्चों के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था।<ref>{{cite web |url=https://www.amarujala.com/amp/india-news/iconic-radio-host-ameen-sayani-has-died-at-the-age-of-91-2024-02-21 |title=लोकप्रिय रेडियो होस्ट अमीन सयानी का 91 साल की उम्र में निधन|accessmonthday=22 फ़रवरी|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=amarujala.com |language=हिंदी}}</ref>
  
'''अमीन सयानी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ameen Sayani'' ; जन्म- [[21 दिसम्बर]], [[1932]], [[भारत]]) को आवाज़ के जादूगर और रेडियो के इतिहास में पहले जॉकी के रूप में जाना जाता है। रेडियो जॉकी के रूप में वे विश्व के श्रेष्ठ जॉकी माने जाते हैं। 'गीतमाला' प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज़ 'बहनों और भाइयो' आम लोगों को आज भी गुदगुदाती है। करीब 46 वर्ष तक रेडियो सीलोन के जरिए सयानी की प्रस्तुति और बाद में विविध भारती पर इसके प्रसारण को लोग आज भी याद करते हैं।
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जब अमीन सयानी ने ‘हिंदुस्तानी’ में प्रस्तुति देने के लिए ऑडिशन दिया तो उनकी आवाज में हल्का गुजराती लहजा होने के कारण उनका चयन नहीं किया गया। जब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी. वी. केसकर ने आकाशवाणी से [[हिंदी]] गानों पर प्रतिबंध लगा दिया तो रेडियो सीलोन लोकप्रिय होने लगा। अमीन सयानी को [[दिसंबर]] [[1952]] में रेडियो सीलोन पर 'बिनाका गीतमाला' पेश करने का मौका मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह शो [[1952]] से [[1994]] तक 42 वर्षों तक भारी लोकप्रियता हासिल करता रहा।
==जन्म==
 
अमीन सयानी का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 21 दिसम्बर, 1932 ई. को हुआ था। किसी ज़माने में 'रेडियो का दूसरा नाम' कहे जाने वाले अमीन सयानी आज भी उसी रुमानियत और जोश से भरे हैं। वही बोलने का अंदाज़, वही मीठी और अपनेपन वाली आवाज़।
 
====गायक बनने की इच्छा====
 
अमीन सयानी का सफ़र इतना आसान नहीं था। कभी वे गायक बनना चाहते थे, लेकिन बाद में जाने-माने ब्रॉडकास्टर बन गए। वे मानते हैं कि अच्छी [[हिन्दी]] बोलने के लिए थोड़ा-सा [[उर्दू]] का ज्ञान ज़रूरी है।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2006/12/061223_amin_sayani.shtml|title=गायक बनना चाहता था- अमीन सयानी|accessmonthday= 01 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= बी.बी.सी. हिन्दी|language=हिन्दी }}</ref> अमीन सयानी रेडियो सिलोन पर [[1952]]-[[1994]] तक 'बिनाका गीत माला' के सफल और लोकप्रिय प्रस्तोता रहे।
 
