"उल्लू की पंचायत -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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न नई है न पुरानी है 
 
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सच तो नहीं
 
सच तो नहीं
 
ज़ाहिर है, कहानी है
 
ज़ाहिर है, कहानी है
एक जोड़ा हंस हंसनी का
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एक जोड़ा हंस हंसिनी का
 
तैरता आसमान में
 
तैरता आसमान में
तभी हंसनी को दिखा
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तभी हंसिनी को दिखा
 
एक उल्लू कहीं वीरान में
 
एक उल्लू कहीं वीरान में
  
हंसनी, हंस से बोली-
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"कैसा अभागा मनहूस जन्म है उल्लू का
 
"कैसा अभागा मनहूस जन्म है उल्लू का
 
जहाँ बैठा
 
जहाँ बैठा
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यहीं रुक लो भाई"
 
यहीं रुक लो भाई"
 
ऐसी आवाज़ सुन उल्लू की
 
ऐसी आवाज़ सुन उल्लू की
उतर गए हंस हंसनी
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ख़ातिर की उल्लू ने  
 
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दोनों सो गए वहीं
 
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सूरज निकला सुबह
 
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चलने लगे दोनों तो...  
 
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उल्लू ने हंसनी को पकड़ लिया
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उल्लू ने हंसिनी को पकड़ लिया
 
"पागल है क्या ?
 
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मेरी हंसनी को कहाँ लिए जाता है ?
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रात का मेहमान क्या बना ?
 
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बीवी को ही भगाता है ?"
 
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तो फ़ैसला ये हुआ  
 
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कि हंसनी पत्नी उल्लू की है
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और हंस तो बस उल्लू ही है
 
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नेता चले गए  
 
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बेचारा हंस भी चलने को हुआ
 
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मगर उल्लू ने उसे रोका 
 
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"हंस ! अपनी हंसनी को तो ले जा
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मगर इतना तो बता
 
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कि उजाड़ कौन करवाता है ?
 
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-आदित्य चौधरी  
 
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06:51, 24 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

Copyright.png
उल्लू की पंचायत -आदित्य चौधरी

न नई है न पुरानी है 
सच तो नहीं
ज़ाहिर है, कहानी है
एक जोड़ा हंस हंसिनी का
तैरता आसमान में
तभी हंसिनी को दिखा
एक उल्लू कहीं वीरान में

हंसिनी, हंस से बोली-
"कैसा अभागा मनहूस जन्म है उल्लू का
जहाँ बैठा
वहीं वीरान कर देता है
क्या उल्लू भी किसी को खुशी देता है?"
 
तेज़ कान थे उल्लू के भी
सुन लिया और बोला-
"अरे सुनो! उड़ने वालो !
शाम घिर आई 
ऐसी भी क्या जल्दी !
यहीं रुक लो भाई"
ऐसी आवाज़ सुन उल्लू की
उतर गए हंस हंसिनी
ख़ातिर की उल्लू ने
दोनों सो गए वहीं

सूरज निकला सुबह
चलने लगे दोनों तो...  
उल्लू ने हंसिनी को पकड़ लिया
"पागल है क्या ?
मेरी हंसिनी को कहाँ लिए जाता है ?
रात का मेहमान क्या बना ?
बीवी को ही भगाता है ?"

हंस को काटो तो ख़ून नहीं
झगड़ा बढ़ा
तो फिर पास के गाँव से नेता आए
अब उल्लू से झगड़ा करके
कौन अपना घर उजड़वाए !
उल्लू का क्या भरोसा ?
किसी नेता की छत पर ही बैठ जाए

तो फ़ैसला ये हुआ
कि हंसिनी पत्नी उल्लू की है
और हंस तो बस उल्लू ही है
नेता चले गए
बेचारा हंस भी चलने को हुआ
मगर उल्लू ने उसे रोका 
"हंस ! अपनी हंसिनी को तो ले जा
मगर इतना तो बता
कि उजाड़ कौन करवाता है ?
उल्लू या नेता ?" 

-आदित्य चौधरी