"उल्लू की पंचायत -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
सच तो नहीं | सच तो नहीं | ||
ज़ाहिर है, कहानी है | ज़ाहिर है, कहानी है | ||
− | एक जोड़ा हंस | + | एक जोड़ा हंस हंसिनी का |
तैरता आसमान में | तैरता आसमान में | ||
− | तभी | + | तभी हंसिनी को दिखा |
एक उल्लू कहीं वीरान में | एक उल्लू कहीं वीरान में | ||
− | + | हंसिनी, हंस से बोली- | |
"कैसा अभागा मनहूस जन्म है उल्लू का | "कैसा अभागा मनहूस जन्म है उल्लू का | ||
जहाँ बैठा | जहाँ बैठा | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
यहीं रुक लो भाई" | यहीं रुक लो भाई" | ||
ऐसी आवाज़ सुन उल्लू की | ऐसी आवाज़ सुन उल्लू की | ||
− | उतर गए हंस | + | उतर गए हंस हंसिनी |
ख़ातिर की उल्लू ने | ख़ातिर की उल्लू ने | ||
दोनों सो गए वहीं | दोनों सो गए वहीं | ||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
सूरज निकला सुबह | सूरज निकला सुबह | ||
चलने लगे दोनों तो... | चलने लगे दोनों तो... | ||
− | उल्लू ने | + | उल्लू ने हंसिनी को पकड़ लिया |
"पागल है क्या ? | "पागल है क्या ? | ||
− | मेरी | + | मेरी हंसिनी को कहाँ लिए जाता है ? |
रात का मेहमान क्या बना ? | रात का मेहमान क्या बना ? | ||
बीवी को ही भगाता है ?" | बीवी को ही भगाता है ?" | ||
पंक्ति 50: | पंक्ति 50: | ||
तो फ़ैसला ये हुआ | तो फ़ैसला ये हुआ | ||
− | कि | + | कि हंसिनी पत्नी उल्लू की है |
और हंस तो बस उल्लू ही है | और हंस तो बस उल्लू ही है | ||
नेता चले गए | नेता चले गए | ||
बेचारा हंस भी चलने को हुआ | बेचारा हंस भी चलने को हुआ | ||
मगर उल्लू ने उसे रोका | मगर उल्लू ने उसे रोका | ||
− | "हंस ! अपनी | + | "हंस ! अपनी हंसिनी को तो ले जा |
मगर इतना तो बता | मगर इतना तो बता | ||
कि उजाड़ कौन करवाता है ? | कि उजाड़ कौन करवाता है ? |
14:06, 28 अप्रैल 2012 का अवतरण
उल्लू की पंचायत -आदित्य चौधरी
न नई है न पुरानी है
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