 
==एक प्रसंग==
 
==एक प्रसंग==
बहुत कम लोग जानते हैं कि बॉलीवुड में किस्मत आजमाने से पहले मेगास्टार [[अमिताभ बच्चन]] रेडियो उद्घोषक बनना चाहते थे और इसके लिए वह 'ऑल इंडिया रेडियो' के [[मुंबई]] के स्टूडियो में ऑडिशन देने भी गए थे। प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी के पास तब अमिताभ से मिलने का समय नहीं था, क्योंकि अभिनेता ने वॉयस ऑडिशन के लिए पहले से समय नहीं लिया था। अमीन सयानी ने एक साक्षात्कार में कहा कि- "यह [[1960]] के दशक के आखिर में कभी हुआ था, जब मैं एक हफ्ते में 20 कार्यक्रम करता था। हर दिन मेरा अधिकतर समय साउंड स्टूडियो में गुजरता था, क्योंकि मैं रेडियो प्रोग्रामिंग की हर प्रक्रिया में शामिल रहता था। एक दिन अमिताभ बच्चन नाम का एक युवक बिना समय लिए वॉयस ऑडिशन देने आया। मेरे पास उस पतले-दुबले व्यक्ति के लिए बिल्कुल समय नहीं था। उसने इंतजार किया और लौट गया। इसके बाद भी वह कई बार आया, लेकिन मैं उससे नहीं मिल पाया और रिसेप्शनिस्ट के माध्यम से यह कहता रहा कि वह पहले समय ले, फिर आए।" अमीन सयानी को बाद में पता चला कि वह अमिताभ बच्चन थे, जो ऑडिशन के लिए उनके कार्यालय आया करते थे। जब सयानी ने '[[आनंद (फ़िल्म)|आनंद]]' फ़िल्म ([[1971]]) का एक ट्रॉयल शो देखा तो वह अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व और आवाज़ से प्रभावित हुए और तब उन्हें पता नहीं था कि वह अमिताभ ही थे, जो ऑडिशन के लिए आए थे। इस फ़िल्म में [[अमिताभ बच्चन]] के साथ [[राजेश खन्ना]] ने काम किया था।
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बहुत कम लोग जानते हैं कि बॉलीवुड में किस्मत आजमाने से पहले मेगास्टार [[अमिताभ बच्चन]] रेडियो उद्घोषक बनना चाहते थे और इसके लिए वह 'ऑल इंडिया रेडियो' के [[मुंबई]] के स्टूडियो में ऑडिशन देने भी गए थे। प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी के पास तब अमिताभ से मिलने का समय नहीं था, क्योंकि अभिनेता ने वॉयस ऑडिशन के लिए पहले से समय नहीं लिया था। अमीन सयानी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि- "यह [[1960]] के दशक के आखिर में कभी हुआ था, जब मैं एक हफ्ते में 20 कार्यक्रम करता था। हर दिन मेरा अधिकतर समय साउंड स्टूडियो में गुजरता था, क्योंकि मैं रेडियो प्रोग्रामिंग की हर प्रक्रिया में शामिल रहता था।
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एक दिन अमिताभ बच्चन नाम का एक युवक बिना समय लिए वॉयस ऑडिशन देने आया। मेरे पास उस पतले-दुबले व्यक्ति के लिए बिल्कुल समय नहीं था। उसने इंतजार किया और लौट गया। इसके बाद भी वह कई बार आया, लेकिन मैं उससे नहीं मिल पाया और रिसेप्शनिस्ट के माध्यम से यह कहता रहा कि वह पहले समय ले, फिर आए।" अमीन सयानी को बाद में पता चला कि वह अमिताभ बच्चन थे, जो ऑडिशन के लिए उनके कार्यालय आया करते थे। जब सयानी ने '[[आनंद (फ़िल्म)|आनंद]]' फ़िल्म ([[1971]]) का एक ट्रॉयल शो देखा तो वह अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व और आवाज़ से प्रभावित हुए और तब उन्हें पता नहीं था कि वह अमिताभ ही थे, जो ऑडिशन के लिए आए थे। इस फ़िल्म में [[अमिताभ बच्चन]] के साथ [[राजेश खन्ना]] ने काम किया था।
  
