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'''कृष्णा मूर्ति एल्ला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Krishna Ella'', जन्म- [[1969]]) भारतीय बायोटेक वैज्ञानिक हैं, जो 'भारतीय बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड' के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। उन्होंने [[भारत]] में पहली कोरोना वैक्सीन की खोज की। कृष्णा एल्ला चिकित्सा विश्वविद्यालय कैरोलिना में अनुसंधान (अध्यक्ष) के प्रोफेसर हैं। आज कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के संस्थापक डॉ. कृष्णा एल्ला को देश के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है। हाल ही में [[भारत सरकार]] ने डॉ. कृष्णा एल्ला और उनकी पत्नी [[सुचित्रा एल्ला]] को संयुक्त रूप से [[पद्म भूषण]], [[2022]] से सम्मानित किया है।
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08:17, 6 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण

कृष्णा एल्ला
कृष्णा एल्ला
पूरा नाम कृष्णा मूर्ति एल्ला
जन्म 1969
जन्म भूमि तिरुत्तनी, तमिलनाडु
पति/पत्नी सुचित्रा एल्ला
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र वैक्सीन निर्माण
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 2022
प्रसिद्धि वैज्ञानिक
नागरिकता भर्रतीय
व्यवसाय भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के सह-अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक। अध्यक्ष, बीबीआईएल।

दक्षिण कैरोलिना के मेडिकल विश्वविद्यालय में अनुसंधान संकाय (अध्यक्ष)।

अन्य जानकारी कोवैक्सीन लाने से पहले कृष्णा एल्ला की कंपनी रेबीज की दवाओं के सबसे बड़े सप्लायर के रूप में जानी जाती थी। इसके अलावा कंपनी के पास 140 दवाओं के ग्लोबल पेटेंट्स भी मौजूद हैं।
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परिचय

डॉ. कृष्ण मूर्ति एल्ला का जन्म साल 1969 में तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। उन्होंने एग्रीकल्चर साइंसेज में स्नातक और यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई से एमएस की डिग्री की। यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन मैडिसन से पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कुछ साल अमेरिका की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम किया। आज कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के संस्थापक डॉ. कृष्णा इल्ला को देश के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है। आणविक जीव विज्ञान में शोध वैज्ञानिक कृष्णा एल्ला और सुचित्रा एल्ला ने 1996 में 'भारत बायोटेक' की स्थापना की थी। आज, भारत बायोटेक इनोवेटिव वैक्सीन टीकों के उत्पादन के मामले में दुनिया की प्रमुख कंपनी है।[1]

गणतंत्र दिवस (2022) की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा की थी। पद्म पाने वालों में से एक हैदराबाद की कंपनी 'भारत बायोटेक' के चेयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला हैं। उनकी पत्नी तथा को-फाउंडर और जॉइंट एमडी सुचित्रा एल्ला का भी कंपनी में बड़ा योगदान हे। जब दुनिया कोरोना वायरस महामारी के बीच वैक्सीन की तरफ निगाहें किए थी, तब इस कंपनी ने न सिर्फ देश को स्वदेशी वैक्सीन दी, बल्कि अभी जो बूस्टर डोज लग रहे हैं, वह भी भारत बायोटेक ही मुहैया करा रही है।

अमेरिका से स्वदेश वापसी

सन 1996 में कंपनी खड़ी करने से पहले डॉ. कृष्णा एल्ला अमेरिका में थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक दिन उनकी मां ने फोन किया और वापस आने को कहा। मां ने कहा- "बेटा! तुम्हारा पेट सिर्फ 9 इंच का है। कितना पैसा कमाओगे? तुम जितना खाते हो, उससे ज्यादा तो खा नहीं सकते। लौट आओ और जो मन करे वह काम करो। मैं तुम्हारे खाने का इंतजाम कर लूंगी।" इसके बाद डॉ. कृष्णा एल्ला ने स्वदेश वापसी का फैसला किया और कंपनी खोली।

भारत बायोटेक, 140 दवाओं का पेटेंट

डॉ. कृष्णा एल्ला ने 1996 में भारत बायोटेक नाम की कंपनी स्थापित की। उनकी कंपन ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में करीब 200 मिलियन डॉलर का निवेश कर रखा है। कंपनी में करीब 1600 कर्मचारी काम करते हैं। कोवैक्सीन लाने से पहले उनकी कंपनी रेबीज की दवाओं के सबसे बड़े सप्लायर के रूप में जानी जाती थी। इसके अलावा कंपनी के पास 140 दवाओं के ग्लोबल पेटेंट्स भी मौजूद हैं। कंपनी हेपेटाइटिस-बी समेत 35 बीमारियों की वैक्सीन बना चुकी है।

सीआईएसआर सदस्य

डॉ. कृष्णा एल्ला केंद्रीय कैबिनेट की चिकित्सा विज्ञान सलाहकार समिति का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने सीएसआईआर के सदस्य के रूप में भी काम किया है। उनकी कंपनी भारत बायोटेक को दुनिया की अग्रणी दवा कंपनियों में एक माना जाता रहा है। कोरोना वैक्सीन के निर्माण कार्य की समीक्षा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी खुद भी उनकी कंपनी के दौरे पर गए थे। पीएम मोदी करीब एक घंटे तक भारत बायोटेक की लैब में रहे और बारीकी से जानकारियां जुटाईं। भारत बायोटेक उस वक्त तीसरे चरण के ट्रायल पर काम कर रही थी। इस कंपनी ने 26 हजार लोगों पर तीसरे चरण का सबसे बड़ा ट्रायल किया था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 कौन हैं पद्म भूषण पाने वाले कृष्णा एल्ला (हिंदी) hindi.asianetnews.com। अभिगमन तिथि: 06 फरवरी, 2022।

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