अमीन सयानी बताते हैं कि "अमिताभ एक अवॉर्ड समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आए थे और उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए तीन बार ऑडिशन के लिए रेडियो स्टेशन जाने की बात कही और कहा कि उन्हें ऑडिशन में बैठने भी नहीं दिया गया। मैं सुनकर चौंक गया। बाद में जब मैंने उनका साक्षात्कार किया तो हमने इस पर लंबी चर्चा की और हंसे।" लेकिन इतना सब होने के बावजूद '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित रेडियो उद्घोषक सयानी का मानना है कि जो हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ। वे मानते हैं कि "हालांकि आज मुझे इसे लेकर खेद भी होता है, लेकिन मुझे लगता है जो हुआ, वह हम दोनों के लिए अच्छा हुआ। मैं सड़क पर होता और उन्हें रेडियो पर इतना काम मिलता कि [[भारतीय सिनेमा]] अपने सबसे बड़े सितारे से वंचित रह जाता।"<ref>{{cite web |url= http://khabar.ndtv.com/news/filmy/it-was-ameen-sayani-who-did-not-let-amitabh-bachchan-become-a-radio-announcer-467267|title= अमीन सयानी ने तोड़ा था बिग बी का रेडियो एनाउंसर बनने का सपना|accessmonthday= 01 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= एनडीटीवी, इण्डिया|language= हिन्दी}}</ref>
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अमीन सयानी ने बताया था कि "अमिताभ एक अवॉर्ड समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आए थे और उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए तीन बार ऑडिशन के लिए रेडियो स्टेशन जाने की बात कही और कहा कि उन्हें ऑडिशन में बैठने भी नहीं दिया गया। मैं सुनकर चौंक गया। बाद में जब मैंने उनका साक्षात्कार किया तो हमने इस पर लंबी चर्चा की और हंसे।" लेकिन इतना सब होने के बावजूद '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित रेडियो उद्घोषक सयानी का मानना था कि जो हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ। वे मानते थे कि "हालांकि आज मुझे इसे लेकर खेद भी होता है, लेकिन मुझे लगता है जो हुआ, वह हम दोनों के लिए अच्छा हुआ। मैं सड़क पर होता और उन्हें रेडियो पर इतना काम मिलता कि [[भारतीय सिनेमा]] अपने सबसे बड़े सितारे से वंचित रह जाता।"<ref>{{cite web |url= http://khabar.ndtv.com/news/filmy/it-was-ameen-sayani-who-did-not-let-amitabh-bachchan-become-a-radio-announcer-467267|title= अमीन सयानी ने तोड़ा था बिग बी का रेडियो एनाउंसर बनने का सपना|accessmonthday= 01 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= एनडीटीवी, इण्डिया|language= हिन्दी}}</ref>
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==रिकॉर्ड==
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अमीन सयानी के नाम पर 54,000 से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम प्रोड्यूस, कम्पेअर, वॉयस ओवर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। लगभग 19,000 जिंगल्स के लिए आवाज़ देने‌ के लिए भी अमीन सयानी का नाम 'लिम्का बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड्स' में दर्ज है। उन्होंने भूत बंगला, तीन देवियां, कत्ल जैसी फिल्मों में अनाउंसर के तौर पर भी काम किया था। रेडियो पर सितारों पर आधारित उनका शो 'एस कुमार्स का फ़िल्मी मुकदमा' भी काफ़ी लोकप्रिय साबित हुआ था।
 
==पुरस्कार व सम्मान==
 
==पुरस्कार व सम्मान==
आवाज़ के जादूगर और रेडियो के पहले जॉकी अमीन सयानी को फिक्की ने 'लिविंग लीजेंड अवॉर्ड' से सम्मानित किया है। इंडियन रेडियो इंडस्ट्री में बड़ा योगदान करने वालों को सम्मानित करने के लिए फिक्की ने 'इंडियन रेडियो फोरम' के साथ मिलकर इस अवॉर्ड की स्थापना की है। 'गीतमाला' प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज 'बहनों और भाइयो' आमलोगों को आज भी गुदगुदाती है। 'गीतमाला' के अलावा अमीन सयानी ने करीब 54 हज़ार रेडियो प्रोग्राम प्रस्तुत किए।<ref>{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/rtf1ansiansicpg1252deff0deflang1033fonttblf0fswissfcharset0cpg-8534-Mangalf1fnil-MS-Sans-Serifcolortbl-red0green0blue0viewkind4uc1pardcf1f0fs20u2309u2350u2368u2344-u2360u2351u2366u2344u2368-u2354u2367u2357u2367u2306u2327-u2354u2368u2332u2375u2306u2337-u2360u2375-u2360u2350u2381u2350u2366u2344u2367u2/articleshow/1754075.cms|title= अमीन सयानी लिविंग लीजेण्ड से सम्मानित|accessmonthday= 01 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= इकनॉमिक टाइम्स|language=हिन्दी}}</ref> अमीन सयानी को '[[पद्मश्री]]' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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आवाज़ के जादूगर और रेडियो के पहले जॉकी अमीन सयानी को फिक्की ने 'लिविंग लीजेंड अवॉर्ड' से सम्मानित किया था। इंडियन रेडियो इंडस्ट्री में बड़ा योगदान करने वालों को सम्मानित करने के लिए फिक्की ने 'इंडियन रेडियो फोरम' के साथ मिलकर इस अवॉर्ड की स्थापना की है। 'गीतमाला' प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज 'बहनों और भाइयो' आम लोगों को आज भी गुदगुदाती है। 'गीतमाला' के अलावा अमीन सयानी ने करीब 54 हज़ार रेडियो प्रोग्राम प्रस्तुत किए।<ref>{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/rtf1ansiansicpg1252deff0deflang1033fonttblf0fswissfcharset0cpg-8534-Mangalf1fnil-MS-Sans-Serifcolortbl-red0green0blue0viewkind4uc1pardcf1f0fs20u2309u2350u2368u2344-u2360u2351u2366u2344u2368-u2354u2367u2357u2367u2306u2327-u2354u2368u2332u2375u2306u2337-u2360u2375-u2360u2350u2381u2350u2366u2344u2367u2/articleshow/1754075.cms|title= अमीन सयानी लिविंग लीजेण्ड से सम्मानित|accessmonthday= 01 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= इकनॉमिक टाइम्स|language=हिन्दी}}</ref>  
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*[[पद्म श्री]], [[2009]]
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*लिविंग लीजेंड अवॉर्ड, [[2006]]
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*गोल्ड मेडल, [[1991]] - इंडियन सोसाइटी ऑफ एटवरटाइजमेंट की तरफ से
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*पर्सन ऑफ द ईयर अवॉर्ड, [[1992]] - लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स
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*कान हॉल ऑफ़ फेम अवॉर्ड, [[2003]] - रेडियो मिर्ची की तरफ से
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==मृत्यु==
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अमीन सयानी की मृत्यु [[20 फ़रवरी]], [[2024]] को हुई। उनके बेटे ने बताया था कि अमीन‌ सयानी को मंगलवार को उनके दक्षिण मुम्बई स्थित घर पर शाम 6.00 बजे हार्ट अटैक आया। हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें दक्षिण मुम्बई स्थित एच. एन. रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल ले गये, जहां इलाज करने के कुछ देर बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अमीन सयानी को उच्च रक्तचाप और उम्र संबंधी अन्य बीमारियां थीं। पिछले 12 साल से पीठ दर्द‌ की भी शिकायत थी और यही वजह रही कि उन्हें चलने‌ के लिए वॉकर‌ का इस्तेमाल करना पड़ता था।
  
 
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*[http://khabar.ibnlive.in.com/news/122941/7/11 अमीन सयानी बोले रेडियो कभी नहीं मरेगा]
 
*[http://khabar.ibnlive.in.com/news/122941/7/11 अमीन सयानी बोले रेडियो कभी नहीं मरेगा]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
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08:01, 22 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

अमीन सयानी
अमीन सयानी
पूरा नाम अमीन सयानी
जन्म 21 दिसम्बर, 1932
जन्म भूमि बम्बई, अविभाजित भारत
मृत्यु 20 फ़रवरी, 2024
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
पति/पत्नी रामा (स्वर्गीय)
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र रेडियो जॉकी
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2009

लिविंग लीजेंड अवॉर्ड, 2006

प्रसिद्धि रेडियो उद्घोषक (जॉकी)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अमीन सयानी रेडियो सिलोन पर 1952-1994 तक 'बिनाका गीत माला' के सफल और लोकप्रिय प्रस्तोता रहे।

अमीन सयानी (अंग्रेज़ी: Ameen Sayani, जन्म- 21 दिसम्बर, 1932; मृत्यु- 20 फ़रवरी, 2024) को 'आवाज़ के जादूगर' और रेडियो के इतिहास में पहले जॉकी के रूप में जाना जाता था। रेडियो जॉकी के रूप में वे विश्व के श्रेष्ठ जॉकी माने जाते थे। 'गीतमाला' प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज़ 'बहनों और भाइयो' आम लोगों को काफ़ी लम्बे समय तक गुदगुदाती रही। करीब 46 वर्ष तक रेडियो सीलोन के जरिए अमीन सयानी की प्रस्तुति और बाद में विविध भारती पर इसके प्रसारण को लोग आज भी याद करते हैं।

जन्म

अमीन सयानी का जन्म बम्बई (वर्तमान मुम्बई, महाराष्ट्र) अविभाजित भारत में 21 दिसम्बर, 1932 को हुआ था। किसी ज़माने में 'रेडियो का दूसरा नाम' कहे जाने वाले अमीन सयानी बहुत रुमानियत और जोश से भरे रहते थे। वही बोलने का अंदाज़, वही मीठी और अपनेपन वाली आवाज़। उन्होंने रेडियो की दुनिया में बड़ा नाम कमाया। उनकी आवाज का जादू लोगों के दिल में घर कर लेता था। अमीन सयानी ने रेडियो प्रेजेंटर के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत 'ऑल इंडिया रेडियो', मुंबई से की थी। उनके भाई हामिद सयानी ने उन्हें यहां इंट्रोड्यूस कराया था। उन्होंने यहां 10 सालों तक अंग्रेज़ी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने भारत में ऑल इंडिया रेडियो को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। 

गायक बनने की इच्छा

अमीन सयानी का सफ़र इतना आसान नहीं था। कभी वे गायक बनना चाहते थे, लेकिन बाद में जाने-माने ब्रॉडकास्टर बन गए। वे मानते थे कि अच्छी हिन्दी बोलने के लिए थोड़ा-सा उर्दू का ज्ञान ज़रूरी है।[1] अमीन सयानी रेडियो सिलोन पर 1952-1994 तक 'बिनाका गीत माला' के सफल और लोकप्रिय प्रस्तोता रहे।

गीतमाला बिनाका

अमीन सयानी देश के ऐसे पहले रेडियो स्टार रहे, जिनका बड़े-बड़े फिल्म स्टार भी सम्मान करते थे। एक जमाना था जब अपने ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम के माध्यम से आवाज के इस शहंशाह ने अपने नाम और काम की धूम मचा दी थी। रेडियो सुनने का शौक रखने वालों के कानों में आज भी अमीन सयानी की आवाज में 'नमस्कार बहनों और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं' गूंजता है। कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई थी। उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक था और महज 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां की पाक्षिक पत्रिका 'रहबर' के लिए लिखना शुरू कर दिया था। यही वह उम्र थी, जब अमीन सयानी अंग्रेजी भाषा में एक कुशल प्रस्तोता बन गए थे और उन्होंने आकाशवाणी, मुंबई की अंग्रेजी सेवा में बच्चों के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था।[2]

जब अमीन सयानी ने ‘हिंदुस्तानी’ में प्रस्तुति देने के लिए ऑडिशन दिया तो उनकी आवाज में हल्का गुजराती लहजा होने के कारण उनका चयन नहीं किया गया। जब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी. वी. केसकर ने आकाशवाणी से हिंदी गानों पर प्रतिबंध लगा दिया तो रेडियो सीलोन लोकप्रिय होने लगा। अमीन सयानी को दिसंबर 1952 में रेडियो सीलोन पर 'बिनाका गीतमाला' पेश करने का मौका मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह शो 1952 से 1994 तक 42 वर्षों तक भारी लोकप्रियता हासिल करता रहा।

एक प्रसंग

बहुत कम लोग जानते हैं कि बॉलीवुड में किस्मत आजमाने से पहले मेगास्टार अमिताभ बच्चन रेडियो उद्घोषक बनना चाहते थे और इसके लिए वह 'ऑल इंडिया रेडियो' के मुंबई के स्टूडियो में ऑडिशन देने भी गए थे। प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी के पास तब अमिताभ से मिलने का समय नहीं था, क्योंकि अभिनेता ने वॉयस ऑडिशन के लिए पहले से समय नहीं लिया था। अमीन सयानी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि- "यह 1960 के दशक के आखिर में कभी हुआ था, जब मैं एक हफ्ते में 20 कार्यक्रम करता था। हर दिन मेरा अधिकतर समय साउंड स्टूडियो में गुजरता था, क्योंकि मैं रेडियो प्रोग्रामिंग की हर प्रक्रिया में शामिल रहता था।

एक दिन अमिताभ बच्चन नाम का एक युवक बिना समय लिए वॉयस ऑडिशन देने आया। मेरे पास उस पतले-दुबले व्यक्ति के लिए बिल्कुल समय नहीं था। उसने इंतजार किया और लौट गया। इसके बाद भी वह कई बार आया, लेकिन मैं उससे नहीं मिल पाया और रिसेप्शनिस्ट के माध्यम से यह कहता रहा कि वह पहले समय ले, फिर आए।" अमीन सयानी को बाद में पता चला कि वह अमिताभ बच्चन थे, जो ऑडिशन के लिए उनके कार्यालय आया करते थे। जब सयानी ने 'आनंद' फ़िल्म (1971) का एक ट्रॉयल शो देखा तो वह अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व और आवाज़ से प्रभावित हुए और तब उन्हें पता नहीं था कि वह अमिताभ ही थे, जो ऑडिशन के लिए आए थे। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के साथ राजेश खन्ना ने काम किया था।

अमीन सयानी ने बताया था कि "अमिताभ एक अवॉर्ड समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आए थे और उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए तीन बार ऑडिशन के लिए रेडियो स्टेशन जाने की बात कही और कहा कि उन्हें ऑडिशन में बैठने भी नहीं दिया गया। मैं सुनकर चौंक गया। बाद में जब मैंने उनका साक्षात्कार किया तो हमने इस पर लंबी चर्चा की और हंसे।" लेकिन इतना सब होने के बावजूद 'पद्मश्री' से सम्मानित रेडियो उद्घोषक सयानी का मानना था कि जो हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ। वे मानते थे कि "हालांकि आज मुझे इसे लेकर खेद भी होता है, लेकिन मुझे लगता है जो हुआ, वह हम दोनों के लिए अच्छा हुआ। मैं सड़क पर होता और उन्हें रेडियो पर इतना काम मिलता कि भारतीय सिनेमा अपने सबसे बड़े सितारे से वंचित रह जाता।"[3]

रिकॉर्ड

अमीन सयानी के नाम पर 54,000 से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम प्रोड्यूस, कम्पेअर, वॉयस ओवर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। लगभग 19,000 जिंगल्स के लिए आवाज़ देने‌ के लिए भी अमीन सयानी का नाम 'लिम्का बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड्स' में दर्ज है। उन्होंने भूत बंगला, तीन देवियां, कत्ल जैसी फिल्मों में अनाउंसर के तौर पर भी काम किया था। रेडियो पर सितारों पर आधारित उनका शो 'एस कुमार्स का फ़िल्मी मुकदमा' भी काफ़ी लोकप्रिय साबित हुआ था।

पुरस्कार व सम्मान

आवाज़ के जादूगर और रेडियो के पहले जॉकी अमीन सयानी को फिक्की ने 'लिविंग लीजेंड अवॉर्ड' से सम्मानित किया था। इंडियन रेडियो इंडस्ट्री में बड़ा योगदान करने वालों को सम्मानित करने के लिए फिक्की ने 'इंडियन रेडियो फोरम' के साथ मिलकर इस अवॉर्ड की स्थापना की है। 'गीतमाला' प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज 'बहनों और भाइयो' आम लोगों को आज भी गुदगुदाती है। 'गीतमाला' के अलावा अमीन सयानी ने करीब 54 हज़ार रेडियो प्रोग्राम प्रस्तुत किए।[4]

  • पद्म श्री, 2009
  • लिविंग लीजेंड अवॉर्ड, 2006
  • गोल्ड मेडल, 1991 - इंडियन सोसाइटी ऑफ एटवरटाइजमेंट की तरफ से
  • पर्सन ऑफ द ईयर अवॉर्ड, 1992 - लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स
  • कान हॉल ऑफ़ फेम अवॉर्ड, 2003 - रेडियो मिर्ची की तरफ से

मृत्यु

अमीन सयानी की मृत्यु 20 फ़रवरी, 2024 को हुई। उनके बेटे ने बताया था कि अमीन‌ सयानी को मंगलवार को उनके दक्षिण मुम्बई स्थित घर पर शाम 6.00 बजे हार्ट अटैक आया। हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें दक्षिण मुम्बई स्थित एच. एन. रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल ले गये, जहां इलाज करने के कुछ देर बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अमीन सयानी को उच्च रक्तचाप और उम्र संबंधी अन्य बीमारियां थीं। पिछले 12 साल से पीठ दर्द‌ की भी शिकायत थी और यही वजह रही कि उन्हें चलने‌ के लिए वॉकर‌ का इस्तेमाल करना पड़ता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गायक बनना चाहता था- अमीन सयानी (हिन्दी) बी.बी.सी. हिन्दी। अभिगमन तिथि: 01 मार्च, 2015।
  2. लोकप्रिय रेडियो होस्ट अमीन सयानी का 91 साल की उम्र में निधन (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 22 फ़रवरी, 2024।
  3. अमीन सयानी ने तोड़ा था बिग बी का रेडियो एनाउंसर बनने का सपना (हिन्दी) एनडीटीवी, इण्डिया। अभिगमन तिथि: 01 मार्च, 2015।
  4. अमीन सयानी लिविंग लीजेण्ड से सम्मानित (हिन्दी) इकनॉमिक टाइम्स। अभिगमन तिथि: 01 मार्च, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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